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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-143

विषय - "अधूरी कहानी"

आयोजन अवधि- 17 सितम्बर 2022, दिन शनिवार से 18 सितम्बर 2022, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 17 सितम्बर 2022, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक

ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

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स्वागतम

सादर अभिवादन। 

गजल (अधूरी कहानी)
*
१२२×४
*
किसी की मुहब्बत  अधूरी कहानी
किसी की सियासत अधूरी कहानी।१।
*
अकेले मिले खूब हँसकर गले लग
सभा की  अदावत  अधूरी कहानी।२।
*
कभी हाथ मौका न आया तो अच्छा
मिला  गर  सराफत  अधूरी  कहानी।३।
*
इसी ने दिया नित बहाना मिलन का
कि तन  की  हरारत  अधूरी कहानी।४।
*
खिला खूब चारा हलाली करे नित
जहाँ  की  इनायत  अधूरी कहानी।५।
*
भरा जह्र निज में न छोड़े किसी को
कि नागिन नजाकत अधूरी कहानी।६।
*
मौलिक/अप्रकाशित

किसी की मुहब्बत अधूरी कहानी
किसी की सियासत अधूरी कहानी।१।.......वाह ! सही कहा है.

आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त विषय पर खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आपकी.बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.

आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

कुडण्लिया छंदः अधूरी कहानी

( 1 )

अधूरा ..आदमी रहा, पूर्ण मात्र भगवान ।
तड़प ..अधूरापन कहीं, देती हमे उड़ान।।
देती... हमें ..उड़ान, प्रेरणा डग भरने की ।
जाँचते फिर वकार, लोग क्षमता जो बाकी।।
कह चेतन कविराय,कला सोलह जो पूरा ।
है राधा का कृष्ण, शेष सब जगत अधूरा ।।
, ( 2 )

अधूरी ..कहानी ...रही, जब भी कही विलास ।
श्रम अनिवार्य विकास, छोड़ो जगत हुलास ।।
छोड़ो . जगत ..हुलास, और वो ता था थैया ।
मित्र बने हों खास ,कह सको जिनको भैया ।।
कह चेतन कविराय, हो सके सफल जवानी ।
रहे नहीं वो कसक, कही..अधूरी. ..कहानी ।।

( 3 )

कहानी.. अधूरी.. लिखी, जगत ..बना.. है श्राप ।
लोभ क्रोध पद मोह मद, कई ..तरह ..के ..पाप।।
कई ...तरह ...के ...पाप, टूटते ...ईश - कृपा.. ही।
यत्न ..करो.. कुछ स्वयं, फूंक दो खुद आपा ही ।।
कह ...चेतन.. कविराय, तब ..कहीं.. होगी पूरी ।
गयी.. जो ...विश्व छूट, जग ..कहानी ..अधूरी ।।

मौलिक व अप्रकाशित
17-09-2022, बड़ौत

 (3)  अंतिम पक्ति, " गयीं जो विश्व छूट, जगत कहानी अधूरी " पढ़े, कृपया! 

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त विषय पर सुन्दर रचनाएं.सादर

                      अधूरी कहानी

 

कहते रहो तुम अपनी जुबानी । 

पूरी हुई ना अधूरी कहानी ।।

रहे भागते जिद्द के पीछे हमेशा ।

बहा मेरा बचपन बीती जवानी ।।

सूखा पड़ा था वो सावन महीना ।

सूखे थे कंठे था नयनों में पानी ।।

छाने लगा मुझको मस्ती का आलम ।

न कोई रुकावट न कोई था सानी ।।

भूले वो बातें बीती वो रातें ।

जहां मैं था राजा वहां तुम थी रानी ।।

कहते रहो तुम अपनी जुबानी ।

पूरी हुई ना अधूरी कहानी ।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

 

 

कहते रहो तुम अपनी जुबानी । 

पूरी हुई ना अधूरी कहानी ।।.......... वाह ! प्रदत्त  विषय पर अच्छी रचना हुई है आपकी.सादर

आ. भाई सुरेश जी, प्रदत्त विषय पर सुन्दर रचना हुई ।हार्दिक बधाई।

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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