For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत गा दो  तुम  सुरीला- (गीत -१४)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"


इस तमस की खोह में आ चाँद भूले से कभी तो
गीत गा दो  तुम  सुरीला, वेदना  को  भूल जाऊँ।
*
जब नगर हतभाग्य  से  आ  खो  गये हैं गाँव मेरे
हर कदम पर चोट खाकर पथ विचलते पाँव मेरे।।
तोड़कर   सँस्कार   सारे   छू   रहे  प्रासाद  तारे
धूप से भयभीत मन  है  पग  जलाती छाँव मेरे।।


सभ्यता की रीत  कोई  भौतिकी गढ़ती नहीं है
आत्ममंथन कर लचीला, वेदना को भूल जाऊँ।
*
जन्म पर जो भी तनिक थी, तात की पहचान खोई
बन सका है भर जगत में, आज भी परिचय न कोई।।
भोर का तारा तो छोड़ो, साँन्य का दीपक नहीं हूँ
सून्य सा जीवन समूचा, सोच कर यह आँख रोई।।


ओ! पवन आँसू सुखा दे आन बैठे जो पलक पर
हो न आँचल  और  गीला  वेदना  को भूल जाऊँ।
*
है नहीं  पाथेय  कुछ  भी  पर  लुटेरे  घात करते
पास है विश्वास जो  भी   जा  रहे वो नित्य हरते।।
आ रहा परिणाम जैसा, देखकर मन कसमसाता
हैं बहुत सहचर मगर सब आप से ही आप डरते।।


खोलनी थी गाँठ मन की, पर न खोली है किसी ने
तुम करो  आ  छोर  ढीला, वेदना  को  भूल जाऊँ।
*
कंठ रुँधता जा रहा अब, आ रहा है काल देखो।
देह खंडित पर युवा मन, तीव्र चलता चाल देखो।।
कामना थी सूर्य सी हो, कांति लेकिन हो न पाया
भर नगर में बात फैली, है मलिन यह भाल देखो।


कामना अंतिम प्रहर में शेष है भी तो करूँ क्या
स्वप्न टूटा सुख  सजीला  वेदना  को भूल जाऊँ।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 139

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2023 at 2:56pm

आ. भाई वृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत आपको अच्छा लगा जानकर हर्ष हुआ। स्नेह के लिए आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 30, 2023 at 6:28pm

वाह आदरणीय धामी जी...बड़ा ही सुंदर गीत हुआ...बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 3:34pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत आपको अच्छा लगा लेखन सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on January 29, 2023 at 2:30pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, अच्छा गीत हुआ है, बधाई स्वीकार करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

मनोरमा जैन पाखी left a comment for मनोरमा जैन पाखी
"धन्यवाद आद. योगराज प्रभाकर सर जी"
yesterday
मनोरमा जैन पाखी updated their profile
yesterday
Manoj Misran is now a member of Open Books Online
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहतर है शुक्रिया आपका अमित जी सादर"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय Mahendra Kumar जी  1. मतला ग़ज़ल का पहला शे'र और सबसे अह्म हिस्सा होता है। उसे…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-153 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
" जी ठीक है हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से जानाँ "आपके मिलने का होगा जिसे अरमाँ…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अमित जी एक और प्रयास देखिएगा सादर हमको फ़ुर्सत ही नहीं कार-ए-जहाँ से मिलती "आपके मिलने…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय महेंद्र जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय जी। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत-बहुत शुक्रिया। संज्ञान ले लिया गया है। सादर।"
yesterday
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहुत-बहुत शुक्रिया सर। अगली बार पूरा प्रयास रहेगा कि निराश न करूँ। सादर।"
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service