धर्म निर्पेक्षता का नारा बुलंद करने बाले
आम आदमी का नाम लेने बाले
किसान पुत्र नेता
दलित की बेटी
सदी के महा नायक
क्रिकेट के भगबान
सत्यमेब जयते की घोष करने बाले
घूम घूम कर चैरिटी करने बाले सेलुलर सितारें
अरबों खरबों का ब्यापार करने बाले घराने
त्रासदी के इस समय में
पीड़ित लोगों को नजर
क्यों नहीं आ रहे .
किस ज़माने की बात करते हो
रिश्तें निभाने की बात करते हो
अहसान ज़माने का है यार मुझ पर
क्यों राय भुलाने की बात करते हो
जिसे देखे हुए हो गया अर्सा मुझे
दिल में समाने की बात करते हो
तन्हा गुजरी है उम्र क्या कहिये
जज़्बात दबाने की बात करते हो
गर तेरा संग हो गया होता "मदन "
जिंदगानी लुटाने की बात करते हो
मौलिक और अप्रकाशित
मदन मोहन सक्सेना
Posted on September 27, 2016 at 12:00pm — 2 Comments
अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल
कुछ…
ContinuePosted on August 4, 2016 at 1:03pm — 3 Comments
चंद शेर आपके लिए
एक।
दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है
जब दर्द को दबा जानकार पिया मैंने
दो.
वक्त की मार सबको सिखाती सबक़ है
ज़िन्दगी चंद सांसों की लगती जुआँ है
तीन.
समय के साथ बहने का मजा कुछ और है यारों
रिश्तें भी बदल जाते समय जब भी बदलता है
चार.
जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी
बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था
"मौलिक व अप्रकाशित"
प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
Posted on February 24, 2016 at 12:09pm — 3 Comments
अब समाचार ब्यापार हो गए
किसकी बातें सच्ची जानें
अब समाचार ब्यापार हो गए
पैसा जब से हाथ से फिसला
दूर नाते रिश्ते दार हो गए
डिजिटल डिजिटल सुना है जबसे
अपने हाथ पैर बेकार हो गए
रुपया पैसा बैंक तिजोरी
आज जीने के आधार हो गए
प्रेम ,अहिंसा ,सत्य , अपरिग्रह
बापू क्यों लाचार हो गए
सीधा सच्चा मुश्किल में अब
कपटी रुतबेदार हो गए
मौलिक और अप्रकाशित
मदन मोहन सक्सेना
Posted on October 8, 2015 at 2:30pm — 2 Comments
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नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
सुक्रिया आप का
आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय सक्सेना जी।
सादर
आदरणीय, मेरी मित्र सूची में आपका हार्दिक स्वागत है