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मनोज अहसास
  • 40, Male
  • saharanpur uttar pradesh
  • India
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"भाई मनोज अहसास जी, आपकी प्रस्तुति का हार्दिक धन्यवाद।  गजल कही जाती है, लिखते तो हम आप हैं।   यह गजल कुछ और समय चाहती है।  शुभ-शुभ  "
May 22
Nilesh Shevgaonkar commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ. मनोज जी,मतले के दोनों मिसरों में अंतर्संबंध कम है ..  डगमगाते दौर... यह पहली बार पढ़ने में आया है .. आश्वस्त नहीं हूँ .कैसे कोई पढ़ सकेगा  मैं जो लिख पाया नहीं.अब अगर तुम आ भी जाओ तो भी क्या हो जाएगामैं नहीं मैं तुम नहीं तुम वक़्त…"
May 18
Nilesh Shevgaonkar commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ मनोज जी, अभी विस्तृत टिप्पणी नहीं कर पा रहा हूं। संक्षेप में यह कि बहर 11212, 11212, 11212, 11212 के करीब है। दूसरे, मुझे भूलने का ख़्याल क्यूं, यह आधा मिसरा पूरी ग़ज़ल में बढ़ा हुआ है। न भी होता तो भी ग़ज़ल पूरी हो जाती। सादर"
May 18

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आदरणीय मनोज अहसास जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं.  प्रचलित हिंदी और देवनागरी में 'ज्यादा'  शब्द रूप घुल मिल गया है. अब तो ये स्थिति है कि अगर जियादः लिखेंगे तो साथ में अर्थ भी देने की…"
May 16
Rachna Bhatia commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आदरणीय मनोज अहसास जी अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें। मतले में सहीह लफ़्ज़ जियाद: है जिसका वज़्न 122 होता है। 4 में अगर उचित लगे तो "अब तुम्हारे लौटकर आने से क्या हो जाएगा" भी कर सकते हैं "
Apr 26
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122   2122    2122   212हमने तो मुद्दत से उनका ख्वाब भी देखा नहींलग रहा है इस दिए में तेल अब ज्यादा नहींज़िन्दगी का क्या भरोसा डगमगाते दौर मेंआप तक ले जाये ऐसा तो कोई रस्ता नहींशायरी भी बोझ दिल का बन गयी है दोस्तोवो कोई कैसे पढ़ेगा जो मैं लिख सकता नहींतुम अगर आ जाओ अब भी तो ही क्या हो जाएगामैं नहीं,तुम भी नहीं वो,वक़्त भी वैसा नहींएक सूरत लेकिन अब भी है मेरे उद्धार कीपर सिवा तेरे किसी में ध्यान भी लगता नहींटूटे हाथों से सजाऊँ कैसे घर के फर्श कोतुमने बरसों से कदम घर में मेरे रक्खा नहींआखिरी दीदार…See More
Apr 26
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

एक ताज़ा ग़ज़ल जो अधूरी लगती है122 122 1212 122 122 1212मेरे साथ लम्हें गुज़ार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों? मुझे इस भंवर से उबार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?भले आज तुझसे मैं दूर हूँ, किसी बेबसी का सुरूर हूँमुझे फिर से दिल में उतार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?मैं तेरी नज़र का करार था ,तेरे सूने मन की बहार था।मुझे गौर से तो निहार ले ,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?मुझे देख ले फिर उसी तरह,मेरे पास आजा किसी तरहमुझे चाँद कह के पुकार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?नहीं हो सका वो मिलन तो क्या,बुझी दिल से ग़म की…See More
Apr 18
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122 1122 1122 22उठ के चल राह में तू मेरी उजाले कर देया कि चुपचाप मुझे मेरे हवाले कर देतुझको पीना है मेरा खून अभी मुद्दत तकमेरे हिस्से में भी दो चार निवाले कर देअपनी तकदीर से ज्यादा तुझे शक है मुझपरमेरे पीछे तू कईं देखने वाले कर देये भी मुमकिन है बदल दे मुझे रस्तों का मिजाज़ये भी मुमकिन है तेरे पाँवों में छाले कर देतोड़ डाला है हवाओं ने भरम मेरा तो कहीं ये दौर तेरे हाथ न काले कर देमुझको मालूम है तू फिर से मुकर जाएगामेरी कश्ती को हवाओं के हवाले कर देछुप के बैठा हूँ मैं अपना यहाँ पे ग़म लेकरमेरे…See More
Apr 14
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई।  यह मिसरा बह्र में नहीं है देखिएगा- तेरी रहमत मुझे मिल जाता है सब्र ओ करार,"
Apr 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए
"आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।  यह मिसरा लय में नहीं है देखिएगा -पार तो कर दी हैं तुमने सब हदें तहजीब की"
Apr 2
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122   2122   2122  212तुम हमारे दौर के इक रहनुमा हो तो हँसों।नाच कठपुतली का जग में हो रहा देखो हँसों।1इश्क़ वालों ने किसी भी दौर में पाया न चैन,सूखी आँखों से सभी की दास्तां लिक्खो, हँसों।2मुझको दिल से है ज़रूरत अपने घर की छांव की,मेरे पथ में बिछ चुके हर खार को देखो,हँसों।3घर किसी का तोड़ने फिर आ गई है वो मशीन,खूब दिल से ये तमाशा देखने वालों हँसों ।4चूर हो जाओगे तुम टकरा के इन दीवारों से,इससे अच्छा है कि इनकी छांव में बैठो,हँसों ।5बीते कल में सारी कोशिश से निकालो ऐब सब,और नए इस दौर में जुगनू भी…See More
Apr 1
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"वाह वाह आदरणीय मनोज जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही..."
Mar 31
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,एक तो शै है जो निश्चित ही कभी मेरी न हो।मेरे दिल का कतरा कतरा रो रो कहता है मुझे,ऐसी कोई रग नहीं जो आपने तोड़ी न हो।चल ज़माने अब…See More
Mar 25
मनोज अहसास commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार सादर"
Mar 24
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 23
मनोज अहसास posted a blog post

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

1222×4एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगावफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आतामैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आतातुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं आताज़माने वाले अक्सर कहते है मैं अच्छा लिखता हूँ बस उसके होठों पे एक लफ्ज़ बेहतर तक नहीं आताअब इतनी दूर ला पटका है रोटी की ज़रूरत ने…See More
Mar 23

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saharanpur uttarpradesh
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Profession
Teaching
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Gazal sikhna chhahta hu

मनोज अहसास's Blog

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122   2122    2122   212

हमने तो मुद्दत से उनका ख्वाब भी देखा नहीं

लग रहा है इस दिए में तेल अब ज्यादा नहीं

ज़िन्दगी का क्या भरोसा डगमगाते दौर में

आप तक ले जाये ऐसा तो कोई रस्ता नहीं

शायरी भी बोझ दिल का बन गयी है दोस्तो

वो कोई कैसे पढ़ेगा जो मैं लिख सकता नहीं

तुम अगर आ जाओ अब भी तो ही क्या हो जाएगा

मैं नहीं,तुम भी नहीं वो,वक़्त भी वैसा नहीं

एक सूरत लेकिन अब भी है मेरे उद्धार की

पर सिवा तेरे किसी में ध्यान भी…

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Posted on April 25, 2023 at 11:43pm — 4 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

एक ताज़ा ग़ज़ल जो अधूरी लगती है

122 122 1212 122 122 1212

मेरे साथ लम्हें गुज़ार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मुझे इस भंवर से उबार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

भले आज तुझसे मैं दूर हूँ, किसी बेबसी का सुरूर हूँ

मुझे फिर से दिल में उतार ले,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मैं तेरी नज़र का करार था ,तेरे सूने मन की बहार था।

मुझे गौर से तो निहार ले ,मुझे भूलने का ख्याल क्यों?

मुझे देख ले फिर उसी तरह,मेरे पास आजा किसी तरह

मुझे चाँद कह के पुकार ले,मुझे भूलने…

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Posted on April 18, 2023 at 11:17pm — 1 Comment

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122 1122 1122 22

उठ के चल राह में तू मेरी उजाले कर दे

या कि चुपचाप मुझे मेरे हवाले कर दे

तुझको पीना है मेरा खून अभी मुद्दत तक

मेरे हिस्से में भी दो चार निवाले कर दे

अपनी तकदीर से ज्यादा तुझे शक है मुझपर

मेरे पीछे तू कईं देखने वाले कर दे

ये भी मुमकिन है बदल दे मुझे रस्तों का मिजाज़

ये भी मुमकिन है तेरे पाँवों में छाले कर दे

तोड़ डाला है हवाओं ने भरम मेरा तो

कहीं ये दौर तेरे…

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Posted on April 13, 2023 at 11:22pm

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

2122   2122   2122  212

तुम हमारे दौर के इक रहनुमा हो तो हँसों।

नाच कठपुतली का जग में हो रहा देखो हँसों।1

इश्क़ वालों ने किसी भी दौर में पाया न चैन,

सूखी आँखों से सभी की दास्तां लिक्खो, हँसों।2

मुझको दिल से है ज़रूरत अपने घर की छांव की,

मेरे पथ में बिछ चुके हर खार को देखो,हँसों।3

घर किसी का तोड़ने फिर आ गई है वो मशीन,

खूब दिल से ये तमाशा देखने वालों हँसों ।4

चूर हो जाओगे तुम टकरा के इन…

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Posted on April 1, 2023 at 12:04am — 1 Comment

Comment Wall (10 comments)

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At 9:21pm on October 23, 2015, DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' said…

शुक्रिया मनोज जी |

At 3:57pm on July 28, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
बहुत बहुत स्वागत आदरणीय मनोज भाई जी
At 3:13pm on July 3, 2015, Rajat rohilla said…
धन्यवाद मनोज जी
At 11:40pm on July 1, 2015, Sandeep Kumar said…

आपका हार्दिक आभार :)

At 3:51pm on June 29, 2015, pratibha pande said…

 आभार 

At 11:10am on June 18, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आ० मनोज जी

सर्वश्रेष्ठ लेखन कभी भी आसान नहीं होता . आपको इस सम्मान के लिये मेरी और  से बधाई . सादर .

At 10:37pm on June 17, 2015,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "मेरी बेटी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 10:02am on May 28, 2015, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय मनोज जी
सादर!

At 11:15am on April 30, 2015, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

जिंदगी की कशमकश  व्यक्त करती अच्छी गजल। प्रयास अच्छा है

जय  श्री राधे
भ्रमर ५

At 9:03pm on April 14, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है !
 
 
 

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