For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिलेशनशिप (लघुकथा)

"मां, मुझे क्षमा कर दो और घर चलो!"

"क्षमा क्यों? तुमने भी वही किया जो सभी मर्द ऐसे हालात में करते हैं! ... यह बात और है कि तुम इतनी कम उम्र में पूरे पुरूष बन गये और एक विधवा पर वैसे ही बोलों के पत्थर फैंकने लगे!"

"लेकिन मेरे बड़े भाई ने हमेशा तुम्हारा ख़्याल रखा, तुम्हारा ही बचाव किया न!"

"हां, किया! ... सब कुछ के लिए किया! .. नेक भाई, बेटे या नेक देवर की तरह नहीं किया!तभी तो हार कर इस 'लिव-इन-रिलेशनशिप' को स्वीकार कर चैन से यहां हूं !"

"लेकिन रिश्तेदारों और समाज के पत्थर तो अब भी तुम पर पड़ रहे हैं न 'भाभी मां'!"

"पत्थरों के ज़ख़्म इस नेक इंसान के सुगंधित पुष्पों से ठीक भी तो होते रहते है न!"

"तो फिर तुम इनसे ही विधिवत दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेतीं?"

"लिव-इन-रिलेशनशिप में ऐसा कहां हो पाता है रे! ये भी तो अमीर मर्द है न! ..इसे मालूम है कि इस देसी विधवा के दिल पर अभी भी मर चुके पति की गहरी छाप है! शरीर तो ...!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:28pm

मेरी इस प्रविष्टि पर समय देकर टिप्प्णियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  डॉ. आशुतोष मिश्रा  साहिब , मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा ,  मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब , मुुुहतरमा अपर्णा शर्मा साहिबा,  मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा और मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 26, 2018 at 4:07pm

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस बिचारोतेज्जक रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Neelam Upadhyaya on July 23, 2018 at 2:59pm

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, नमस्कार ।  अच्छी लघुकथा हुई है।  प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । 

Comment by babitagupta on July 22, 2018 at 10:02pm

दुनियां के तानों से व ओरो से अपनी सुरक्षा के लिए वेबशी में बनाए रिश्ते पर समाज की छींटा कशी तो होती ही है लेकिन औरत अंदर ही अंदर कितने जद्दोजहद में जीवन गुजारती है, इस पर किसी की नजर नहीं जाती।बेहतरीन रचना, समाज की इस ज्वज्वलं समस्या पर, बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी.  

Comment by Arpana Sharma on July 22, 2018 at 8:27pm

एक भारतीय पतिव्रता स्त्री का गहन समर्पण और समाज के लांछनो,परिवार के तानों से बचने विवशता में अपनाया गया रिश्ता उसकी पनाहगाह बन जाता है।

बहुत सशक्त कथानक है जिसे प्रभावी रूप से शब्दों में पिरोया गया है। सादर बधाई आपको

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 12:27pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 22, 2018 at 11:36am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।समाज की एक ज्वलंत समस्या को नये दृष्टिकोण से परिभाषित करती बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Mohammed Arif on July 22, 2018 at 7:47am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                        एक रिश्ते से निकलकर या विवशता के बाद जब दूसरा रिश्ता स्वीकार किया जाता है तो समज बिरादरी के तानें तो सुनने को मिलेंगी भी । एक औरत पर क्या गुज़रती है यह तो वही जानती है । हमारे पारंपरिक समाज में "विवाहहेतर संबंध"को इतनी सामाजिक मान्यता नहीं मिली है । बहुत ही विचारोत्तेजक कथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service