For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गोलम्बर पर वह खड़ा था। अपनी गाड़ी का इंजन बंद कर दिया। जब सामने को निगाह फैलाई तो देखता है कि आंख के आगे जो गाड़ी खड़ी है उससे आगे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए उसके पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। सामने से कुछ गाड़ियां आगे को बढीं लेकिन वह जस का तस ही था। उसकी बाध्यता थी कि वह आगे की गाड़़ी को हटाकर आगे को नहीं जा सकता था। पीछे की तरफ कुछ दूर पर एम्बुलैन्स के हार्न की आवाज सुनाई दे रही थी।

चैराहे पर जाम का दबाव कम हुआ। वह भी आगे बढ़ गया। लेकिन संयोग से उसे थोड़ी दूर जाने पर फिर रूकना पड़ा। इसलिए वह रूक गया। तभी आगे आती हुई एम्बुलेन्स की आवाज सुनाई पड़ी। एम्बुलेन्स जब सामने से पास कर रही थी तो देखा कि वह खाली नहीं थी उसमें रोगी लेटा हुआ था और उसके साथ में कुछ महिला पुरूष भी जा रहे थे।

कुछ देर बाद वह भी आगे बढा उसे कुछ काम था उसे निपटाकर वह अस्पताल जाना चाह रहा था। क्योंकि उसकी एक रिश्तेदार की तबीयत कुछ नासाज थी इसलिए उन्हें अस्पताल आना था और वह उनसे ही मिलने की आशा में अस्पताल जा रहा था।

अपना काम निपटाने के बाद वह जब अस्पताल में पहुंचा तो देखा कि वह एम्बुलेंस वहां पर ही खड़ी है।उसने अपनी गाड़ी खड़ी करने के बाद अपने रिश्तेदार से मिलने लिए वह अस्पताल की तरफ बढ़ रहा था। तभी उसकी परिचित एक महिला उसके सामने से आती दिखीं। उसने उनसे अपने रोगी के बारे में पूछा। महिला ने जो जल्दी.जल्दी में बताया उसका सारांश यह है कि वे लोग अपने गांव से प्राइवेट कार करके अस्पताल चले थे। चैराहे के पास लगभग आधी मील दूर से उन्हें जाम ने घेर लिया था। एक.एक इंच करके वे आगे बढ़ रहे थे। रोगी की तबीयत खराब होती ज ा रही थी। वह गांव से ही रोग के कारण परेशान थी। बहुत खराब होने पर ही अस्पताल पहुचाया जा रहा था। यहां जाम के कारण उसे तकलीफ हो रही थी। बगल में गाड़ियों की चिल्लपों के कारण उसे तनाव हो रहा था। परिणाम स्वरूप सांस की तकलीफ बढ़ रही थी। एक समय तो ऐसा लगा िक उसकी आंख बंद हो जायेगी लेकिन वह ठीक रही। कुछ ढीला पड़ने पर वे किसी प्रकार अस्पताल पहुंचे हैं। अब डाक्टर ने उसे खतरे से बाहर बताया है और यह आश्वासन दिया है कि वह कुछ समय बाद जल्द ही अपने घर वापस जा सकेगी।

यह सुनकर उसने एक लम्बी सांस ली और भगवान को धन्यवाद दिया कि उसके रिश्तेदार क ो सुरक्षित रखा।

 

  मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 347

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 4, 2019 at 11:55am

एक अच्छा विषय समेटने की कोशिस की है आपने लघुकथा में..थोड़ी कसावट की दरकार है..

Comment by Samar kabeer on March 2, 2019 at 12:03pm

सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service