For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212

आँखों को रतजगे मिले हैं जल भराव भी
उल्फ़त में दुख मिले तो मिले गहरे भाव भी

कानों को आहटें सुने बर्षों गुज़र गये
बुझने लगे हैं आँखों के जलते अलाव भी

कुछ इसलिये खमोशियाँ ये रास आ गईं
दुनिया न जान ले कहीं अंतस के घाव भी

गर डूबना नसीब है तो फ़िक़्र क्यों करूँ
दरिया में अब उतार दी है टूटी नाव भी

वो साथ दे सका न बहुत देर तक मेरा
इक तो हवा ख़िलाफ़ थी उसपे बहाव भी

वो चाँद है,वो चाँद भला किसका हो सका
बे-वज़्ह क्यों बढ़ा रहे पीड़ा तनाव भी

सुधबुध गवाँ के रात में उसको निहारना
अच्छा नहीं है चाँद से 'ब्रज' ये लगाव भी

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 7, 2022 at 10:12am

आदरणीय समर कबीर जी आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...बे-बज़्ह गूगल कीबोर्ड की गलती है...सुधार करता हूँ...सादर

Comment by Samar kabeer on November 5, 2022 at 7:03pm

जनाब 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I  

'बे-बज़्ह क्यों बढ़ा रहे पीड़ा तनाव भी'---' बे-बज़्ह'  को "बे-वज्ह" लिखें I 

जनाब रवि भसीन जी से सहमत हूँ I 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 4, 2022 at 9:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय महेंद्र जी...आदरणीय रवि जी से असहमति का कोई कारण नहीं है...जल्द ही पोस्ट एडिट करूँगा।

Comment by Mahendra Kumar on November 4, 2022 at 12:42pm

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय बृजेश जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। आदरणीय रवि जी से मैं भी सहमत हूँ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 4, 2022 at 11:20am

आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई जैफ...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 4, 2022 at 11:19am

स्वागत संग आभार आदरणीय धामी जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 4, 2022 at 11:18am

आदरणीय अमीरुद्दीन जी हौसलाफजाई के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद...

Comment by Zaif on November 3, 2022 at 11:47pm

आदरणीय ब्रज सर, क्या काफ़िये लिए है अपने, कमाल। हर शेर लाजवाब। दाद स्वीकार कीजिए। ज़िंदाबाद

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2022 at 12:45pm

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। एक अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on November 2, 2022 at 9:31pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ, जनाब रवि भसीन जी के साथ बहुत अहम और सार्थक चर्चा हुई है। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service