For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog – May 2016 Archive (6)

कर्तव्य पथ (सुरेश कुमार ' कल्याण '

हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

अंधेरा देख तू खिन्न मत हो,
उजाला देख तू प्रसन्न मत हो,
न जाने फूल सी ये जिन्दगी
कब मुरझा जाए,इसलिए
हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

इन्सान से तू द्वेष न कर,
सच कहता हूँ भगवान से डर,
तुझे इसका फल तो पाना होगा,
'हम हैं राही प्यार के'इसलिए
हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

मौलिक व अप्रकाशित
सुरेश कुमार ' कल्याण '

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 28, 2016 at 10:06am — 2 Comments

राहें (सुरेश कुमार ' कल्याण ')

कंटीली राहों से
सीखा है जीना मैंने,
रात की गहराईयों से
सीखा है पीना मैंने।
बात करता हूं मैं
गुजरे वक्त की,
पत्थरों के पथ पर
पाया है नगीना मैंने।
पत्थरों से टकराकर
पत्थरों पे सिर झुकाया है मैंने।
अपनी विनम्रता की आंच से
पत्थरों को पिघलाया है मैंने।
वो हीरे मिले हों
या वो लोहा था,
सागर की लहरों के बीच
मोतियों को पाया है मैंने।

मौलिक व अप्रकाशित
सुरेश कुमार ' कल्याण '

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 24, 2016 at 7:56am — 6 Comments

मंजिल

मित्रों-सहयोगियो, तुम
रूको तो सही,
भागते हो किधर? कुछ
सुनो तो सही।

आसमां के तारों को,
तुम देखो तो सही।
चांद नजर आएगा,
तुम पहचानो तो सही।

चांद ही मेरी मंजिल है,
कदम बढाओ तो सही।
मंजिल मिल जाएगी हमें,
हिम्मत जुटाओ तो सही।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 19, 2016 at 5:12pm — 14 Comments

दिहाडी और रोटी

तपिश को कौन समझेगा
जलते शहर की
कुर्सी से जो मतलब ठहरा
विरोध प्रदर्शन धरने हडताल
दिहाडी को निगल गए
नहीं थमेंगे
गरीब को रोटी नहीं मिलेगी।
पहरेदार
सब कठपुतलियां हैं
सफेदपोशों की।
मजबूर
घोडे को लगाम जो लगी है
गरीब ने कहा
चलो गरीबों चलो कंगालो
मरने वालों को लाखों मिलते हैं
मरने चलें
दो-चार दिन का सूतक सही
दिहाडी-रोटी नहीं तो लाखों सही
पीछे वालों की जिंदगी
आराम से गुजरेगी।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 3, 2016 at 5:16pm — 41 Comments

सूखा सावन

जेठ तपता आषाढ तपता,

सावन भी तपता जा रहा,

जेठ की लू सावन में चलें,

समय बदलता जा रहा।



सावन में जब वर्षा होती,

कोयल कू-कू गाती थी,

मेंढक टर्र-टर्र करते थे,

बहारें राग सुनाती थी।



शीतल फुहारें झर-झर कर,

माथे से टकराती थी,

नई स्फूर्ति तन-मन में,

एकाएक भर जाती थी।



इंद्रधनुष के सात रंग,

जब याद मुझे वो आते हैं,

तीजों के त्योहार को

ताजा तभी कर जाते हैं।



इस सावन को नजर लग गई,

सावन तपता जा… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 2, 2016 at 4:30pm — 6 Comments

नई राहें

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

सूर्योदय से पहले

पक्षी चहचहा रहे होंगे

छोड कर निज नीड

नई तमन्नाओं के साथ

विचरण कर रहे होंगे।

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

हम जहाँ भी जाएंगे

तमन्नाओं की राहों पर

कुछ हमसे खुश

कुछ हमसे खफा होंगे

नई तमन्नाओं के साथ

नए इरादे भी बुलन्द होंगे।

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

पहाड़ों में-वादियों में

मैदानों में-घाटियों में

कल्याण का ही सहारा होगा

दिलों… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 1, 2016 at 9:02am — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service