परम आत्मीय स्वजन
75वें तरही मुशायरे का संकलन हाज़िर कर रहा हूँ| मिसरों को दो रंगों में चिन्हित किया गया है, लाल अर्थात बहर से खारिज मिसरे और हरे अर्थात ऐसे मिसरे जिनमे कोई न कोई ऐब है|
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ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
अगर मैं बात सच कहता हक़ीक़त और हो जाती
मेरे महबूब को मुझसे शिकायत और हो जाती
सुकूने दिल भी मिलता कुछ इबादत और हो जाती
अगर क़ुरआन की थोड़ी तिलावत और हो जाती
जनाज़े को मेरे कान्धा लगाने वो भी आ जाते
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती
तुम्हारा नाम आने से तो महफ़िल में क़यामत है
अगर तुम सामने आते क़यामत और हो जाती
तुझे जन्नत में आलीशान रुतबा मिल गया होता
अगर माँ-बाप से शफ़क़त मोहब्बत और हो जाती
किसी टूटे हुए दिल को कहाँ तू जोड़ सकता है
अगर तू जोड़ भी देता मुसीबत और हो जाती
ज़माने भर को समझाने कहाँ जाओगे ऐ गुलशन
मोहब्बत पे ग़ज़ल लिखते तो शोहरत और हो जाती
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Samar kabeer
मुहब्बत में ज़रा शामिल अक़ीदत और हो जाती
दिल-ए-नाकाम तेरी क़द्र-ओ-क़ीमत और हो जाती
ये सच है आपके दर से जो निस्बत और हो जाती
ज़माने में हमारी शान-ओ-शौकत और हो जाती
तिरे दीदार से हम भी मुशर्रफ़ हो गये होते
अगर इक साँस भी लेने की मुहलत और हो जाती
सर-ए-फ़हरिस्त अच्छे शाइरों में हम नज़र आते
ग़ज़ल कहने पे हासिल थोड़ी क़ुदरत और हो जाती
हमारे ही लिये हैं सारे अहकाम-ए-ख़ुदा वन्दी
जहाँ वाइज़ ख़ता करता शरीअत और हो जाती
नवाज़ा है मुझे तूने हर इक शय से मिरे मौला
ये हसरत है मदीने की ज़ियारत और हो जाती
हमारे मंच संचालक महोदय से ज़रा कहदो
मज़ा आता अगर उनकी भी शिर्कत और हो जाती
तुम आये हाल-ए-दिल पूछा, तसल्ली भी ज़रा देते
"जहाँ सब कुछ हुवा इतनी इनायत और हो जाती"
"समर" हम दास्तान-ए-इश्क़ जो अपनी रक़म करते
मज़ा दुनिया को आता,इक हिकायत और हो जाती
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गिरिराज भंडारी
सियासत की अगर नज़र-ए- इनायत और हो जाती
पता मजहब का चल जाता, सियासत और हो जाती
वफा होती अगर उनमें, ये दिक्कत और हो जाती
कि, उनके वस्ल की हमको भी आदत और हो जाती
अगर फूलों की , पत्तों की बग़ावत और हो जाती
बहारों को ख़जाँ होने की मुहलत और हो जाती
वो पत्थर दिल नहीं, पत्थर हैं, आईनों ! ज़रा समझो
तुम्हें वो तोड़ देते गर शराफत और हो जाती
मेरी तनहाइयों को, मेरी सरगोशी से नफ़रत है
तुम आते तो, खमोशी को शिकायत और हो जाती
चलो अच्छा हुआ केवल सुने, देखे नहीं हैं हम
वगरना छद्म किरदारों से नफरत और हो जाती
तेरे इनकार ने ही क्या दिये हैं मसअले सारे ?
तेरे इक़रार से क्या मेरी क़िस्मत और हो जाती ?
उड़ाने तेरे ख़्वाबों की यक़ीकन अर्श छू लेतीं
अमल में गर तेरे रूहानी शिद्दत और हो जाती
कफन भेजे ज़रा सी आग, लकड़ी और भिजवा दें
‘’जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती "
अगर तिश्ना लबों के हाथ में पानी दिये होते
कई लब मुस्कुरा देते इबादत और हो जाती
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Tasdiq Ahmed Khan
अकेले में अगर साहब सलामत और हो जाती ।
ख़यालों में क़राबत वक़्ते रुख़्सत और हो जाती ।
वो गर आते इयादत को तो ज़िल्लत और हो जाती ।
निक़ाबे रुख़ उलट देते कियामत और हो जाती ।
गली में आते आते वह अगर घर पर भी आजाते
मेरी बरसों की पूरी एक हसरत और हो जाती ।
मैं उनके रु बरु ,महफ़िल में बोला ही नहीं वरना
मेरी गुस्ताख़ियों में एक जुरअत और हो जाती ।
मेरी यादों को भी मेरी तरह दिल से भुला देते
जहां सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती ।
अगर गुस्ताख़ नज़रों को नहीं मैं रोकता यारो
जुनूने इश्क़ में फिर कोई हरकत और हो जाती ।
अगर अहबाब कर देते मेरे महबूब को बद ज़न
मुहब्बत में शुरुआते अदावत और हो जाती ।
ख़याल आया यही बर्बाद दिल में तुम भी हो वरना
हमारे साथ जलकर एक रिहलत और हो जाती ।
मना ले ख़ैर, गुल महफूज़ हैं सब बाग़बाँ वरना
तेरे गुलशन में अब तक इक बग़ावत और हो जाती ।
अगर बदला वफ़ा का बे वफाई से न वह देते
हमारी ज़िन्दगी में इक करामत और हो जाती ।
नज़र उनसे मिली तस्दीक़ मेरी नागहां वरना
गिले शिकवे में शामिल इक शिकायत और हो जाती ।
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Gurpreet Singh
ज़रा सी मुझ से जो तेरी रफाकत और हो जाती
तेरे इस शह्र की मुझ से अदावत और हो जाती ।
मेरी जानिब से गर थोड़ी शराफ़त और हो जाती
तो मेरी हसरतों की कत्लोगारत और हो जाती ।
कि वो तो नाम तेरा दिल पे हमने था लिखा वरना
हमारी लाश की मुशकिल शनाख़त और हो जाती ।
मेरे मालिक तू बन्दों को बिना दिल के बना देता
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती ।
कि तेरा नाम ले के मर गए चर्चा हुआ लेकिन
गली तेरी में ही मरते तो शोहरत और हो जाती ।
अगर कुछ और दिन मशहूर तू रहता तो क्या होता
हाँ तेरे नाम पर कुछ दिन सियासत और हो जाती ।
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सतविन्द्र कुमार
हमारा हक़ दबाने की जो नीयत और हो जाती
मुखालिफ लोग हो जाते बगावत और हो जाती।
कुचल डाले सभी घर जो सताइश के बहाने से
लगा देते अगर फिर आग रहमत और हो जाती।
तुम्हारा ये तग़ाफ़ुल ही मिरे दिल को सुहाता है
अगर होती मुहब्बत फिर तो' आफत और हो जाती।
हमें मालूम ठगते हो बहानों से सभी को तुम
यकीं करते तुम्हारा तो कयामत और हो जाती।
चरागों को जलाया है तो राहों पर भी धर देते
"जहाँ सबकुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।"
खिलाते हो कि जिनके नाम पे तुम आज कौओं को
अगर खिदमात की होती इबादत और हो जाती।
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Manan Kumar singh
बला होती हसीं गर तो नजाकत और हो जाती,
जहाँ इतनी हुई थोड़ी अदावत और हो जाती।1
खुले दिल से बुलाया है तुझे हर बार ही मैंने,
कहीं तुम आ गये होते नियामत और हो जाती।2
जहाँ को हो गयीं खबरें मुनासिब जो नहीं फिर भी
जरा- सा दम धरा होता शिकायत और हो जाती।3
नजर यूँ फेरना मुश्किल लगा शायद जरा तुमको,
बहकना क्या जरूरी था किफायत और हो जाती।4
झिड़कते भी रहे दिलवर दिलासा भी दिया करते,
गुलों में जो न हों काँटे मलामत और हो जाती।5
भला करते रहे तुम तो नचाते और थोड़ा सा,
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।6
खिलाफत हो रही हरदम भली अपनी मिताई की,
जरा बढ़ते कदम आगे बगावत और हो जाती।7
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डॉ पवन मिश्र
जो साँसे और मिल जाती तो सूरत और हो जाती।
समझ लेते क़ज़ा को फिर हकीकत और हो जाती।।
वो आये तो मुझे मिलने मगर रुख पे किये पर्दा।
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।।
हुआ अच्छा कि मज़बूरी बयाँ कर दी हमें आकर।
नहीं तो इस जमाने से बगावत और हो जाती।।
नकाबों में छिपे थे तुम मगर चाहा बहुत हमने।
अगर खुल कर हमें मिलते मुहब्बत और हो जाती।।
सितमगर हाय बारिश ने बचाया ख़ाक बस्ती को।
न बुझती आग जो थोड़ी सियासत और हो जाती।।
जो खींचे कान गर होते समय पर बिगड़े बच्चों के।
बड़प्पन के नजरिये से हिदायत और हो जाती।।
मिला है साथ उनका तो न छूटे सात जन्मों तक।
पवन पर ऐ खुदा इतनी सी रहमत और हो जाती।।
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rajesh kumari
गुजरते अब्र की उस पर इनायत और हो जाती
फ़सुर्दा फूल की माली तबीयत और हो जाती
हवाओं का करें पीछा बड़े मदमस्त ये बादल
समंदर से जरा उनकी शिकायत और हो जाती
तुम्हारी असलियत खुलकर बहुत जल्दी चली आई
वगरना बातो बातों में मुहब्बत और हो जाती
दिखे वो सख्त जो पैकर भिचे जबड़े कसी मुट्ठी
न वो कर्फ्यू लगाते तो बगावत और हो जाती
कमी छोडी नहीं तुमने चुभाकर बात के नश्तर
गिराते अर्श से थोड़ी शराफत और हो जाती
नहीं टोका वहाँ हमने उन्हें शेखी दिखाने से
बिना ही बात रिश्तों में अदावत और हो जाती
मिटाते नाम भी अपना लिखा जो दिल पे है मेरे
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती
वजू करके दुआ करते मगर सब बेअसर होती
अकीदा दिल में गर होता इबादत और हो जाती
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मोहन बेगोवाल
हमें रहना है दुनिया में शराफत और हो जाती
बहाने से कोई दिल में बगावत और हो जाती
अगर राहें हमारे साथ हों मंजिल हमारी है
“जहाँ सब कुछ मिला इतनी इनायत और हो जाती”
छपे जो तुम अभी देखे वही तो खत हमारे थे
अगर ये दोस्ती कहते हकीकत और हो जाती
मिले कोई अगर मुझको रहे बन कर सदा मेरा
नहीं होता अगर मेरा मुसीबत और हो जाती
बने रहते सदा दुनिया में जो वो खुद नहीं होते
नहीं बनती कभी उनसे अदावत और हो जाती
यहाँ कैसी जमाने तुम बता हम से महब्ब्त है
हमें तुम जो बता देते शरारत और हो जाती
लिखा जब भी हमें तो नाम बस मोहन हमारा है
अगर कुछ साथ लिख देते सियासत और हो जाती
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Ravi Shukla
अँधेरो की उजालों पर हुकूमत और हो जाती,
समझिए फिर हमें जीने में आफत और हो जाती।
अदालत ने लिया संज्ञान आरक्षण के मुद्दे पर,
वगरना ऐ खिरद वालो मलामत और हो जाती।
अता की ज़िन्दगी उस पर नफ़स का रख दिया पहरा,
अगर आज़ाद होती तो कसाफ़त और हो जाती।
तुम्हारे प्यार का झूठा भरम रहता अगर हमको,
यकीं मानो तुम्हे पाने की चाहत और हो जाती।
ज़रीआ एक तेरा है मगर हैं तश्ना लब कितने,
दुआ करता हूँ साक़ी कुछ सआदत और हो जाती।
मयस्सर हर ख़ुशी जब है हवस की बात क्यूँ माने,
हमें मालूम है इससे रज़ालत और हो जाती।
बजाहिर जो दिखाई दे रहा है क्या वही सच है,
अगर ये जान लेते तो सदाकत और हो जाती।
लगे हाथों हमारी मौत का ऐलान भी कर दो,
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायात और हो जाती।
ग़ज़ल तो हो गई मक़्ता किया है अर्ज़ यूँ मैंने ,
बतौरे ख़ास थोड़ी सी समाअत और हो जाती।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
अगर ना चाहते रिश्ते शराफत और हो जाती।
अमन की चाह ना होती बगावत और हो जाती।
घिनौनी हरकतें करना तुम्हारी तो सदा फितरत।
अगर तुम बाज आ जाते कहावत और हो जाती।
लगा के घात गीदड़ से सदा छिप वार करते हो।
कहीं दो हाथ करते तो सियासत और हो जाती।
दिखाए आँख जो हमको ठिकाने होश कर देते।
अगर तुम सामने होते हक़ीक़त और हो जाती।
कफ़न बाँधे सरों पे जब करें हम कूच मतवाले।
अगर छिड़ती लड़ाई तो कयामत और हो जाती।
तमन्ना दिल में बाकी है कि दो दो हाथ जल्दी हो।
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।
वतन की आन हम से है हमीं से शान है इसकी।
अगर सब मिल 'नमन' करते तो शोहरत और हो जाती।
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Sachin Dev
उन्हें इजहारे उल्फत पर अदावत और हो जाती
अगर वो रूठते दिल पे कयामत और हो जाती
चलो अच्छा हुआ इस इश्क से इनकार कर बैठे
जो वो इकरार कर लेते बगावत और हो जाती
बिना उनसे मिले उनके शहर से रुखसती कर ली
यूँ जाता देखकर उनको शिकायत और हो जाती
खुदाया जिन्दगी तेरी हवाले आज तेरे की
जिये जो और अपनों से अदावत और हो जाती
सुकूँ से काट दी कड़वी मिली जो जिन्दगी हमको
जऱा मीठी हुई होती इनायत और हो जाती
कफन को खींच कर चहरा हमारा देख ही लेते
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती
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Ashok Kumar Raktale
ज़रा सी भी अगर उनकी मलामत और हो जाती
न कहना है कि गुस्सा था बगावत और हो जाती
बड़ी मुश्किल से काबू में किये हालात वो मानो
खडी वरना नई इक आज आफत और हो जाती
गनीमत थी नहीं टपके ज़रा भी आँख से आँसू
नहीं इस नम ह्रदय की पीर पर्वत और हो जाती
किसी के वास्ते किस्सा भले तैयार हो जाता
मेरी दुनिया बिखर जाती हकीकत और हो जाती
भुला डाला है गर किस्सा तो थोड़ा मुस्कुरा देते,
"जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती "
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शिज्जु "शकूर"
तुम्हारी याद में इक रात रुखसत और हो जाती
तो फिर दुनिया के कहने को हिक़ायत और हो जाती
मेरी जाँ को ऐ मालिक तूने बख़्शी नेमतें क्या-क्या
बस उनके दिल में भी पैदा बसीरत और हो जाती
नहीं रहता निशाँ तक मेरे घर का ऐसा लगता है
अगर मुँह खोलने की इक हिमाक़त और हो जाती है
मैं अपनी ज़िन्दगी तो जी चुका ये इल्तिज़ा है अब
मेरे लख़्त-ए-जिगर पर तेरी रहमत और हो जाती
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं हमें लम्हात जीने को
न कहना ये कि जी लेते जो फुर्सत और हो जाती
मुझे मंज़िल दिखाई कोई रस्ता भी सुझा देते
‘जहाँ सबकुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती’
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surender insan
अगर वो साथ रहते मेरे' , चाहत और हो जाती।
नहीं स्वीकार करता तो शिकायत और हो जाती।।
चली आई जमाने से जफ़ा की रीत थी यारो।
सितमगर के विरूद्ध कुछ बग़ावत और हो जाती।।
रहे मदहोश बस उसकी मुहब्बत में सदा यारों।
अगर आ होश में जाते, इबादत और हो जाती।।
न हासिल तो किया कुछ जिंदगी में अब तलक यारों।
मुहब्बत तो बहुत कर ली, कि नफ़रत और हो जाती।।
अगर रिश्ता बचाना चाहते थे टूटने से तुम।
किया सब कुछ मगर थोड़ी शराफ़त और हो जाती।।
मुझें मौका तो दो यारो ग़ज़ल कहने का महफ़िल में।
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।।
भुला देता तुम्हारें वास्ते मैं ये जहां सारा।
तुम्हें पाने लिये सबसे अदावत और हो जाती।।
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munish tanha
खुदा से प्यार करते तो नजाफत और हो जाती
तुम्हें मंजिल नजर आती सियाद्त और हो जाती
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मुहब्बत की जो दुनिया है बड़ी नाजुक बड़ी कोमल
अगर तुमको लगे अच्छी सहाबत और हो जाती
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जमाना तो रहा दुश्मन सदा से प्यार वालों का
अगर गाँधी नहीं मिलते मसाफत और हो जाती
.
घिरे बादल हवा बहकी जरा चेहरा दिखा जाओ
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती
.
भली सूरत नजर कातिल भरी हैं शोखियाँ देखो
खुदा चर्चा जरा करता वकालत और हो जाती
.
बढ़ी कीमत है दालों की मगर बेबस लगे नेता
हटे काला-बजारी तो बजारत और हो जाती
.
नदी गुम है पहाड़ों से मगर बादल नहीं बरसे
जलाते हम न जंगल तो वसातत और हो जाती
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रहे मजदूर क्यूँ भूखा कहाँ हिस्सा हुआ गायब
अगर ये जाँच होती तो सरामत और हो जाती
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Kalipad Prasad Mandal
अदब से पेश आते तो शराफत और हो जाती
बे अदबी तो तुम्हारी यूँ वगावत और हो जाती |
अगर हम सब हों अनुरागी, हकीकत और हो जाती
हमारे देश की हालत, भविष्यत और हो जाती |
कहा तो तुमने किस्से को बहुत ही शौक से अपने
अगर थोड़ा बढ़ा देते, कहावत और हो जाती |
सकल संपत्ति अधिकारों का तो वितरण किया सब में
अगर लिखकर दे देते तो, वसीयत और हो जाती |
मुनासिब काम तुमने ही किया, हम तुम बने मित अब
नहीं तो हम में पहले से तफायत और हो जाती |
सदय मंत्री है तो कर में रिआयत और कर देते
जहां सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती |
किया जो गलती उसने तब कभी माफ़ी न पाएगा
मगर तुम यदि बताते तो, शिकायत और हो जाती |
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अजीत शर्मा 'आकाश'
मुझे बर्बाद करने को सियासत और हो जाती ।
ख़फ़ा पहले ही थी मुझसे हुकूमत, और हो जाती ।
निछावर जानो-दिल कर देते जो बहकावे में उनके
तो फिर बैठे-बिठाये इक क़यामत और हो जाती ।
बहारें झूमकर आयी हैं, मौसम भी नशीला है
जो तुम भी साथ में होते तो रंगत और हो जाती ।
सफलता चूम ही लेती हमारे पाँव, ये तय था
लगे रहते मिशन पर, थोड़ी मेहनत और हो जाती ।
बड़ा अच्छा हुआ, जो वक़्त रहते कुछ तो कर पाये
जगा देते न तुम हमको तो ग़फ़लत और हो जाती ।
न यूँ बेइज़्ज़ती का घूँट पीकर हँस रहे होते
अगर कुछ सर्द रूहों में हरारत और हो जाती ।
हवाओं में न विष घुलता, न होती ज़िन्दगी दूभर
प्रदूषण रोक लेते हम तो कुदरत और हो जाती ।
मुझे ऐ ज़िन्दगी मुझसे मिला देती तू दो पल को
[[जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती]]
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सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
हमारे बीच गर थोड़ी सी गफलत और हो जाती।
कहें क्या आप से कितनी फजीहत और हो जाती।
निभाते आप भी अपनी जुबाँ से हद सलीके की
*जहाँ सब कुछ हुवा इतनी इनायत और हो जाती*।।
महज मजहब किताबे क्यों समझते हो अरे नादाँ
दिलों को भी समझ लेते तो जन्नत और हो जाती।।
न जाने और कितने शख्स फिर रूपोश हो जाते
अगर खबरों में थोड़ी सी हकीकत और हो जाती।।
गरीबो का निवाला भी हजम नेता नहीं करते
अगर नीयत में उनके कुछ शराफत और हो जाती।।
दिवाली ईद हम फिर साथ मिलकर ही मना लेते
हमारे मुल्क में थोड़ी मुहब्बत और हो जाती।।
बहुत रक्खा है मैंने पास तेरी आरजू का सुन
नहीं तो इस ज़माने से बगावत और हो जाती।।
मेरे संयम को तुमने बुजदिली माना नहीं होता
मेरे अंदर भी थोड़ी सी शराफत और हो जाती।।
गले मिलती ग़ज़ल भी गीतिका से क्यों न महफ़िल में
जुबानों में अगर थोड़ी सलासत और हो जाती।।
मिला है साथ तेरा हर तरह से "नाथ" जीवन में
तमन्ना एक प्यारी सी शरारत और हो जाती।।
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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
अगर तेरी जरा मुझ पर सखावत और हो जाती
मुहब्बत में मेरी थोड़ी शराफत और हो जाती
यकीं होता अगर मुझको कि तू हमराह है मेरे
फरेबों से तो दुनिया के बगावत और हो जाती
तुम्हारे होंठ के कुछ फूल कानों में महक उठते
तनिक अहसास में मेरे नजाकत और हो जाती
तमन्ना है कि सिर रख दूं तुम्हारे नर्म शानो पर
अदा से इस मुहब्बत में लताफत और हो जाती
भरोसा कर अगर तुम दूर तक इतना चले आये
तो दामन थामने की भी इजाजत और हो जाती
सजा दूं हाथ में दिलवर खनकती चूड़ियाँ तेरे
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती
अगर हमरूह हो जायें यहाँ ‘गोपाल’ हम दोनों
तो मकबूले मुहब्बत में करामत और हो जाती
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सूबे सिंह सुजान
पलटकर वार करता तो क़यामत और हो जाती
महब्बत इक बुरी शय है कहावत और हो जाती
अगर तुम साथ देते,मुझको चाहत और हो जाती
महब्बत में ,महब्बत से, महब्बत और हो जाती
अगर खामोश रहता तो तुम्हारा हौंसला बढ़ता
तुम्हें सबसे झगड़ने की ये आदत और हो जाती
तुम्हें पूजा,तुम्हें चाहा, महब्बत का खुदा माना
दुआ इतनी, तुम्हारी मुझ पे रहमत और हो जाती
दग़ा देने से बेहतर था ,हमें थोड़ी सज़ा देते
गरीबी में हमारी पीर पर्वत और हो जाती
हमारे मुल्क में कुछ लोग खाली बैठ खाते हैं
बराबर काम सब करते तो ,क़ीमत और हो जाती
मेरे अहसास भी तुम ,सामने मेरे कुचल देते
जहाँ सब कुछ हुआ ,इतनी इनायत और हो जाती
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Amit Kumar "Amit"
तुझे सब कुछ समझने की जो आदत और हो जाती ।
तेरी इज्ज़त में थोड़ी सी इज़ाफत और हो जाती ।।1।।
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ये सब ही जानते हैं है घमण्डी तू बहुत लेकिन।
अगर सनकी भी होता तो मुसीबत और हो जाती ।।2।।
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फकत तू ही नहीं केवल तेरा दिल भी बहुत काला।
जो दर्पण देख लेता तो हकीकत और हो जाती।।3।।
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तभी बर्बाद करके तू मूझे दुत्कार देता तो।
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।।4।।
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मुझे चुपचाप रहने की नहीं आदत मेरे भाई।
अगर ख़ामोश रहता तो शिकायत और हो जाती।।5।।
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मेरे चेहरे से तुझको है "अमित" नफरत मगर प्यारे।
अदब से देखता जो तू मोहब्बत और हो जाती।।6।।
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Mahendra Kumar
ग़म-ए-उल्फ़त के मारों की ज़ियारत और हो जाती
मुकम्मल जान तो फ़िर ये इबादत और हो जाती
ख़ुशी से मर भी सकते थे तेरी महफ़िल में हम उस दिन
नज़र से जो तुम्हारी इक शरारत और हो जाती
ये साँसें बर्फ़ के जैसे पिघल कर खो भी सकती थीं
जो इन होठों पे थोड़ी सी हरारत और हो जाती
दिखा देते जिगर हम चीर के रंजूर ये अपना
जो कुछ दिन आप की हम से रफ़ाक़त और हो जाती
वफ़ा कुछ सीख लेते हम, तो कुछ तुम को सिखा देते
मुहब्बत से मुहब्बत को मुहब्बत और हो जाती
तुम्हारे लफ़्ज़ जी उठते, वरक़ ख़ुशबू से भर जाते
तुम्हें चाहत में चाहत की जो आदत और हो जाती
मेरे जीने में जीने का मज़ा कुछ और बढ़ जाता
ग़मों में ग़र मेरे थोड़ी वज़ाहत और हो जाती
चलाना ही था जब ख़ंजर तो सीने पे चला देते
"जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती"
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satish mapatpuri
कदम दो ही बढ़ाना था इनायत और हो जाती .
जमाना यूँ भी कहता है शिकायत और हो जाती .
सच्चाई गर बता देता अदावत और हो जाती .
असलियत जान जाते सब जिनायत और हो जाती .
शहादत का भला क्या मोल दे सकते मेरे आका .
इनायत गर नहीं करते इनायत और हो जाती .
मजार -ए -प्यार तक थम - थम के आ जाते तो अच्छा था .
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती .
पड़ोसी के दिलों में थोड़ा सा जज़्बात दो मौला .
पड़ोसी है शरीफ अपना शराफ़त और हो जाती .
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अलका ललित
कनखियों से हमें देखे शरारत और हो जाती।
जरा ज़ुल्फें हटा लेते कयामत और हो जाती।।
अदा उसकी सताती है सरे बाजार यूँ मुझको ।
कहीं चिलमन हटा देते बगावत और हो जाती।।
खुशी दर तक निभाती है मुझे यूँ छेड़ जाती है।
मिरे दिल को लुभा जाती सलामत और हो जाती।।
कहो उनसे गुनाहों से बचाएं हाथ वो अपना।
खरे हैं हम नहीं खोटे शराफत और हो जाती।।
झरोखे से निगाहों के हमें पैगाम आते थे।
जरा दिल में जगह देते करामत और हो जाती।।
ज़रा दीदार हो जाए हवाओं तुम रहम कर दो।
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।।
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Sheikh Shahzad Usmani
दरख़्तों को उगाकर ग़र हिफ़ाज़त और हो जाती,
न ख़ुद पर ही, जगत पर भी इनायत और हो जाती।
सरल है बीज मोहब्बत का बो देना किसी दिल में,
जताते तुम वफ़ा दिल से सलामत और हो जाती।
हिफ़ाज़त कर रहे काँटे चुभें तुमको बगीचे में,
नहीं फूलों को तोड़ो तुम, शराफ़त और हो जाती।
करें टुकड़े बड़े मुल्कों के शातिर साज़िशों से वो,
समझ लेती अगर जनता बग़ावत और हो जाती।
ग़रीबों को भुनाया ख़ूब, इज़्ज़त तो बचा लेते,
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।
न कर बकवास अब 'शहज़ाद' सुनता कौन यह भाषण,
कभी नेकी करी होती, करामत और हो जाती।
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sarita panthi
नही ठोकर लगाते तुम, तो आदत और हो जाती।
नज़र से फिर गिराने की, रवायत और हो जाती।।
कभी भूले से भी तुम, हाल मेरा पूछ लेते तो।
हमारे दिल को भी तुमसे, मुहब्बत और हो जाती।।
तुम्हारी आँख के शोले, लगाते आग पानी में।
जो जल जाता जिगर मेरा, शरारत और हो जाती।।
मुहब्बत में तुम्हारी हमने, क्या कुछ कर नही डाला।
जहाँ सब कुछ हुआ, इतनी इनायत और हो जाती।।
जुबाँ पर डाल कर ताले, सरिता रात भर रोये।
जो खुल जाती जबाँ अपनी, बगावत और हो जाती।।
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रामबली गुप्ता
शिफा की आरजू में इक शरारत और हो जाती।
मतब में भी मरीजे दिल को' आफत और हो जाती।।
दहकते होंठ अंगारे निगाहें उस पे' ये कातिल।
चले बलखा के' जब तू उफ़! कयामत और हो जाती।।
मिटा लो दूरियाँ दिल की लुटा कर प्यार की दौलत।
मिटे हर भेद जो दिल से मुहब्बत और हो जाती।।
मेरी मैयत पे आ जाते लिए दो अश्क आँखों में।
जहां सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।।
ज़िहादी खुद को' कहते तुम दिलों में घोलते नफ़रत।।
जो' मरते प्यार की खातिर शहादत और हो जाती।।
तराशो खुद को ऐ' बन्दे बढ़ा लो मोल अपना तुम।
तराशे हीरे' की दुनिया में' कीमत और हो जाती।।
जो' जन-जन हों समर्पित एक दूजे के लिए जग में।
'बली' हर दिल की' हर दिल से सखावत और हो जाती।
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Rector Kathuria
इनायत और हो जाती, मुरव्वत और हो जाती,
मिला लेते वो गर नज़रें, मोहब्बत और हो जाती।
वो पर्दे को हटाते तो, निगाहों को उठाते तो,
बदल जाता यह रंग सारा, शरारत और हो जाती।
वो मेरा कत्ल करते मगर अपने हाथ से करते,
जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती।
वो मेरे घर में आया था,मगर मुझ से नहीं बोला,
जहाँ इतना हुआ वहां लब से शिकायत और हो जाती।
मोहब्बत थी उन्हें लेकिन वो हमसे कह नहीं पाए,
क्या जाता जो दुनिया से बगावत और हो जाती।
जहाँ पर थे, वहीँ पर थे,,बहुत खुश थे, कहीं भी थे,
हाँ गर वो साथ आ जाते, इनायत और हो जाती।
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