For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत...तितलियाँ अब मौन हैं-बृजेश कुमार 'ब्रज'

शोर भौरों का सुनोगे
तितलियाँ अब मौन हैं

रक्त रंजित हो उठा मन
रोज के अख़बार से
हर कली सहमी हुई है
आह अत्याचार से
इस चमन में भेड़ियों से
आदमी ये कौन हैं
शोर भौरों का सुनोगे
तितलियाँ अब मौन हैं

प्रीत का संगीत गुमसुम
भाव के व्यापार में
सत्य का उपहास करता
छल कपट संसार में
प्रेम है अनुबंध जैसा
प्रेम परिणय गौण है
शोर भौरों का सुनोगे
तितलियाँ अब मौन हैं

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 23, 2018 at 2:27pm

उचित है आदरणीय समर कबीर जी एवं आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी..सर्व प्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...आदरणीय तिवारी जी से मैं असहमत नहीं था बस भावनात्मक रूप से सहमत नहीं हो पा रहा हूँ लेकिन भावनाएं सदैव सही ही हों ये जरुरी नहीं है...ऐसा भी नहीं है कि मुखड़े में कोई अच्छा बदलाव नहीं हो सकता..बिलकुल हो सकता है।"जालिमों के कहकहों में,बच्चियां अब मौन हैं" आप सभी से ही सीखने की प्रक्रिया में हूँ..सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 21, 2018 at 1:27pm

आदरणीय बृजेश जी के गीत प्रयास से प्रसन्नता भी हुई और संतोष भी हुआ. मात्रिकता का यथोचित निर्वहन भी उत्साहित कर रहा है‘  उनको मिल रही सलाहें समीचीन हैं. इन सलाहों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. गीत के कथ्य और बिम्ब चयन में यदि तार्किकता न हुई तो गीतों के प्रस्तुतीकरण का आधार ही उथला प्रतीत होगा. 

एक बेहतर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ

Comment by Samar kabeer on September 21, 2018 at 11:06am

जनाब बृजेश जी,कोई भी उपमा या बिम्ब मन्तिक़(तार्किकता)के आधार पर ही उचित होता है,मैं जनाब अजय तिवारी साहिब से पूरी तरह सहमत हूँ ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 21, 2018 at 10:19am

आदरणीय तिवारी जी छमा कीजिये मैं आपसे पूर्णरूप से सहमत भी नहीं हो पा रहा हूँ।चूँकि बच्चियों को तितलियों की उपमा दी है इसमें बच्चियों के गुणों का विलोप नहीं होना चाहिए।हो सकता है मैं गलत हूँ...कोशिश कर रहा हूँ कुछ और सन्दर्भ ढूंढ सकूँ।सादर

Comment by Ajay Tiwari on September 20, 2018 at 4:57pm

आदरणीय बृजेश जी, 

\\लेकिन छोटी बच्चियों की तुलना अक्सर हम तितलियों से करते हैं जो खिलखिलाती हैं,गुनगुनाती हैं...\\ 

छोटी बच्चियों की तुलना तितलियों से इस लिए होती है कि तितलियों की ही तरह मासूम, सुन्दर, और चंचल होती हैं. इस तुलना का आधार खिलखिलाना या गुनगुनाना नहीं होता क्योंकि तितलियाँ न खिलखिलाती हैं न गुनगुनाती हैं. तुलना हमेशा सन्दर्भ के अनुसार सामान गुणों की होनी चाहिए. बोलने या मौन रहने के सन्दर्भ में तितलियों और बच्चियों की तुलना नहीं हो सकती.

सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2018 at 11:11pm

जरूर आदरणीय समर कबीर जी...रचना पटल पे आपकी गरिमामयी उपस्थिति सदैव उत्साहवर्धक होती है...सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2018 at 11:08pm

आदरणीय तिवारी जी आपसे असहमति का कोई कारण नहीं है..लेकिन गीत की पृष्ठभूमि जरूर बताना चाहूँगा उसके बाद आप गुणीजनों की सलाह का इंतज़ार रहेगा..दरअसल ये गीत आज समाज में आये दिन मासूम बच्चियों के साथ हो रहे पाशविक अत्याचार को लेकर है..ये ठीक है तितलियाँ मौन रहती हैं..लेकिन छोटी बच्चियों की तुलना अक्सर हम तितलियों से करते हैं जो खिलखिलाती हैं,गुनगुनाती हैं..इसीलिए तितलियाँ मौन हैं।और क्योंकि इन अपराधों में अधिकांशत नाबालिक या कम उम्र लड़के शामिल दिख रहे हैं इसलिए शोर भौरों का..पिछले कुछ दिनों से तितलियाँ शब्द दिमाग में गूंज रहा था और उसी एक शब्द से ये गीत जन्मा..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2018 at 10:57pm

आदरणीय डा. साहब...आपको गीत पसंद आया जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई..सादर आभार

Comment by Samar kabeer on September 19, 2018 at 10:17pm

जनाब अजय तिवारी जी आदाब,अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब अजय तिवारी जी की बात का संज्ञान लें ।

Comment by Ajay Tiwari on September 19, 2018 at 5:25pm

आदरणीय बृजेश जी, गीत के लिए हार्दिक बधाई. ये थोड़ा जल्दी में लिखा गया लगता है. मसलन मुखड़े की पंक्ति को देखें :

शोर भौरों का सुनोगे 
तितलियाँ अब मौन हैं

आप कहना ये चाह रहे हैं कि अब कुछ ऐसा हो रहा है जो ग़लत है. लेकिन जो प्रतीक आपने चुने हैं उनसे यह बात निकल कर नहीं आती. शोर करना या गुनगुनाना भौरों का स्वभाविक गुण हैं और मौन रहना तितलियों का. 'तितलियाँ अब मौन हैं'  यह कहने का कोई औचित्य तब होता जब तितलियाँ कभी बोलती होतीं.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
19 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
20 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
20 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
20 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
22 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
31 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service