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नींद आँखों से खफा –खफा है /

चली है ठंडी हवा वो याद आ रह है /

लिखा था मौसम किसी कागज़ पे/

टहलती आँख लफ्ज़ फड़फड़ा रहा है /

सिलवटें बिस्तरों पे नहीं सलामत /

दिल का साँचा हुबहू बचा हुआ है/

नक्ल करके नाम तो पा सकता हूँ /

पर मेरा वजूद इसमें क्या है?

वो आज भी रहता है मेरे आसपास /

मेरे बच्चे में मुस्कुरा रहा है |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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Comment

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Comment by somesh kumar on July 9, 2018 at 10:48am

आप सभी अग्रजों के स्नेह एवं स्वीकृत का शुक्रिया |क्षमाप्रार्थी हूँ की पारिवारिक जिम्मेवारियों के चलते लेखन-पठन के लिए बहुत कम समय निकाल पा रहा हूँ |इसलिए बामुश्किल कभी-कभी अपने पुराने लिखे में से छटनी कर मंच पर प्रकाशन हेतू समर्पित करता हूँ |

उम्मीद है की आप मेरी विवशताओं को संज्ञान में लेंगे और अपना स्नेह बनाए रखेंगे |

आप सभी का अनुज 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2018 at 7:43pm

आ. सोमेश जी, भावप्रधान रचना के लिए बधाई । भाई समर जी की बात का संज्ञान लें ।

Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2018 at 3:35pm

आद0 सोमेश कुमार जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाव सम्प्रेषण। बधाई देता हूँ इस प्रस्तुति पर। जनाब समर साहब के बातों का संज्ञान लीजिये। सादर

Comment by Samar kabeer on July 5, 2018 at 12:11pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

एक निवेदन है कि मंच पर आई दूसरी रचनाओं पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रया भी दिया करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 5, 2018 at 11:02am

"वो आज भी रहता है मेरे आसपास,
मेरे बच्चे में मुस्कुरा रहा है |"

आदरणीय सोमेश कुमार जी, नमस्कार।  अच्छी रचना की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 

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