For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 80 में शामिल सभी ग़ज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

आदरणीय सदस्यगण

80वें तरही मुशायरे का संकलन प्रस्तुत है| बेबहर शेर कटे हुए हैं और जिन मिसरों में कोई न कोई ऐब है वह इटैलिक हैं|

______________________________________________________________________________

Tilak Raj Kapoor 


सुना रहा है मुझे फिर वो इन्‍तज़ार की बात

वो इन्‍तज़ार मुसल्‍सल वो वस्‍ले यार की बात।

कभी किया न अदा तुमने उसको शुक्राना

रखी न याद खुदा से हुए क़रार की बात।

खुशी भरी है मुहब्‍बत तू ज़ह्र कर लेगा

किया न कर तू मुहब्‍बत में जीत-हार की बात।

खिजां, खिज़ां है, बहारों सी हो नहीं सकती

जुदा खिजां की तबीयत, जुदा बहार की बात।

हर एक शै में तुझे कुछ कमी नज़र आई

जहां खुदा का कहॉं तेरे अख्‍़तियार की बात।

ये वो जगह है जहॉं अक्‍ल की सुनी सब ने

सुनी किसी ने कहॉं दिल पे ऐतबार की बात।

सभी ने देख लिया एक मोजिज़ा जैसे

"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"

_______________________________________________________________________________

Nilesh Shevgaonkar 


कभी बदन की महक तो कभी बहार की बात,
ग़ज़ल इसी के बहाने करे हैं यार की बात.
.
शराब खाने से वाबस्ता है ख़ुमार की बात,
कि जैसे मुझ से जुड़ी तेरे इन्तिज़ार की बात.
.
क़ज़ा करे तो करे, रोज़ उस का काम यही,
मगर ये क्या कि करे ज़ीस्त भी शिकार की बात.
.
तुम्हारे एक तगाफ़ुल से कौन मरता है,
मगर ये बात हुई अब तो बार बार की बात.
.
दिखाया जाता है जैसा, वो है नहीं वैसा,
अलाहदा है वो शख्स और इश्तेहार की बात.
.
टटोल कर जो फ़रिश्तों ने दिल मेरा देखा,
ज़माने भर को सुनाते रहे ग़ुबार की बात.
.
किसी सफ़र पे जो कश्ती कभी गयी ही नहीं,
समन्दरों को बताये भँवर के पार की बात.
.
हुई है जब से मुहब्बत है दिल का काम यही,
“उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात”.
.
उधार प्रेम की कैंची है ये पढ़ा था कहीं,
उसूल.... आज नगद और कल उधार की बात.
.
निगाह-ए-नूर में सिमटे हैं रेगज़ार तमाम,
यकीं से कैसे सुनाता है आबशार की बात.

_______________________________________________________________________________

Samar kabeer


वो होंगे ख़ुश जो करोगे तुम इंतिशार की बात
गले से उनके उतरती कहाँ है प्यार की बात

इसी तज़ात पे चलती है ज़िन्दगी देखो
कभी ख़ज़ाँ की कहानी ,कभी बहार की बात

ख़ुदा का ज़िक्र ही होता है उनके होटों पर
जो नेक लोग हैं करते नहीं ख़ुमार की बात

ज़बाँ हिलाना तो आसान है मगर भाई
अलग ही होती है मैदान-ए-कार ज़ार की बात

चले हो राह-ए-मुहब्बत में तुम तो याद रहे
वफ़ा के साथ जुड़ी है सलीब-ओ-दार की बात

मैं अपने मंच का एहसान मंद हूँ कि यहाँ
बड़ी तवज्जो से सुनते हैं ख़ाकसार की बात

जहाँ जहाँ भी गये हमने ये ही देखा है
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'

तुम्हारे जैसी तो हिम्मत नहीं किसी में 'समर'
है किस में ताब जो टालेगा शह्रयार की बात

_________________________________________________________________________________

शिज्जु "शकूर" 


इन आँसुओं की कहानी वो आबशार की बात
जहान से है जुदा इस दिल ए फिगार की बात

तुम अपनी सोच पे थोड़ा विचार कर लेना
कि इश्क़ में नहीं होती है जीत-हार की बात

किसी का रद्दे अमल तो नहीं दिखा लेकिन
असर कोई तो दिखाएगी ख़ाकसार की बात

फ़क़त ये वक्त ही बदला है इतने बरसों में
अभी तलक नहीं बदली है मेरे यार की बात

जहाँ बदल गया क़ासिद को दें ज़रा आराम
नए तरीके से हो हिज्र ओ इंतज़ार की बात

दिखे हर एक वरक़ पर तेरी किताब में बस
"उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात"

_________________________________________________________________________________

गिरिराज भंडारी


नहीं, अभी तो न कीजे मियाँ करार की बात

अभी फज़ाओं में तारी है जीत हार की बात

खुली ज़बाँ से यहाँ हो रही है जार की बात 

हमारे हो के हमीं से करे हैं रार की बात

मेरे ही दाँत मेरी जीभ के मुखालिफ हैं

करूँ तो कैसे, बता अब, मेरे दियार की बात

वहाँ के खून में शामिल है जंग के कीड़े

नहीं, न छेड़ वहाँ यार मेरे प्यार की बात

ख़ज़ाँ की बांह बहुत दूर तक है फैली हुई

दबी ज़बाँ से भी करना नहीं बहार की बात

जो दर्या सूख चुका है अजल से बस्ती का

ब क़द्र ए शौक़ करें आ उसी की धार की बात

हरेक चेह्रे पे है दाग़ तीर ओ ख़ंज़र के

हरेक, दिल में है नफरत, ज़बाँ में प्यार की बात

मुझे सुकून है गुमनामियों में रह कर भी

जिसे न आये सुकूँ, कर ले इश्तिहार की बात

वो मुझको भूला है बरसों से, मैं करूँ कब तक

" उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "

________________________________________________________________________________-

Dr Manju Kachhawa 


बताऊँ आज तुम्हें आओ! एक बार की बात
ये है गुलों के, बहारों के इक दयार की बात

न मंज़िलें ही मिलीं , ये है बार-बार की बात
हैं रहगुज़र के ही किस्से या है ग़ुबार की बात

ये दिल तो कहने में है आपके ही जब, तो फिर!
है रायगाँ ही इसे कहना इख़्तियार की बात

यकीं रहा नहीं वादे पे अब मुझे तेरे
तू कर ही मत कोई मुझसे तो एतबार की बात

ख़िज़ां ने साथ दिया मुस्तक़िल यही सच है
है बेवफ़ा, यही इतनी सी है बहार की बात

तेरे भी दिल का वही हाल होता जो है मेरा
न होती लब पे हमारे कोई क़रार की बात

पुराने लगने लगे आसमाँ , ज़मीं, ये जहाँ
कि छेड़ो आज कोई इस जहाँ के पार की बात

सुकून देते थे आमाल हिज्र में ये ही
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'

अदावतें न रखें दिल में हम किसी के लिए
मिलें ख़ुलूस ही से और फ़क़त हो प्यार की बात

________________________________________________________________________

Kalipad Prasad Mandal 


ज़माने में कभी हमने किया है प्यार की’ बात

हज़ार बार किया है वही करार की’ बात |

बचोगे’ तुम भी’ नहीं वक्त बेवफा तो नहीं

गुनाह ने नहीं भूला गुनाहगार की’ बात |

किसान है निरा’ निर्बल, को’ई नहीं है’ सहारा’

गरीब क्या करे’ माना ज़मीनदार की’ बात |

चिढन जलन है’, बहुत है, सभी उन्ही के’ मन में’

खटास और भी’ है, फ़क्त नागवार की’ बात |

भरोसा अब नहीं’, उसने किया गुनाह अक्षम्य

पड़ोसी’ था, यही’ थी फ़क्त एतबार की’ बात |

नहीं पसंद उन्हें बात चीत कुछ करे’ और

उन्ही की’ आँखों’ के’ किस्से उन्ही के’ प्यार की’ बात |

बुझा बुझा सा’ है’ चेहरा, विषाद युक्त ललाट

उदास क्यूँ हो’ बताओ वो’ बेकरार की’ बात |

तुम्हे किया है’ बहुत दूर क्रूर वक्त ने’ हम से’

नसीब में नहीं’ थी यार ते’री प्यार की’ बात |

ये’ हुस्न तीक्ष्ण नयन क़त्ल के ही’ अस्त्र हैं’ सारे’

शबे विशाल में’ यौवन अदम कटार की’ बात |

_______________________________________________________________________________

Tasdiq Ahmed Khan 
.
यही तो गम है वो करते हैं एतबार की बात |
मगर कभी नहीं करते हैं हम से प्यार की बात |

जहाँ पे बागबाँ सुनता हो सिर्फ़ खार की बात |
वहाँ पे फूल करें किस तरह बहार की बात |

मेरी ही होती हैं क्यूँ आज़माइशें यारो
जबां से करता हूँ मैं जब भी इख्तियार की बात |

मिलन के बारे में सोचे भी किस तरह आशिक़
हसीं तो करते हमेशा हैं इंतज़ार की बात |

सदा ही ज़िकरे क़ियामत के वक़्त याद आएँ
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात |

सितमगरों की यह बस्ती है लोग कहते हैं
यहाँ न करना किसी शख्स से दुलार की बात |

लगाई बाज़ी मुहब्बत की जैसे ही हम ने
अज़ीज़ करने लगे जीत और हार की बात |

यही तो फितरते रह्बर है मिलतेही कुर्सी
वो भूल जाते हैं दानिस्ता रोज़गार की बात |

अजब है वादाखिलाफी है जिसकी फ़ितरत में
वो कर रहा है फक़त क़ौल और क़रार की बात |

तअललुक़ात अगर बर क़रार रखने हैं
न क़र्ज़ दार से करना कभी उधार की बात |

सुनाएँ दास्ताँ तस्दीक़ हम भला किस को
सभी के लब पे है महफ़िल में अपने यार की बात |

________________________________________________________________________________

Ahmad Hasan 


ज़माना रोज़ करे है उसी दयार की बात |
ज़रूर इस में छुपी है किसी से प्यार की बात |

हसीं से चेहरा -ए -ज़ेबा पे किस लिए गाज़ा
हमें तो भाती नहीं है तेरे सिंगार की बात |

उन्हीं की ज़ूलफ़े गिरहगीर के हर सू चर्चे
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात |

हैं और भी तो ज़माने में खूब तर खूबां
तुम्हें है एक की रट और हमें हज़ार की बात |

नज़र के दाम जो देखा तो ज़ुलफे पेचा को
गिरह लगा के कहा उसने कर शिकार की बात |

जहाँ सभी के हों ओछे से तुच्छ तुच्छ विचार
वहाँ पे कैसे हो संभव खुले विचार की बात |

हैं अस्ल गाज़ा के उत्पाद भी कहाँ अहमद
हमें तो भाती है बस क़ुदरती निखार की बात |

______________________________________________________________________________

munish tanha

अगर है प्यार करो तभी करार की बात
नहीं तो छोड़ दो बेकार है दुलार की बात

गुजर गयी सदियाँ मगर मुहब्बत है
उसी के राज में चलती सदा बहार की बात

मिली न हो जिसे रोटी भला वो क्या बोले
उसे कहाँ लगे अच्छी यहाँ दयार की बात

किया है प्यार में वादा न अब जुदा होंगे
हमें तो बस है मुहब्बत करो न खार की बात

खुदा ने सोच के दुनिया बनाई है साहिब
करे न आज से कोई यहाँ तो वार की बात

रहा है काम न कोई उन्हींकी चर्चा के
उन्हीं की आंख की बातें उन्हीं के प्यार की बात

______________________________________________________________________________

जयनित कुमार मेहता 


खिज़ा के रुत में न कर ऐसे तू बहार की बात
हमारे दिल को चुभा करती है क़रार की बात

कोई क़दम भी उठाए तो कोई बात बने
ज़बाँ से तो यूँ सभी करते हैं सुधार की बात

उसी की जीत के चर्चे हैं अब जिधर देखो
कि जिसने हार न मानी थी सुन के हार की बात

न तुमने देखा, न उसने, न मैंने देखा है
वज़ूद उसका है सिर्फ एक ऐतबार की बात

बिछड़ के उनसे सुनाता हूँ मैं सभी को अब
"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"

ये शेरो-शाइरी की मेह्रबानियां हैं जो
पहुँच रही है सरे-बज़्म ख़ाकसार की बात

_______________________________________________________________________________

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

बड़ा खुदा से न कोई ये ऐतबार की बात,
बड़ी खुदा से मोहब्बत ये जानकार की बात।

लगा है जब से ये फागुन चली धमार की बात,
दिलों में छाई है होली ओ रंग-धार की बात।

जिधर भी देखिए छाई छटा बसन्त की आज,
फ़िज़ा का हर ही नज़ारा करे बहार की बात।

अगर जहाँ में कहीं पे नज़ारे जन्नत के,
जहाँ चिनार खड़े और देवदार की बात।

मची है धूम चुनावों की देखिए जिस ओर,
किसी की जीत की अटकल किसी की हार की बात।

करूँ जो लाख मैं कोशिश सहूँ सितम उनके,
मुकाम-ए-इश्क़ का मिलना न इख़्तियार की बात।

मैं गीत और ग़ज़ल में पिरौता हूँ केवल,
उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात।

जो जाम इश्क़ का पीया वो लब से छलके अगर,
वो प्यार का नहीं किस्सा वो इश्तहार की बात।

बाज़ार में न ये बिकती किराये पे न मिले,
रही कभी न मुहब्बत खरीददार की बात।

सुनो वतन के जवानों न पीछे हटना कभी,
कभी वतन के लिए गर हो जाँ निसार की बात।

अगर किसी ने मुहब्बत किसीसे की सच्ची,
'नमन' कभी ये नहीं सिर्फ़ एकबार की बात।

_______________________________________________________________________________

अरुण कुमार निगम 


करो वही जो कहे दिल, सुनो हजार की बात
खिजाँ का दौर भी हो तो, करो बहार की बात ।

न हौसलों में कमी हो, मिलेगी जीत तुम्हें
जुबाँ पे भूल के आये, कभी न हार की बात ।

चुनावी दौर में यारों, मिलेंगे ख़्वाब हसीं
यही तो होता हमेशा, ये है प्रचार की बात ।

शवाब खूब खिलेगा, न होंगे तुमसे हसीं
अजी फरेब करे है, ये इश्तिहार की बात ।

जली वो डायरी जिसमें, लिखे हुए थे कई
उन्हीं की आँखों के क़िस्से, उन्हीं के प्यार की बात ।

___________________________________________________________________________

surender insan 


है इल्तिज़ा न करो आज इंतज़ार की बात।
करो अगर तो करो आज आप प्यार की बात।।

कि हो रहा है भला क्यों उदास दिल मेरा।
जी चाहता है कि सुनता रहूँ मैं यार की बात।।

उदास रहने की आदत जिसे पुरानी है।
कभी उसे तो न अच्छी लगे बहार की बात।।

जिसे फ़रेब मिला उम्र भर ज़माने से।
वो शख़्स आज भी करता है एतबार की बात।।

जो दोस्ती है निभाते सदा दिलो जां से।
कभी वो लोग न करते है यार मार की बात।।

डरे कभी न परेशानियों से आप कभी।
रखे है नेक इरादे करे न हार की बात।।

नया नही था यूँ महफ़िल में आज भी कुछ ख़ास।

"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात"।।

______________________________________________________________________________

Ravi Shukla


न इश्क हो न करे कोई प्यार व्यार की बात,
पियें पिलाएं करें रोजो शब खुमार की बात।

तमाम फूल चमन में करें बहार की बात।
हमारे हिस्से में आई है ख़ार ख़ार की बात,

कदम कदम पे शिकस्ता दिली हमारी है,
वरक़ वरक़ पे लिखी है ज़फ़ा शिआर की बात।

जवाब तुमको भी देना है हश्र में यारो,
तुम्हें भी काश समझ आये उस दियार की बात।

वफ़ा यकीन कसम अश्क दीद और वादे,
इन्हीं के बीच से निकली है इंंतज़ार की बात।

तमाम राह कटी है ख़ुदा ख़ुदा करके,
समझ न आई हमें कुछ पसे गुबार की बात।

मैं जानता हूँ हकीकत जुबाँ के ज़ख्मों की
लगी है फिर भी ये मरहम सी ग़म गुसार की बात।

कहा जो उससे जुदाई का दौर ख़त्म करो,
सुनी न उसने खुद अपने ही इख्तियार की बात।

जहाँ जहाँ भी गये हमने बस यही देखा,
उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात।

_________________________________________________________________________________

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव 

तमाम इश्क में करते हैं सब करार की बात

किसी से होती नहीं उसके कुछ वकार की बात

बड़ा बखान हैं करते शरूर का सभी तो

मगर नहीं कोई करता कभी खुमार की बात

नहीं किया कभी तौबा शराबे इश्क से उसने

कबूल खुद किया है ये कभी कभार की बात

कभी-कभी बड़ी हिम्मत से मैं गया हूँ वहां

मगर मैं कैसे करूं उससे आर-पार की बात

नहीं है सूझता कुछ बेखुदी में उनके सिवा

उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात

यकीन मानिये अब तो जरूर शर्म आती है

करें तो फिर कैसे हम उनसे अब उधार की बात

उसे उड़ा के कही दूर ले गया कोई

मुझे भली नहीं लगती दयारे-यार की बात

है उनकी रात मुनव्वर हसीन तारों से

उन्हें डराती है हर रोज अन्धकार की बात

बहुत गुबार भरा है जख्म-ए-दिल में अभी

करूंगा मैं ही कभी उससे दिल-गुबार की बात

_______________________________________________________________________________

सतविन्द्र कुमार राणा 


सही नहीं है सभी से हमेशा रार की बात
ज़ुबाँ में शीर हो दिल से निभाओ प्यार की बात

मिटा रहा है जो खुद को जमाने की खातिर
नहीं हैं भातीं उसे बाग-ओ-बहार की बात

सहोगे जुल्म कहाँ तक चलो उठो जागो
निकालो जह्न से अब खुद के बाजदार की बात।

लिखे हुए हैं ये औराक़ पर मेरे दिल के
*उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात*

लुटा के प्यार को दुनिया जिन्होंने जीती है
न देखा है उन्हें करते कभी कटार की बात

________________________________________________________________________________

Hemant kumar 


नहीं है अच्छा हरिक रोज हमसे खार की बात,
कभी तो प्यार से कर लेते हमसे प्यार की बात।

वो जख्मों को जो हरा करते हैं बता दो उन्हें भी,
किया नहीं वो कभी करते है बहार की बात।

जरा उठा दे कोई परदा इन बे कदरो के सर से,
जो दंगा करते है फिर करते है वो ज़ार की बात।

उड़ाया कर मेरी बातों का भी मजाक मगर तू,
ना इतना करना कभी तू मगर गुसार की बात।

दिलों में आग लगाते देखी है दुनिया हेमंत,
जो उजले है वो ही करते है जाना ख़्वार की बात।

________________________________________________________________________________

rajesh kumari 


न गुलसिताँ न गुलों में हुई बयार की बात

न वादियों में बची अब कोई बहार की बात

न कीजिये किसी उल्फ़त में इन्तजार की बात

यहाँ पे हो गई बेमानी प्यार व्यार की बात

जुबाँ जुबाँ पे चढ़े हैं बवाल के किस्से

न गुनगुनाती वो झेलम न आबशार की बात

बस इक बवाल का मफ़्हूम याद है उनको

न खेल कूद पढाई न रोजगार की बात

लहू लहू में जहाँ दौडती बगावत हो

है रायगा ही वहाँ अम्न औ करार की बात

सहम सहम के जवाँ हो रहे शजर देखो

न देवदार की बातें न वो चिनार की बात

न गूँजती है हँसी अब यहाँ फिजाओं में

हरेक सिम्त शिकारी करें शिकार की बात

न अख्तियार जमीं पर न आसमां पे कोई

करेगा अब यहाँ कैसे कोई दयार की बात

सबूत आज भी मिलते मुहब्बतों के यहाँ

उन्हीं की आँखों के किस्से उन्हीं के प्यार की बात

________________________________________________________________________________

मोहन बेगोवाल 


यहाँ मिली है हमेशा ही राह खार की बात
बहार आई न तो क्यूँ करें बहार की बात

रहा हवा को सूनाता तेरी यहाँ जमाने को
सुना मुझे वो तो करता ज़रा इकरार की बात

गुजर गई जो नहीं थी सदा, मगर रही अपनी
"उन्ही की ऑंखों के किस्से उन्ही के प्यार की बात"

यहाँ मिले वो जरूरी अगर तलाश हो उसकी
अगर नहीं तो होती यहाँ गुबार की बात

नगर बदल रहा मेरा मुझे दिखाई तो देता
अगर बदल नहीं जाता हो आर पार की बात

________________________________________________________________________________

Mahendra Kumar 


ये मौसमों के हँसी क़िस्से, ये बहार की बात
जहाँ है वो, वहीं हूँ मैं, वहीं है प्यार की बात

उसी की याद दिलाए, उसी का नाम पुकारे
ये धड़कनों का जवां शोर, ये क़रार की बात

जला के रूह को रंगों में थोड़ी रौशनी भर दो
कि थोड़ी साफ़ हो जाए दिले निगार की बात

ग़ज़ल के लफ्ज़ में तस्वीर उनकी, रंग उन्हीं का
"उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात"

वो खिड़की खोल दो थोड़ी, दिया ये क़ब्र पे रख दो
हवाएँ लायीं हैं देखो दयारे यार की बात

जहाँ पे ढूँढ रहे हो, वहाँ मिलेगी नहीं
हमारे दोस्तों के बीच ऐतबार की बात

किसी ने पूछा कि क्या है ग़ज़ल तो कह दिया उसने
वफ़ा के खोखले मिसरों में प्यार व्यार की बात

बदल के चैनलों सा इस तरह निकल गए आगे
हो जैसे ज़िन्दगी ये मेरी इश्तिहार की बात

______________________________________________________________________________

मिथिलेश वामनकर 


जिसे वो कहते हैं- ये है नए सुधार की बात

नया प्रपंच है उनका, ये है विचार की बात

समान अवसरों का अर्थ क्या है, यूँ समझो

सितार ध्यान से कहता, हरेक तार की बात

तू सोचती है मुझे और सोचता मैं तुझे

इन्ही दो पंक्तियों के मध्य में है प्यार की बात

नवीन पथ का किया जब चयन किसी ने तो

समाज करने लगा उसके बहिष्कार की बात

मना जो करना है, सीधे ही तुम मना कर दो

भला क्यूँ व्यर्थ में करते हो सौ प्रकार की बात

अभी तो बीज को अँकुए से कुछ निकलने दो

अभी न खेत से करना कोई तुषार की बात

भला हृदय की कहें पीर हम उन्हें कैसे ?

वो घाव देख के करते सदैव क्षार की बात

नगर - नगर ही नहीं हर गली मुहल्ले में

"उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात "

______________________________________________________________________________

दिनेश कुमार 


परख के देखो सियासी दुकानदार की बात
जुदा मिलेगी हक़ीक़त से इश्तिहार की बात

ख़ज़ाँ को मौसमे-गुल औ'र गुलों को ख़ार कहे
गले से उतरे भला कैसे शह्रयार की बात

किसी के मेहंदी लगे हाथ ज़हन में आये
समाअतों में थी उभरी ज़रा चनार की बात

तमाम उम्र सराबों की ख़ाक छान के भी
मेरे लबों पे थिरकती है आबशार की बात

दिले-तबाह से अफ़्सुर्दगी की बात करो
कि इस पे क़ह्र बपा कर न दे बहार की बात

शजर से टूट चुका एक बर्ग-ए-ज़र्द हूँ मैं
मेरी रविश है कहाँ मेरे इख़्तियार की बात

'दिनेश' अहल--ए--मोहब्बत उन्हीं के रंग में हैं
'उन्हीं की आँखों के क़िस्से उन्हीं के प्यार की बात'

_________________________________________________________________________________

Dr Ashutosh Mishra 


कभी तो यार करो कोई ऐतवार की बात
जरूरी प्यार से पहले है यार प्यार की बात

है तोड़ तितलियों भँवरों का दिल चमन में यूं
सही न लगता मुझे करना ये बहार की बात

चुनाव आते ही लगता बदल गया सब कुछ
हुयी सपा से है पंजे के इस करार की बात

न आँखें वो न वो उल्फत तो क्यूँ करें हरदम
उन्ही के आँखों के किस्से उन्ही के प्यार की बात

तुम्हारे पास जो उसकी नहीं कदर तुमको
मिली जो बांसुरी करते हो तुम सितार की बात

समन्दरों से भी गहरा है इल्म का सागर
हयात जाये गुजर आये जब निखार की बात

कभी तो फ़ूल के जैसे भी पेश आया करो
कभी तो देख तुम्हें भूल पाऊँ खार की बात

_________________________________________________________________________________

नादिर ख़ान


कभी तो तुम भी करो मुझसे एतबार की बात

शिकायतें भी करो कुछ मगर हो प्यार की बात

बहुत गिनाते हो मुझको मेरी कमी लेकिन

कभी तो खुद में भी करते ज़रा सुधार की बात

न जाने मेरी परेशानियों का हल कब निकले

सुना रहा है यहाँ हर कोई सुधार की बात

मेरा तो साथ गवारा न था कभी जिनको

करे है आज वो खुद में मुझे शुमार की बात

है आसमान उन्ही का उन्ही की है ज़मीं भी

न करना उड़ते परिंदों से अब दयार की बात

घरों की रौनकें ज़िन्दा हैं बेटियों से ही

कि फूलों के बिना होती नहीं बहार की बात

किया न मैंने उसूलों से आजतक सौदा

न कर तू मुझसे सरेराह यूँ उधार की बात

रहा न याद मुझे कुछ मगर ये याद रहा

उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात

______________________________________________________________________________

अजीत शर्मा 'आकाश' 


कहो न हमसे तुम अब और इन्तज़ार की बात ।

कभी तो हँस के करो यार, प्यार-व्यार की बात ।

हसीं लबों से, कि ज़ुल्फ़ों से, या कि आँखों से

शुरू कहाँ से करूँ, अब मैं हुस्ने यार की बात ।

इसी का नाम सियासत है तुम ये क्या जानो

लगा के आग जो की जाती है मल्हार की बात ।

फ़क़त लुभाने की ख़ातिर हैं सारे हथकण्डे

हटाओ, फेंको भी कूड़े में इश्तिहार की बात ।

किसी जगह नहीं महफ़ूज़ आजकल कोई

सुनायी पड़ती है हर ओर लूटमार की बात ।

हरेक जगह पे खि़ज़ाँ की है हुक्मरानी क्यों

सुनायी देती नहीं अब कहीं बहार की बात ।

सुकूने-दिल के लिए हम तो रोज़ करते हैं

[[उन्ही की आँखों के क़िस्से उन्ही के प्यार की बात]]

________________________________________________________________________________

जिन गजलों में मतला या गिरह का शेर नहीं है उन्हें संकलन में जगह नहीं दी गई है इसके अतिरिक्त यदि किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो अथवा मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो तो अविलम्ब सूचित करें|

Views: 822

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब राणा प्रताप सिंह साहिब , ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक _8o के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं I 

जनाब राण प्रताप सिंह जी आदाब,'ओबीओ लाइव तरही मुशायरा'अंक-80 के संकलन के लिए बधाई स्वीकार करें ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
17 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
20 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
21 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
41 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
42 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service