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चक्रव्यूह - लघुकथा –

चक्रव्यूह - लघुकथा –

"ए लड़की, क्या झाँक रही हो की होल से अंदर"?

सरकारी शाँती बालिका कल्याण संस्थान की व्यस्थापक सुमित्रा देवी  गोमती को चोटी से पकड़ कर लगभग घसीटते हुए अपने कार्यालय ले गयीं। गोमती पीड़ा से बेचेन होकर छटपटा रही थी। वह लगातार रोये जा रही थी।

“क्या ताक झाँक कर रही थी वहाँ”? सुमित्रा जी ने लाल आँखें दिखाते हुए पुनः वही प्रश्न दोहराया।

"मैडम, मेरी  बहिन को  उस कमरे में एक सफ़ेद कुर्ता धोती वाला नेताओं जैसा आदमी पहले तो बहला फ़ुसला कर ले जाना चाह रहा था। बहिन के मना करने पर वह जबरदस्ती पकड़ कर खींच ले गया है"।

"कोई बात नहीं। अभी आ जायेगी। तुम अपने कमरे में जाओ"।

"नहीं मैडम, मैं मेरी बहिन को साथ लेकर जाऊंगी। वह आदमी अच्छा नहीं है"।

"तुम यह क्या बोल रही हो। तुम जानती भी हो वह कौन हैं"?

"नहीं मैडम मुझे नहीं मालूम वह कौन है। पर वह गंदा आदमी है। सब बताते हैं कि वह लड़कियों के कपड़े उतरवाता है और गंदा काम करता है “।

"ए चुप, सोच समझ कर बोल। वे  कल्याण मंत्री हैं । निकाल कर बाहर कर देंगे"।

"निकाल देने दो। हमको नहीं रहना यहाँ"।

"भूखी मर जाओगी। यहाँ सब कुछ मुफ़्त में मिल रहा है तो पर निकल आये हैं"।

"मैडम जी, आपकी भी दो बेटियाँ दूसरे शहर मेंछात्रावास में रहकर पढ़ रही हैं।क्या पता कोई उनके साथ भी यही सब कर रहा हो जो आप यहाँ हमारे साथ कर  रही हैं”।

“ए खबरदार, मेरी बेटियों के बारे में ऐसा सोचना भी मत”|

“मैडम जी, आप एक स्त्री और दो बेटियों की माँ होकर भी यह सब | लगता है आपका ज़मीर सचमुच मर चुका है”|

“गोमती मेरी बच्ची, मैं एक विधवा औरत हूँ। जैसे तैसे अपनी दो बेटियों को पाल रही हूँ। मैं तो मात्र एक कठपुतली हूँ। मेरे वश में कुछ भी नहीं है।

सुमित्रा जी के बहते आँसू उनके कथन की पुष्टि कर रहे थे|

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on August 16, 2018 at 2:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 3:59pm

समाज की सबसे ज्वलंत समस्या का बोध कराती बेहतरीन रचना के लिए  बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 15, 2018 at 10:19am

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 14, 2018 at 2:54pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार।  सम-सामयिक विषय पर बढ़िया प्रस्तुति।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 13, 2018 at 4:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय आशा जुगरान जी।

Comment by asha jugran on August 12, 2018 at 11:07pm

सामयिक घटनाओं को जोडती सुन्दर सर्जना.

 

Comment by TEJ VEER SINGH on August 11, 2018 at 8:55pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 10, 2018 at 9:57pm

बेहतरीन समापन के साथ बेहतरीन सृजन। हार्दिक बधाइयां आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 10, 2018 at 2:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by Samar kabeer on August 10, 2018 at 2:09pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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