२१२२/२१२२/२१२२
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खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके
साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१।
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चूड़ियाँ खनकें हिना का रंग हँसता
स्वप्न सजनी के सभी गुलज़ार करके।२।
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चाँद का पथ तक रहीं बेचैन आँखें,
लौट आओ कह स्वयं उपहार करके।३।
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रूठना पलभर मनाना उम्रभर को
प्यार में सजनी ने यूँ इकरार करके।४।
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मान अम्बर क्यों न जाये रीझने को
जब रिझाती हो धरा शृंगार करके।५।
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भर दिवस उपवास कर माँगी दुआ है
चाँद फल दे उम्र का विस्तार करके।६।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर
Oct 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।
Oct 10