सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते हुए प्रयास किया है। अभी रचना में पुनः पाठ और बहुत सुधार की गुंजाइश है। अभी अभ्यास के क्रम अंतिम…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत बढ़िया प्रस्तुति है।सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी में संप्रेषण के संबंध में पुनर्विचार करता हूं। मेरे विचार से स्थानी का कथ्य स्पष्ट है फिर भी पाठकीय…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता माँ का दैहिक प्रस्फुटीकरण है. फिर जीवन और संवेदना का विस्तार इस प्रकॄति के नैरंतर्य का अन्योन्याख्रय…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा आया है, आदरणीय चेतन प्रकाश जी. इस सहभागिता हेतु बधाइयाँ  अलबत्ता, शिल्प के निकष पर रचना को अभी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती है.  प्रस्तुत आयोजन के प्रदत्त शीर्षक पर आपने जिस मनःभाव से अपनी रचना प्रस्तुत की है, वह अनुकरणीय है. अवश्य ही…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं केप्रपातों मेंबताओं नआखिरतुम कहाँ होमाँ मेरे जिस्म पर ज़िंदास्पर्शों मेंआँगन में गूंजतीआवाज़ों मेंतुम्हारी डाँट…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती है  अपना देह - दान माँ देती है हाड़मांस में फूंके माँ जीवन, फिर उसको जीवन रस देती है माँ बीज हेतू धरती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका, अन्यथा, आप का 'गीत' सम्पूर्ण है। हार्दिक बधाई  !"
yesterday