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बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog – July 2017 Archive (3)

ग़ज़ल...नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे-बृजेश कुमार 'ब्रज'

22 22 22 22
फिरते हैं बन वन बंजारे
नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे

जब भी होंट खुले तो पाया
नाम तुम्हारा साँझ सकारे

जाने वाले आ भी जा अब
तुझको मेरी आह पुकारे

दर्द जुदाई आहें आँसू
जीवन है या कोइ सजा रे

कितने अरसे बाद मिले हो
ओ मेघा मनमीत सखा रे
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 31, 2017 at 8:51am — 14 Comments

ग़ज़ल....जो दिल को घेर कर बैठी उदासी क्यों नहीं जाती

1222 1222 1222 1222

जो दिल को घेर कर बैठी उदासी क्यों नहीं जाती

नदारद नींद आँखों से उबासी क्यों नहीं जाती



चलीं जायेगीं बरसातें ये मौसम भी न ठहरेगा

हमारे दिल की बैचैनी जरा सी क्यों नहीं जाती



तुम्हारे साथ ही ये ज़िन्दगी तैयार जाने को

दिलों के दरमियाँ काबिज़ अना सी क्यों नहीं जाती



सुना है उसके दर पे सब मुरादें पूरी होतीं हैं

ये व्याकुल रूह जन्मों से है प्यासी क्यों नहीं जाती



ग़मों में मुस्कुराना सीख 'ब्रज' लोगों ने समझाया

बसी… Continue

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 10, 2017 at 5:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल...गमे दिल अब मुझे आराम दे दो

1222 1222 122
मेरी बेचैनियों को नाम दे दो
बहुत टूटा हूँ अब अंजाम दे दो

उन्हें मैं याद कर के थक चुका हूँ
गमे दिल अब मुझे आराम दे दो

पुरानी बात है आहें, तड़पना
मुहब्बत को नये आयाम दे दो

कि जिसको सोचते ही मुस्कुरा दूँ
तसव्वुर के लिए वो शाम दे दो

कहाँ है मीत वो किस हाल में है
हवाओ कोई तो पैगाम दे दो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 5, 2017 at 8:48am — 16 Comments

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