For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत दर्शन (प्रथम कड़ी) मत्त गयंद छंद

जन्म लिया जिस देश धरा पर वो हमको लगता अति प्यारा
वैर न आपस में रखते वसुधैव कुटुम्ब लगे जग सारा
पूजन कीर्तन साथ जहाँ सम मन्दिर मस्जिद या गुरुद्वारा
लोग निरोग रहे जग में नित पावन सा इक ध्येय हमारा।।1

पूरब में जिसके नित बारिश, हो हर दृश्य मनोरम वाला
लेकर व्योम चले रथ को रवि वो अरुणाचल राज्य निराला
गूढ़ रहस्य अनन्त छिपा पहने उर पादप औषधि माला
जो मकरन्द बहे घन पुष्पित कानन को कर दे मधुशाला।।2

उत्तर में जिसके प्रहरी सम पर्वत राज हिमालय न्यारा
जो डिगता न कभी रण से रखता नित उन्नत भाल हमारा
काल खरोच लगा न सका पुर जोर लगा जिससे अरि हारा
पावन देव नदी जिससे निकली भर आँचल निर्मल धारा।।3

पश्चिम में गुजरात भुजा सम उन्नति का हर सौख्य पसारे
अस्त समुंदर में जब सूरज हो, निरखे छवि सुंदर वारे
मोहन दास जहाँ कर सत्य निवेदन दुश्मन को ललकारे
प्रेम सुधा बरसा जग में जब, चाल कपाल गए सब हारे।।4

दक्षिण में लहराकर सिन्धु जहाँ इसका नित पाँव पखारे
केरल या करनाटक हो सब राज्य लगे जस चाँद सितारे
बाग हरा चहुँओर जहाँ नित देख जिसे मन रूप सवारे
एक अनेक रहे हम लेकिन साथ जुड़ें हर तार हमारे।।5

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 7, 2020 at 6:18am

वाह ! मेरी प्रतिक्रिया पर इतनी शीघ्रता से प्रत्युत्तर !!

वह भी भोर-भोर की वेला में !!!

सुप्रभात ! .. शुभातिशुभ..

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2020 at 5:46am

आद0 सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम। रचना पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में था,, आप ने अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दी,, उत्साह बढ़ा। साथ ही छंद अभ्यास की असीम प्रेरणा मिली। सादर आभार आपका। भारत दर्शन की दूसरी कड़ी भी जल्द ही आपको मिलेगी। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 7, 2020 at 5:43am

देश-दशा का मनोहारी, शुभकारी वर्णन सुगढ़ एवं मुग्धकारी हैै, आदरणीय सुरेेंद्रर नाथ जी.

धन्योस्मि ! .. शुभातिशुभ !! 

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2020 at 10:06pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का हृदय तल से आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 6, 2020 at 4:12pm

आ. भाई सुरेन्द्रनाथ जी, सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2020 at 1:06pm

आद0 अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन

रचना पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया मिली,, धन्य हुआ, साथ ही मेहनत भी सार्थक हुआ। आपका हृदयतल से आभार

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 6, 2020 at 11:09am

आदरणीय सुरेन्द्र नाथजी

बिना रुके धारा प्रवाह पढ़ने में आनंद आ गया। मत्त गयंद छंद की यही विशेषता है। भारत के बहुत बड़े क्षेत्र की महिमा सुंदर शब्दों में गाई है। हृदयतल से बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 5, 2020 at 12:55pm

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी गरिमामयी उपस्तिथि और मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार व्यक्त करता हूँ। सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2020 at 12:17pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी।बेहतरीन प्रस्तुति।

गूढ़ रहस्य अनन्त छिपा पहने उर पादप औषधि माला
जो मकरन्द बहे घन पुष्पित कानन को कर दे मधुशाला।।2

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service