आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सत्तासीवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
20 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार से 21 जुलाई 2018 दिन शनिवार तक
इस बार के छंद हैं -
कुकुभ छंद और कुण्डलिया छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
कुकुभ छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार से 21 जुलाई 2018 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
आदरणीय दण्डपाणि जी आदाब,
बहुत अच्छी कुण्डलिया छंद की रचना । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय दण्डपाणि जी बेहतरीन रचना के लिए बहुत बहुत बधाई
आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी सादर, प्रदत्त चित्र पर कुण्डलिया छंद रचने का सुन्दर प्रयास क्या है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. प्रथम चरण में १४ मात्राएँ हो रही हैं. /कभी हो जाय बंद/ व अंतिम दोनों पंक्तियों में गेयता नहीं है. देख लें. सादर
आदरणीय दंडपानी नाहक जी कुंडलिया छंद पर सुन्दर एवं सार्थक प्रयास हेतु हार्दिक बधाई
जय जय ..
भागीदारी के लिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ आदरणीय दंड पाणी जी.
गीत: कुकुभ छंद
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क्या उसने प्यास बुझाई है, जिसने नलका लगवाया?
शांत किया है या फिर उसने, हाथ से जिसने चलाया?
नाम कहाँ है लेकिन उसका, जो शीतलता का दानी,
पानी-पानी ओ रे पानी, प्यास बुझाता है पानी
तुझ बिन कलियाँ कुम्हलाई हैं, पौधे भी सब मुरझाये
बूँद बूँद तेरी धरती पर, जीवन संगीत सुनाये
ओढाता है हरी चुनरिया, करता धरती को रानी
पानी-पानी ओ रे पानी, प्यास बुझाता है पानी
आज सहेजेंगें तब तो कल, बच्चों की तृप्ति होगी
सूखे कंठों की वरना फिर, लगी हुई पंक्ति होगी
हम को सब को ही लिखनी है, अब कल की कथा सुहानी
पानी-पानी ओ रे पानी, प्यास बुझाता है पानी
#मौलिक एवं अप्रकाशित
आदरणीय अजय गुप्ता जी आदाब,
बहुत ही सुंदर गीत की रचना ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
शुक्रिया आरिफ़ साहब
विषयानुकूल अच्छी रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय
शुक्रिया जनाब
जनाब अजय साहिब, प्रदत्त चित्र पर सुंदर गीत हुआ है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l पंक्ति 2(हाथ से जिसने चलाया ) में लय बाधित हो रही है l पंक्ति 10में (लगी हुई पंक्ति होगी) 13 मात्राएँ हो रही हैं, देखिएगा l
जी ज़रूर।।
पारखी नज़र से देखने से लिये आभार तस्दीक़ साहब
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1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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