For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानव सभ्यता का इतिहास (लघुकथा)

“कितने हसीन थे वो दिन जब पूरे आसमान पर अकेले मेरा राज हुआ करता था।” अपनी पतंग को माँझे से बाँधते हुए छोटा सा वह लड़का अपने सुनहरे अतीत में खो गया। 

अपने मोहल्ले में तब वो अकेले ही पतंग उड़ाने वाला हुआ करता था। न तो उसे कोई रोकने वाला था और न ही टोकने वाला। वह पूरी तरह से स्वतंत्र था। उस वक़्त उसकी बस एक ही हसरत होती, “एक दिन अपनी पतंग चाँद तक ले जाऊँगा।”

मगर यह ज़्यादा दिन चला नहीं। धीरे-धीरे उसके मोहल्ले में दूसरे पतंगबाज़ भी आने लगे। उनके आते ही आसमान में वर्चस्व की जंग शुरू हो गयी। “अबे ओ गुटके, कट गयी न तेरी पतंग!” बड़ी उम्र के नये लड़कों ने अपनी बड़ी-बड़ी पतंगों के साथ उस पर धौंस जमानी शुरू कर दी।

वह जब भी पतंग उड़ाता पीछे से कोई न कोई बड़ी पतंग आ कर उसकी छोटी सी पतंग को काट देती। अब उसके सामने मूल प्रश्न अपनी पतंग को ऊँचे उड़ाने का नहीं बल्कि उसके अस्तित्त्व को बचाने का था।

उसकी पतंग माँझे से बँध चुकी थी। उसने लटाई को उठाया और उसे ढील दी। थोड़ी ही देर में उसकी पतंग हवा से बातें करने लगी और फिर देखते ही देखते उसने ढेरों पतंगों को काट कर चित्त कर दिया।

अपनी इस जीत पर वह काफ़ी ख़ुश था। “मुझे पता चल गया है कि किस पतंग को काटना है और किस पतंग को नहीं।” उसने उपाय ढूँढ लिया था। अब वह सिर्फ़ छोटी पतंगों से ही उलझता था। बड़ी पतंगों से उसने दोस्ती कर ली थी। 

आसमान पतंगबाज़ों में बँट चुका था और इस बँटे हुए आसमान में उसको मिले हिस्से का अब वो अकेला राजा था। उधर छोटी और कमज़ोर पतंगें उसकी पतंग को देखते ही भय के मारे दूर भाग रही थीं जिसे देख कर उसके मासूम चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गयी।   

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 25, 2018 at 5:29pm

आदरणीय महेंद्र जी बहुत ही बढ़िया लघुकथा लिखी है...आज के राजनीतिक परिदृश्य की बिलकुल सही झांकी नजर आती है कथा....जहाँ 

एक दूसरे की पतंग काटी जा रही है।

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 2:48pm

वाह आदरणीय एक प्रभावशाली और भावपूर्ण लघु कथा। हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on June 25, 2018 at 11:16am

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 24, 2018 at 5:05pm


यही नियम है । कमजोर को अपना अस्तित्व बचने के लिए मजबूत का साथ संघर्ष करना ही पड़ता और एक बार विजयी होने पर उसे स्वतः ही अपने लिए स्थान मिल जाता है। बच्ची संदेशपरक रचना। हार्दिक बधाई।

Comment by babitagupta on June 24, 2018 at 3:46pm

अपने अस्तित्व ओ बचाने के लिए कुटनीति भी करनी पडती हैं उर समझौते भी ,फिर चाहे परिवेश राजनीति का हो या सामाजिकता का.बेहतरीन रचना बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सरजी.

Comment by Shyam Narain Verma on June 23, 2018 at 10:32am
 प्रभापूर्ण सुंदर लघु कथा के  लिए बधाई 
Comment by TEJ VEER SINGH on June 23, 2018 at 7:58am

हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र कुमार जी।बेहतरीन संदेश देती सुंदर लघुकथा।कहीं ना कहीं, आज के राजनैतिक परिवेश को भी उजागर करती है।

Comment by Mohammed Arif on June 22, 2018 at 8:55pm

कभी-कभी अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए समझौतें भी खरने होते हैं । फिर उन समझौतों में स्वयं का वजूद बरकरार रहता है । शानदार पेशकश पर हार्दिक आदरणीय महेंद्र कुमार जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
17 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service