For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक मासूम...

तल्लीनता से जोर-जोर पढ़ रहा था

क-कमल,ख-खरगोश,ग-गणेश।

शिक्षक ने टोका

ग-गणेश! किसने बताया?

बाबा ने...

माँ और पिता को सब कुछ माना

तभी तो सबसे बड़े देव हुए।

नहीं,गणेश नहीं कहते

संप्रदायिकता फैलेगी

जिसे तुम समझो झगड़ा. .विवाद

ग-गधा कहो बेटे।

आस्था भोली थी

बाबा के गणेश,मसीहा और अल्लाह से रेंग

'गधे' में शांति खोजने लगी...।

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on February 8, 2014 at 12:23am

आदरणीय सौरभ सर:

आपकी बधाई के लिए हार्दिक आभार आदरणीय,पर इस व्यवस्था के लिए क्या कहा जाये!

यह जानकर प्रसन्नता हुई कि रचना का सम्बन्ध सत्य-घटना से है।

आपका बहुत शुक्रिया मेरा आत्मबल बढ़ाने के लिए आदरणीय।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 8, 2014 at 12:18am

आदरणीय विजय सर:

रचना की सफलता को आपने इंगित किया...मेरा बहुत उत्साहवर्धन हुआ।

आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 8, 2014 at 12:15am

आदरणीय शरदेन्दु सर:

अपने साधारण सी रचना को इतने आयामों से जोड़ा...रचनाकी सार्थकता को बढ़ाया,आभारी हूँ आदरणीय।

स्नेह बनाये रखें।

सादर

Comment by Vindu Babu on February 8, 2014 at 12:11am

आदरणीय जितेन्द्र जी आपको रचना बढ़िया लगी...मुझे सम्बल मिला।

सादर अभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2014 at 11:12am

वाह! बहुत सुन्दर सार्थक रचना प्रिय वंदना जी 

आस्था भोली थी

बाबा के गणेश,मसीहा और अल्लाह से रेंग

'गधे' में शांति खोजने लगी...।

बहुत सुन्दर व्यंग के माद्यम से आपने साम्प्रदायिक सोच पर गहरी बात कही है..

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by Vindu Babu on February 6, 2014 at 4:39am

आदरणीय बृजेश सर, आपकी प्रतिक्रिया पाकर मन प्रसन्न हुआ। आपका बहुत आभार।

Comment by Vindu Babu on February 6, 2014 at 4:36am

आदरणीया मीना दी आप ने रचना पढ़ी,मुझेअच्छा लगा।
सादर धन्यवाद।

Comment by Vindu Babu on February 6, 2014 at 4:26am

शुक्रिया आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी।

Comment by Vindu Babu on February 6, 2014 at 4:25am

आदरणीय गिरिराज जी:

आपने रचना का मर्म समझा,इसके लिए आपका बहुत आभार।

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 12:52am

कविता आज के ढोंगियों पर सटीक चोट करती है. इसके लिए आप बधाई पात्र हैं.

वैसे आप जानें, कि ये एक सत्य घटना है. अस्सी के दशक के आखिरी सालों में जब देश को ऐसे छद्म विचारकों से खूब-खूब पाला पड़ने लगा था और तब तक वे खूब मुखर हो चुके थे, मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसी ही एक सफल पहल की थी. और, अबोध शिशु को गणेश की जगह गधा से समझने लगे.

:-)))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

मनोरमा जैन पाखी left a comment for मनोरमा जैन पाखी
"धन्यवाद आद. योगराज प्रभाकर सर जी"
yesterday
मनोरमा जैन पाखी updated their profile
yesterday
Manoj Misran is now a member of Open Books Online
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Mahendra Kumar जी  1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है। उसे…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service