For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तोमर छंद

(परिभाषा )

तोमर छंद एक मात्रिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ होती हैं |  पहले और दुसरे चरण के अन्त में तुक होता है, और तीसरे और चौथे चरण के अन्त में भी तुक होता है |  इसके अंत में एक गुरु व एक लघु अनिवार्य होता है | श्रीराम चरित मानस  में तीन स्थानों पर आठ-आठ (कुल २४) तोमर छन्दों का प्रयोग है |

ये तीन स्थान हैं……..

१. अरण्यकाण्ड में खर, दूषण, त्रिशिरा और १४००० राक्षसों की सेना के साथ प्रभु श्रीराम का युद्ध (३.२०.१ से ३.२०.८) -

तब चले बान कराल | फुंकरत जनु बहु ब्याल |
कोपेउ समर श्रीराम | चले बिशिख निशित निकाम ||

२. युद्धकाण्ड में रावण का मायायुद्ध

(६.१०१.१ से ६.१०१.८)

जब कीन्ह तेहिं पाषंड | भए प्रगट जंतु प्रचंड ||
बेताल भूत पिशाच | कर धरें धनु नाराच ||

३. युद्धकाण्ड में वेदवतीजी के अग्निप्रवेश और सीताजी के अग्नि से पुनरागमन के पश्चात् इन्द्रदेव द्वारा राघवजी की स्तुति

(६.११३.१ से ६.११३.८)

जय राम शोभा धाम | दायक प्रनत बिश्राम ||
धृत तूण बर शर चाप | भुजदंड प्रबल प्रताप ||


गुरु-तोमर छंद

तोमर छंद का वह रूप जो उसके प्रत्येक चरण के अन्त में दो मात्राएँ बढ़ाने से बनता है अथवा एक छंद जो तोमर छंद के अंत में दो मात्राएँ रख देने से बन जाता है ।

जैसे,—

सल औ प्रसेन पुकारि कै । लरते भये धनु धारि कै ||

रचनाकार: ज्ञात नहीं 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 5171

Replies to This Discussion

तोमर छंद -

//इसके अंत में एक लघु व एक गुरु अनिवार्य होता है //

क्या यह गुरुतोमर छंद की ही कुछ-कुछ परिभाषा नहीं है आदरणीय ? क्यों कि गुरुतोमर छंद की यही अनिवार्यता है, एक लघु और एक गुरु. आपने उदाहरण सदृश जो छंद प्रस्तुत किये हैं वह आखिरी में एक लघु + एक गुरु की अनिवार्यता को नहीं मानते, बल्कि इसके उलट को मानते हैं. 

आदरणीय,  कृपया शंका समाधान करें.

इसे इंगित करने के लिए धन्यवाद भाई सौरभ जी !टाइप करते समय संभवतः ध्यान भटक जाने से गुरु की जगह लघु व लघु की जगह गुरु टाइप हो गया था जिसे सुधार दिया गया है !

शंका समाधान हेतु आपका आभार.

आभारी तो हम हैं भाई जो आपने इसे इंगित किया :-)

जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब आदाब, तोमर छन्द के बारे में आज ही पता चला,बहुत उम्द: जानकारी दी आपने इसके लिए धन्यवाद ।

गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए-

रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।।

चल ब्रज सखा के आसरे। नित नेह धारे सांवरे।।

कर धर अधर पर बांसुरी। मन मोहती मुख माधुरी।।

सुन प्रेम रस जो ना चखी। वह तो अभागिन है सखी।।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश नूर भाई। बहुत बधाई "
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आभार रक्षितासिंह जी    "
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"अच्छे दोहे हुए हैं भाई लक्ष्मण धामी जी। एक ही भाव को आपने इतने रूप में प्रकट किया है जो दोहे में…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, दोहों पर उपस्थिति, और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
10 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय !"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"बहुत खूब आदरणीय,  "करो नहीं विश्वास पर, भूले से भी चोट।  देता है …"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय,  सत्य कहा आपने । निरंतर मनुष्य जाति की संवेदनशीलता कम होती जा रही है, आज के…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, एक सार्वभौमिक और मार्मिक रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सादर प्रणाम,  आदरणीय"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service