For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६८

2122 1122 1122 22

 

जब भी होता है मेरे क़ुर्ब में तू दीवाना

दौड़ता है मेरी नस नस में लहू दीवाना //१

 

एक हम ही नहीं बस्ती में परस्तार तेरे 

जाने किस किस को बनाए तेरी खू दीवाना //२

 

इश्क़ में हारके वो सारा जहाँ आया है

इसलिए अश्कों से करता है वजू दीवाना //३

 

लोग आते हैं चले जाते हैं सायों की तरह

क्या करे बस्ती का भी होके ये कू दीवाना //४

चन्द लम्हों में ही हालात बदल जाते थे

मेरे नज़दीक जो आता था अदू दीवाना //५

 

कब ये ज़ाहिर हुआ लहरों पे तलातुम के सबब 

मौजे दरिया को बना देती है जू दीवाना //६

 

क्यों बनाता नहीं तू जलवानुमाई से मुझे

मुझको कपड़ों से बनाता है रफ़ू दीवाना //७

 

तुझको आएगा मेरे जैसे दिवानों पे तरस

तू भी होगा जो मुहब्बत में कभू दीवाना //८

 

मुझमें लैला को भी मजनूँ का भरम होता है 

यूँ दिखे है मेरा हुलिया, मेरा मू दीवाना //9  

 

दौर ये लैला ओ मजनूँ की मुहब्बत का नहीं

तूने क्या सोचा था, क्यों हो गया तू दीवाना? //१०

 

मुझको दरकार नहीं तश्नगी ये दुनिया की

मैं तो रहता हूँ पये इशरते हू दीवाना //११

 

ताब आँखों की तेरी आग लगा देती है

यूँ रगों में नहीं दौड़े है लहू दीवाना //१२

 

'राज़' ये शह्र है, मजनूँ का बियाबाँ तो नहीं

लाख मिल जाएं जो खोजे यहाँ तू दीवाना //१३

 

~ राज़ नवादवी

 

“मौलिक एवं अप्रकाशित”

 

क़ुर्ब- सामीप्य; कफ़े पा- तलवा; फ़ुरक़त- जुदाई; कू- गली; कता- विच्छेद; अदू- दुश्मन, प्रतिद्वंदी; जू- नदी, चश्मा, स्रोत; मू- बाल; शुआ- किरण; खल्क- दुनिया; क़ल्ब- अंतःकरण, ह्रदय; हू- ईश्वर, ब्रह्म; क़हत- दुर्भिक्ष, सूखा; वा- हाय हाय; सू- दिशा;

Views: 1043

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on November 14, 2018 at 2:16pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहब आदाब,ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on November 14, 2018 at 12:16pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब। आपकी इस्लाह और ग़ज़ल को अपना बेशक़ीमती वक़्त देने का तहे दिल से शुक्रिया। मैंने तो ग़ज़ल लिखी थी, आपने उसे ग़ज़ल बनाया। आपकी प्रेरणा और सुझावों का ह्रदय से आभार। आवश्यक बदलाव करके रिपोस्ट करता हूँ। सादर। 

Comment by Samar kabeer on November 14, 2018 at 11:49am

'  

चंद लम्हों में उसके हाल बदल जाते थे

मेरी नज़दीक जो आता था अदू दीवाना'

इस शेर का ऊला मिसरा लय में नहीं,और सानी में 'मेरी' को "मेरे" करना उचित होगा,शैर यूँ कर सकते हैं:-

'चन्द लम्हों में ही हालात बदल जाते थे

मेरे नज़दीक जो आता था अदू दीवाना'

'  
कब ये ज़ाहिर हुआ लहरों को तलातुम में कभी'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफुर है,इसे यूँ कर सकते हैं:-

'कब ये ज़ाहिर हुआ लहरों पे तलातुम के सबब'

'  


राज़ ये शह्र है, मजनूँ का  बियाबाँ  है नहीं

पाएगा खोजने पे सैकड़ों तू दीवाना '

इस शैर को यूं कर लें:-

''राज़'' ये शह्र है,मजनूँ का बियाबाँ तो नहीं

लाख मिल जाएं जो खोजे यहाँ तू दीवाना'

Comment by क़मर जौनपुरी on November 14, 2018 at 7:40am

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब।

Comment by Samar kabeer on November 14, 2018 at 7:30am

जब भी होता है मेरे क़ुर्ब में तू दीवाना

मेरी नस नस में भी दौड़े है लहू दीवाना"

सानी मिसरा यूँ कर लें तो गेयता बढ़ जाएगी:-

"दौड़ता है मेरी नस नस में लहू दीवाना"

'  एक हम ही नहीं बस्ती में परस्तार हुए'

इस मिसरे के अंत में 'हुए' शब्द को "तेरे" करना उचित होगा, गेयता बढ़ जाएगी ।

'  हारकर इश्क़ में सारा वो जहाँ आया है'

इस शेर को यूँ कर लें,गेयता बढ़ जाएगी:-

"इश्क़ में हारके वो सारा जहाँ आया है

इसलिये अश्कों से करता है वज़ू दीवाना"

बाक़ी अशआर पर टिप्पणी दोपहर को दूंगा ।

Comment by Samar kabeer on November 14, 2018 at 7:11am

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है ।

"बू" शब्द हिन्दी और उर्दू में स्त्रीलिंग है ।

Comment by क़मर जौनपुरी on November 13, 2018 at 9:44pm
मोहतरम हिंदी के हिसाब से बू दीवानी होगी दीवाना नहीं। उर्दू का गहन अध्ययन नहीं है, वहाँ यह प्रयोग सही या नहीं कृपया वज़ाहत करें।
Comment by राज़ नवादवी on November 13, 2018 at 11:21am

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on November 13, 2018 at 11:11am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. सुझाए गए बदलाव के बाद ग़ज़ल इस प्रकार है (बदले गए मिसरे/ शेर बोल्ड करके चिन्हित किये गए हैं), सादर: 

जब भी होता है मेरे क़ुर्ब में तू दीवाना

मेरी नस नस में भी दौड़े है लहू दीवाना //१

 

एक हम ही नहीं बस्ती में परस्तार हुए

जाने किस किस को बनाए तेरी खू दीवाना //२

 

हारकर इश्क़ में सारा वो जहाँ आया है

अपने अश्कों से ही करता है वजू दीवाना //३

 

लोग आते हैं चले जाते हैं सायों की तरह

क्या करे बस्ती का भी होके ये कू दीवाना //४

 

चंद लम्हों में उसके हाल बदल जाते थे

मेरी नज़दीक जो आता था अदू दीवाना //५

 

कब ये ज़ाहिर हुआ लहरों को तलातुम में कभी

मौजे दरिया को बना देती है जू दीवाना //६

 

क्यों बनाता नहीं तू जलवानुमाई से मुझे

मुझको कपड़ों से बनाता है रफ़ू दीवाना //७

 

तुझको आएगा मेरे जैसे दिवानों पे तरस

तू भी होगा जो मुहब्बत में कभू दीवाना //८

 

मुझमें लैला को भी मजनूँ का भरम होता है 

यूँ दिखे है मेरा हुलिया, मेरा मू दीवाना //9  

 

दौर ये लैला ओ मजनूँ की मुहब्बत का नहीं

तूने क्या सोचा था, क्यों हो गया तू दीवाना? //१०

 

मुझको दरकार नहीं तश्नगी ये दुनिया की

मैं तो रहता हूँ पये इशरते हू दीवाना //११

 

ताब आँखों की तेरी आग लगा देती है

यूँ रगों में नहीं दौड़े है लहू दीवाना //१२

 

राज़ ये शह्र है, मजनूँ का बियाबाँ है नहीं

पाएगा खोजने पे सैकड़ों तू दीवाना //१३

Comment by TEJ VEER SINGH on November 13, 2018 at 11:02am

हार्दिक बधाई आदरणीय राज़ नवादवी जी।बेहतरीन गज़ल।

ताब आँखों की तेरी आग लगा देती है 
यूँ रगों में नहीं दौड़े है लहू दीवाना /

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
9 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service