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तूफ़ान जलजलों से नहीं आसमाँ-से हम(६५ )


तूफ़ान जलजलों से नहीं आसमाँ-से हम
फ़ितरत से हैं ज़रूर कुछ अब्र-ए-रवाँ से हम
**
कितना लिए है बोझ ज़मीँ इस जहान का
मुमकिन है क्या कभी कि बनें धरती माँ-से हम
**
दिल तोड़ के वो कह रहे हैं सब्र कीजिए
सब्र-ओ-क़रार लाएँ तो लाएँ कहाँ से हम
**
ये तय नहीं कि प्यार की हासिल हों मंज़िलें
इतना है तय कि जाएँगे अब अपनी जाँ से हम
**
कुछ इस तरह से उनकी हुईं मेहरबानियाँ
खाते हैं ख़ौफ़ आज तलक मेहरबाँ से हम
**
जिस दिन से हमने हिज़्र को अपना बना लिया
आज़ाद तब से हो गए आह-ओ-फुगाँ से हम
**
बेकार है गुमान जमीं ज़र का ज़ीस्त भर
जाएँगे खाली हाथ अगर इस जहाँ से हम
**
यादों के इक हसीन से गिर्दाब में घिरे
चिपके हुए हैं आज तलक आशियाँ से हम
**
बेख़ौफ़ मस्तियाँ न कोई फ़िक्र और बोझ
बचपन के दिन 'तुरंत 'वो लाएँ कहाँ से हम
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी
०८/१०/२०१९
(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 12, 2019 at 10:29am

भाई बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिए दिल से आभार | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 12, 2019 at 10:29am

आदरणीय Samar kabeer साहेब , 

आपके आशीर्वचनों  के आगे नतमस्तक हूँ | सादर आभार | पहले मैं ग़ज़ल के ऊपर मापनी लिखता था लेकिन एक एडमिन ने ऐसा न करने का निर्देश दिया तब से बंद कर दिया | भविष्य में आपकी आज्ञा का पालन होगा | 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2019 at 10:12am

बेहतरीन ग़ज़ल कही है आदरणीय..हरेक् शे'र खूबसूरत हुआ...

Comment by Samar kabeer on October 11, 2019 at 7:19pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

एक निवेदन है कि कृपया ग़ज़ल के साथ अरकान भी लिख दिया करें,इससे नए सीखने वालों के लिए आसानी होती है ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on October 11, 2019 at 2:07pm

आदरणीय Sushil Sarna जी ,

आपकी सराहनात्मक  प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय तल से आभार एवं सादर नमन |

Comment by Sushil Sarna on October 10, 2019 at 5:09pm

बेकार है गुमान जमीं ज़र का ज़ीस्त भर
जाएँगे खाली हाथ अगर इस जहाँ से हम

वाह आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी .... आपकी हर ग़ज़ल खूबसूरत अहसासों का वो मंज़र पेश करती है कि दिल वाह करने को मज़बूर हो जाता है। इस बेशकीमती ग़ज़ल की पेशकश के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।

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