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बृजेश कुमार 'ब्रज'
  • Male
  • noida
  • India
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बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन 1212  1122  1212  112/22  किसे जगा के बताएं उदास हैं कितने सितारे,चाँद, हवाएं  उदास  हैं कितनेन कोई आह लबों पे न ही सदा कोई ख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितनेसुदूर सरहदों पे इक ग़ज़ल सिसकती है ख़ुशी के गीत न गाएं, उदास  हैं कितने  क़ज़ा खड़ी है यहीं सामने शिफ़ा लेकर हमीं न दार पे  जाएं, उदास हैं कितने रखो न ज़ेहन को अय जान कर्ब-आलूदा न कर्ब-ज़ा ही दिखाएं, उदास हैं कितने मुझे न बख़्श सकेगा सुकूत-ए-दिल मेरा भले  ही जान से जाएं, उदास हैं…See More
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"उचित है आदरणीय गिरिराज....जी मतले में सुधार के साथ दो शेर और शामिल कर हूँ....सभी अग्रजों का हार्दिक आभार एवं अभिनन्दन  न कोई आह लबों पे न ही सदा कोईख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने सुदूर सरहदों पे इक ग़ज़ल सिसकती हैख़ुशी के…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से मेरी पूर्ण सहमति है , आदरणीय बागपतवी जी अनुभवी ग़ज़ल कार हैं | "
Friday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और अद्भुत है ओ बी ओ मंच जहाँ ये चरितार्थ हो रहा अब तो मुश्किल ये आन पड़ी है कि चुना क्या जाये एक से बढ़ के एक सुझाव हैं आप सभी विभूतियों के और लालच भी हो रहा…"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही है, एक विकल्प और सही -  किसे जगा के सुनाएँ उदास हैं कितने सितारे, चाँद, हवाएँ उदास हैं कितने..."
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने  साथ ही, यह सोचने-विचारने के लिए कुछ और आयाम भी प्रशस्त करता दीख रहा है। जैसे, उला-सानी मिसरे को, देखिए, यदि…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने  ... ठीक लग रहा है , मुझे भी एक हल सूझ है , अगर ठीक लगे तो किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेहमी को हम ही बताएं उदास हैं कितने   --- अगर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ. धामी  जी  मतले को ऐसा कहें तो? किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
May 7
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी के साथ कहना चाहूँगा कि मेल सिर्फ पोस्ट एप्रूवल का ही मिला । कुछ सुधार का प्रयास करता हूँ...सादर "
May 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा लगता है आपने मेल देखा ही नहीं होगा.  प्रयासरत रहें  शुभ-शुभ"
May 7
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए जल्द ही कुछ सुधार का प्रयास करूँगा।"
May 7
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश जी आदरणीय धामी जी से पूर्णतया सहमत हूँ बस थोड़ी उत्सुकता है जिसे पहले कमेंट में लिखा है। "
May 7
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये दोष इतना बारीक़ नहीं है कि नज़र न पड़े लेकिन सच यही है कि आपके इंगित करने पे ही ध्यान में आया।  ये साफ तौर से मेरी लापरवाही है उसके लिए क्षमा…"
May 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं तो "हवाओ" करने से दोष हट जायेगा। यदि इनके उदास होने की बात कर रहे हैं तो जैसे गुणीजन कह रहे हैं क्रिया में लिंग दोष आ रहा है देखिएगा।"
May 6

Profile Information

Gender
Male
City State
noida
Native Place
jhansi

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ

मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212  1122  1212  112/22 

 

किसे जगा के बताएं उदास हैं कितने

सितारे,चाँद, हवाएं  उदास  हैं कितने

न कोई आह लबों पे न ही सदा कोई

ख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने

सुदूर सरहदों पे इक ग़ज़ल सिसकती है

ख़ुशी के गीत न गाएं, उदास  हैं कितने

 

क़ज़ा खड़ी है यहीं सामने शिफ़ा लेकर

हमीं न दार पे  जाएं, उदास हैं कितने



रखो न ज़ेहन को अय जान…

Continue

Posted on May 5, 2025 at 2:30pm — 17 Comments

ग़ज़ल...मैं नहीं हूँ

बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122 2122 2122



सिर्फ उसकी याद आयी मैं नहीं हूँ

या'नी मेरे साथ में भी मैं नहीं हूँ



वो जमीं पे चाँद जैसी और उसकी

कू-ब-कू है रौशनाई मैं नहीं हूँ



गीत उसका राग उसके बज़्म उसकी

वो ग़ज़ल में भी समाई मैं नहीं हूँ



वो नहीं तस्वीर मेरी अय मुसव्विर

और जो तुमने बनायी मैं नहीं हूँ



जिस छुअन का हो रहा अहसास तुमको

वो हवा की है रवानी मैं नहीं हूँ

(मौलिक एवं… Continue

Posted on December 27, 2023 at 6:40pm — 2 Comments

ग़ज़ल

212 212 212 212

मैं उसी मोड़ पर सोचता रह गया

वो गया याद का सिलसिला रह गया



उसके होंठो पे कुछ बात सी रह गयी

मेरे मन में भी कुछ अनकहा रह गया



देख कर सब मुझे बात करने लगे

हाय क्या शख़्स था और क्या रह गया



आज फिर आँखों में है नमी अज़नबी

आज फिर आइना ताकता रह गया



मिट गया प्यार मायूस नाकाम हो

प्यार का दर्द लेकिन बचा रह गया



कहकहों से भरी चाँद की महफ़िलें

इक चकोरा उसे टेरता रह गया



दोस्त दामन बचाकर बिछड़ते…

Continue

Posted on April 21, 2023 at 8:00am — 2 Comments

ग़ज़ल-रफ़ूगर

121 22 121 22 121 22



सिलाई मन की उधड़ रही साँवरे रफ़ूगर

कि ज़ख्म दिल के तमाम सिल दे अरे रफ़ूगर



उदास रू पे न रंग कोई उदास टांको

करो न ऐसा मज़ाक तुम मसखरे रफ़ूगर



हज़ार ग़म पे छटाक भर की ख़ुशी मिली है

तुझे अभी कुछ पता नहीं मद भरे रफ़ूगर



कहीं पलक से टपक न जाये हरेक आँसू

भला हो तेरा न और दे मशविरे रफ़ूगर



यही भरोसा है एक दिन फिर से आ मिलेंगे

यहीं कहीं खो गये सभी आसरे रफ़ूगर



कि 'ब्रज' इसी इक उधेड़बुन में रहे हमेशा…

Continue

Posted on February 2, 2023 at 9:30pm — 5 Comments

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At 6:59pm on October 24, 2017, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

स्वागत है आदरणीय ,  आपको मित्र के रूप में पाना मेरा सौभाग्य है .

At 11:43pm on November 17, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

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