था सब आँखों में मर्यादा का पानी याद है हमको
पुराने गाँव की अब भी कहानी याद है हमको।
भले खपरैल छप्पर बाँस का घर था हमारा पर
वहीं पर थी सुखों की राजधानी याद है हमको
वो भूके रहके ख़ुद महमान को खाना खिलाते थे
ग़रीबों के घरों की मेज़बानी याद है हमको
हमारे गाँव की बैठक में क़िस्सा गो सुनाता था
वही हामिद के चिमटे की कहानी याद है हमको
सलोना और मनभावन शरारत से भरा बचपन
अभी तक मस्त अल्हड़ ज़िंदगानी याद है हमको
हमें सोने से पहले रात को अम्मा बताती थी
कि रहती चाँद पर इक बूढ़ी नानी, याद है हमको
सितारों की लिए बारात सज के चाँद आता जब
महकती गाँव की वो रात रानी याद है हमको
(मौलिक व अप्रकाशित)
Chetan Prakash
बह्रे हजज मुुसम्मन सालिम में अच्छी साफ- सुथरी अच्छी, ग़जल प्रस्तुत की, बधाई स्वीकार करें, इति !
Jul 11, 2020
Chetan Prakash
प्रिय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप,
बह्रे हजज मुुसम्मन सालिम में अच्छी साफ- सुथरी ग़जल प्रस्तुत की, बधाई स्वीकार करें, इति !
Jul 11, 2020
Chetan Prakash
प्रिय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप,
बह्रे हजज मुुसम्मन सालिम में अच्छी साफ- सुथरी ग़जल प्रस्तुत की, बधाई स्वीकार करें, इति
Jul 11, 2020
TEJ VEER SINGH
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी।बेहतरीन गज़ल।
सितारों की लिए बारात सज के चाँद आता जब
महकती गाँव की वो रात रानी याद है हमको
Jul 11, 2020
नाथ सोनांचली
आद0 चेतन प्रकाश जी सादर अभिवादन,
आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है। आभार निवेदित करता हूँ। सादर
Jul 12, 2020
नाथ सोनांचली
आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन,
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदयतल से अभिनन्दन और आभार। सादर
Jul 12, 2020
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Jul 12, 2020
रवि भसीन 'शाहिद'
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब, वाह वाह! सात अशआर में आपने गुज़रे हुए ज़माने की, बचपन की, और गाँव की सैर करा दी। इस सुन्दर ग़ज़ल पर दाद और बधाई स्वीकार करें।
Jul 13, 2020
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' साहिब आदाब, इस ख़ूबसूरत और प्यारी ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । सादर ।
Jul 13, 2020
नाथ सोनांचली
आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और दाद के लिए शुक्रियः
Jul 13, 2020
नाथ सोनांचली
आद0 रवि भसीन 'शाहिद' जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल आप तक पहुँची, कहना सार्थक हुआ। आभार आपका।
Jul 13, 2020