For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Aazi Tamaam
  • Male
  • Bareilly, UP
  • India
Share on Facebook MySpace

Aazi Tamaam's Friends

  • Mamta gupta
  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Rachna Bhatia
  • शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Samar kabeer
  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
  • Anita Maurya
  • Saurabh Pandey
 

Aazi Tamaam's Page

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"शुक्रिया आ ग़ज़ल पर इस्लाह करने व हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए सादर जी अशआर सुधार करते करते जियादा हो गये हैं मतला बनाने की कोशिश जारी है"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी शुक्रिया आ ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिये सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"शिफ़ा कोई जादू भरी भेज दे न हो गर दुआ क़ुदरती भेज दे भेज दे कई साल से यूँ ही ख़ामोश हूँ लबों पर ज़रा सी हँसी भेज दे चमन में बहुत तीरगी है ख़ुदा नज़र को मिरी रौशनी भेज दे अकेला चला तो भटक जाऊँगा सफ़र तल्ख़ है हमरही भेज दे बहुत ऊब आया है अपनों से…"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल तक आने व नज़र ए करम करने के लिए सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी सहृदय शुक्रिया आ इस्लाह व मार्गदर्शन करने के लिए सादर क्या मतला कुछ ऐसे हो सकता है गौर फरमाइये- "है जिसकी जिगर में कमी भेज दे लबों पर ज़रा सी हँसी भेज दे""
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी शुक्रिया आ ग़ज़ल तक आने व हौसला अफ़ज़ाई के लिए सुधार करने का प्रयास किया था गुणीजनों की इस्लाह का इंतज़ार है सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"आ ग़ज़ल में सुधार करने की कोशिश की है कृपया नज़र ए इनायत फ़रमायें सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"आ ग़ज़ल में सुधार करने की कोशिश की है कृपया नज़र ए इनायत फ़रमायें सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई लेकिन  " नहीं कोई बख्शीश का समां ख़ुदा " की बह्र समझ नहीं आई"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है गुणीजनों की इस्लाह और निखार देगी सादर"
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ क्या वाडनगर भी सच्चाई का प्रतीक है? "
Oct 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ अच्छी कोशिश है गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी सादर"
Oct 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें क्या साबरमती सच्चाई का प्रतीक है आ? "
Oct 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ ख़ूब ग़ज़ल हुई सादर"
Oct 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ अच्छी ग़ज़ल कही मतला पर गुणीजनों की इस्लाह काबिल ए गौर है सादर"
Oct 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160
"जी आ अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह काबिल ए गौर है सादर"
Oct 27

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
CHANDAUSI
Profession
Poet, Lawer, Engineer
About me
Poetic Nature

Aazi Tamaam's Photos

  • Add Photos
  • View All

Aazi Tamaam's Blog

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

2122 1212 22

फ़स्ल-ए-गुल है समाँ है मस्ताना

आज फिर दिल हुआ है दीवाना

यूँ तो हर आँख में नशा लेकिन

उनकी आँखों में पूरा मयखाना

जबसे आये हैं उनको महफ़िल में

भूल बैठे…

Continue

Posted on December 11, 2022 at 9:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल: सुरूर है या शबाब है ये

12112 12112

सुरूर है या शबाब है ये

के जो भी है ला जवाब है ये

फ़क़ीर की है या पीर की है

के चश्म जो आब-ओ-ताब है ये

कज़ा है अगर सरक गया तो

जो चेहरे पे नकाब है ये

अजीब है सफ़ह-ए-ज़िंदगी भी

न पूछो की क्या जनाब है ये

कभी है ख़ुशी तो है कभी ग़म

बस एक ऐसी किताब है ये

हैं अश्क से आज चश्म जो नम

महब्बतों का हिसाब है ये

न जाने कोई है माज़रा क्या

की…

Continue

Posted on May 22, 2022 at 8:00am — 10 Comments

ग़ज़ल: इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

२२१ २१२१ १२२१ २१२

पाकर जिसे हयात हवालात हो गई

इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम

कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई

अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से

बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई

इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा

फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई

कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी

रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई

मौलिक व…

Continue

Posted on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments

ग़ज़ल: हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है

1222 1222 1222 1222

हर इक दिन इन फ़ज़ाओं में नई अल्बम लगाता है

कोई तो है हरी सी घास पर शबनम लगाता है

कहीं सुनता नहीं महफ़िल में भी अब दर्द ए दिल कोई

किसे आवाज वीराने में तू हमदम लगाता है

अज़ब है वाक़िया या रब अज़ब साकी मिला दिल को

नमक ज़ख़्मों पे दिल के किस क़दर पैहम लगाता है

धुआँ होकर निकलती हैं ये साँसें दिल के अंदर से

किसी की याद में दिल दम व दम फिर दम लगाता…

Continue

Posted on January 15, 2022 at 3:00pm

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:08pm on January 16, 2021, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन । मेरी गजलें आपको अच्छी लगीं यह हर्ष का विषय है । आपके इस स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

मंच पर अपनी रचनाओं का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करें और अन्य रचनाकारों का भी अपनी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन करते रहिए ।

At 8:15pm on January 12, 2021, Samar kabeer said…

जनाब आज़ी साहिब,तरही मुशाइर: में शामिल सभी ग़ज़लों पर लाइव ही तफ़सील से गुफ़्तगू होती है, शिर्कत फ़रमाएँ, और कोई उलझन हो तो मुझसे 09753845522 पर बात कर सकते हैं ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post पूजा बता रहे हैं
"आ0 अखिलेश  कृष्ण  श्रीवास्तव  जी, पटल पर आपकी अधूरी प्रतिक्रिया देख पा रही हूँ। जो…"
20 hours ago
Usha Awasthi posted a blog post

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं उषा अवस्थीपाले हैं,यौन कुंठापूजा बता रहे हैंन जाने ऐसे लोग किस राह जा रहे हैं?रचते…See More
22 hours ago
Euphonic Amit commented on Samar kabeer's blog post 'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'
"बिहतरीन ग़ज़ल आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम। वाहह वाह। सादर चरण स्पर्श "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Tuesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Monday
दिनेश कुमार posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Dec 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Nov 30

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Nov 30

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service