For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुंजित सब धरती गगन, जन-जन में उल्लास l
दिग्दिगन्त झंकृत हुआ, जन्म लिए रविदास ll1

दर्शनविद कवि सन्त को, नमन करूँ कर जोर l
कीर्ति ध्वजा लहरा रही, कण-कण में चहुँ ओर ll2

कर्मनिष्ठ प्रतिभा कुशल, सन्त श्रेष्ठ रविदास l
ज्ञानदीप ज्योतित किये, पूर्ण किये विश्वास ll3

सकल सृष्टि वाहक बने, सन्त शान्ति के दूत l
मुखमण्डल रवि तेज से, मिटा छूत का भूत ll4

दुरित दैन्य अस्पृश्यता, जड़ से किए विनाश l
सत्कर्मों के बल सदा , काटे दुर्गुण पाश ll5

मन चंगा का भाव हो, तो कठवत में गंग l
सन्त शिरोमणि प्यार से,सिखलायें गुण ढंग ll6

सौम्य सन्त सरसिज खिलें,हो सुरभित संसार l
सुख सागर समृद्धि मिले,करुणा के अवतार ll7

डॉ. छोटेलाल सिंह

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 21, 2019 at 5:00pm

परमादरणीय समर साहब सादर अभिवादन आपके अनमोल उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ दिल से शुक्रिया

Comment by Samar kabeer on February 21, 2019 at 3:56pm

जनाब डॉ. छोटेलाल सिंह जी आदाब,सन्त रविदास जी को समर्पित अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 19, 2019 at 9:12pm

भाई सुरेन्द्र जी आपका बहुत बहुत आभार

Comment by नाथ सोनांचली on February 19, 2019 at 6:59pm

आद0 भैया डॉ छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन। संत शिरोमणि रविदास जी को याद करती बेहतरीन दोहे पर बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
35 seconds ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
12 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
14 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
19 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
26 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
31 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
32 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
41 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
42 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service