मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं.
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हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं
मुख़ालिफ़ हार कर शश्दर खड़े हैं. शश्दर-आश्चर्यचकित, स्तब्ध
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कभी कोई बसेगा दिल-मकां में
हम इस उम्मीद में जर्जर खड़े हैं.
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ऐ रावण! अब तेरा बचना है मुश्किल
तेरे द्वारे पे कुछ बंदर खड़े हैं.
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उसे लगता है हम को मार देगा
हम अपने जिस्म से बाहर खड़े हैं.
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मुझे क़तरा समझ बैठा है नादाँ
मेरे पीछे महासागर खड़े हैं.
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ख़ुदा दुनिया से कब का जा चुका है
ख़ुदा के नाम के पत्थर खड़े हैं.
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नए रब के नए पैग़ाम लेकर
हर इक नुक्कड़ पे पैग़म्बर खड़े हैं.
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मौलिक/ अप्रकाशित
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
आ. नीलेश भाई , बेहतरीन ग़ज़ल हुई है ,सभी शेर एक से बढ कर एक हैं , हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए
May 30
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय नीलेश जी, एक अच्छी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
कई शेर हैं जो पाठकों से बरबस वाह ले पाने में सक्षम हैं. तो कुछ शेर भाव और व्यवहार की कसौटियों पर दुबारा मनन करने की मांग करते दीख रहे हैं.
कभी कोई बसेगा दिल-मकां में
हम इस उम्मीद में जर्जर खड़े हैं ... कमाल का कहन है. बहुत खूब, बहुत खूब. इस शेर पर विशेष बधाइयाँ स्वीकार करें, आदरणीय.
दूसरी ओर निम्नलिखित शेर है,
ख़ुदा दुनिया से कब का जा चुका है
ख़ुदा के नाम के पत्थर खड़े हैं. ... .. भाई, खुदा के नाम कहीं पत्थर दिखा भी है क्या ?
यह अवश्य हुआ कि मतले के कहन को लेकर मैं थोड़ी देर उधेड़बुन में रहा. दोनों मिसरों के बीच मैं तारतम्यता ही नहीं भना पा रहा था. चलिए, उधेड़बुन जल्द ही दूर हो गयी.
पुनः, इस प्रस्तुति के लिए आपको बधाई.
May 31
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. गिरिराज जी
May 31
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. सौरभ सर,
मतले से बात शुरुअ करता हूँ..
मुट्ठी भर का अर्थ बहुत थोड़े या लिटरल- 5 (क्यूँ कि इन्ही से मुट्ठी बंधती है ) और पाण्डव भी इतने ही थे; से लिया है.
ज़ुल्म के लश्कर ११ अक्षौहणी सेना से है जो कौरवों का संख्याबल था.
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//भाई, खुदा के नाम कहीं पत्थर दिखा भी है क्या ?//
जी .. मेरे घर भी मूर्ति पूजा होती है. कई मूर्तियाँ पत्थर की हैं.
मेरे अशआर का ख़ुदा किसी एक संस्कृति का अमूर्त अथवा मूर्त ख़ुदा नहीं है. मेरे अशआर का ख़ुदा वह है जिसे तमाम धर्मिक जन अपना अपना और एकमात्र सच्चा ईश्वर बताते हैं. एथीस्ट होने का यह लाभ भी है कि आप सब को इग्नोर कर सकते हैं.
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आपको अन्य शेर पसंद आए इसके लिए आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद
May 31
अजय गुप्ता 'अजेय
अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।
May 31
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. अजय जी
May 31
बृजेश कुमार 'ब्रज'
आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।
हरेक शेर बेमिसाल....
Jun 4
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. बृजेश जी
Jun 4