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सुरूर है या शबाब है ये
के जो भी है ला जवाब है ये
फ़क़ीर की है या पीर की है
के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये
कज़ा है अगर सरक गया तो
जो चेहरे पे नकाब है ये
अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी
न पूछो की क्या जनाब है ये
कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म
बस एक ऐसी किताब है ये
हैं अश्क से आज चश्म जो नम
महब्बतों का हिसाब है ये
न जाने कोई है माज़रा क्या
की…
ContinuePosted on May 22, 2022 at 8:00am — 6 Comments
२२१ २१२१ १२२१ २१२
पाकर जिसे हयात हवालात हो गई
इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई
कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम
कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई
अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से
बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई
इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा
फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई
कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी
रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई
मौलिक व…
ContinuePosted on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments
1222 1222 1222 1222
हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है
कोई तो है हरी सी घास पर शबनम लगाता है
कहीं सुनता नहीं महफ़िल में भी अब दर्द ए दिल कोई
किसे आवाज वीराने में तू हमदम लगाता है
अज़ब है वाक़िया या रब अज़ब साकी मिला दिल को
नमक ज़ख़्मों पे दिल के किस क़दर पैहम लगाता है
धुआँ होकर निकलती हैं ये साँसें दिल के अंदर से
किसी की याद में दिल दम व दम फिर दम लगाता…
ContinuePosted on January 15, 2022 at 3:00pm
2122 2122 212
आख़िरश वो जिसकी ख़ातिर सर गया
इश्क़ था सो बे वफ़ाई कर गया
आरज़ू-ए-इश्क़ दिल में रह गई
जुस्तजू-ए-इश्क़ से दिल भर गया
दिल की दुनिया दर्द का बाजार है
दर-ब-दर…
ContinuePosted on January 13, 2022 at 12:30pm — 6 Comments
आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।
मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।
जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।
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