देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब
भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१।
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देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला
आदमी  का  आदमी से बैर जब।२।
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दुश्मनो की क्या जरूरत है भला
रक्त  के  रिश्ते  हुए  हैं  गैर जब।३।
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तन विवश है मन विवश है आज यूँ
क्या करें हम  मनचले  हों पैर जब।४।
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सोच लो कैसा  समय  तब सामने
मौत मागे  जिन्दगी  की  खैर जब।५।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"