"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते हुए प्रयास किया है। अभी रचना में पुनः पाठ और बहुत सुधार की गुंजाइश है। अभी अभ्यास के क्रम अंतिम…"
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी में संप्रेषण के संबंध में पुनर्विचार करता हूं। मेरे विचार से स्थानी का कथ्य स्पष्ट है फिर भी पाठकीय…"
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता माँ का दैहिक प्रस्फुटीकरण है. फिर जीवन और संवेदना का विस्तार इस प्रकॄति के नैरंतर्य का अन्योन्याख्रय…"
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा आया है, आदरणीय चेतन प्रकाश जी. इस सहभागिता हेतु बधाइयाँ
अलबत्ता, शिल्प के निकष पर रचना को अभी…"
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती है.
प्रस्तुत आयोजन के प्रदत्त शीर्षक पर आपने जिस मनःभाव से अपनी रचना प्रस्तुत की है, वह अनुकरणीय है. अवश्य ही…"
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है
माँ तो माँ है, देवी होती है !
माँ जननी है सब कुछ देती है
अपना देह - दान माँ देती है
हाड़मांस में फूंके माँ जीवन,
फिर उसको जीवन रस देती है
माँ बीज हेतू धरती…"