For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक आवारा तितली सी मैं
उड़ती फिरती थी सड़कों पे...

दौड़ा करती थी राहों पे
इक चंचल हिरनी के जैसे ...

इक कदम यहाँ इक कदम वहाँ
बेपरवाह घूमा करती थी...

कर उछल कूद ऊँचे वृक्षों के
पत्ते चूमा करती थी...

चलते चलते यूँ ही लब पर
जो गीत मधुर आ जाता था...

बदरंग हवाओं में जैसे
सुख का मंजर छा जाता था...

बीते पल की यादों से फिर
मैं मन ही मन भरमाती थी...

इठलाती थी बलखाती थी
लहराती फिर सकुचाती थी...

हैं आज कदम कुछ ठहरे से
गुमसुम से सहमे सहमे से...

डर डर के बढते हैं ऐसे
जैसे निकले हों पहरे से...

ना गीत जुुुबा पर है कोई
ना जाम हैं शोखनिगहों के...

बस इक टक देखा करती हूँ
कंकड पत्थर इनराहों के...

हैं कदम बड़े डगमग डगमग
यूँ संभल संभल के चलते हैं...

इन ऊँची नीची राहों पर
आगे बढने से डरते हैं...

चलते चलते रूक जाती हूँ
ना जाने क्या हो जाता है...

अधरों पे हँसी लिए ये मन
अंदर अंदर घबराता है...

सबको तो बहुत लुभाती हैं
पर मुझे सताती हैं हर पल...

पांवों में बेड़ी लगती हैं
ये ऊँची एड़ी कीं चप्पल..... !!


( मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रक्षिता सिंह on June 22, 2018 at 3:18pm

आदरणीया नीलम जी नमस्कार 

आपकी शिर्कत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , आपके द्वारा बताइ त्रुटियों को मैं शीघ्र ही सुधारने का प्रयास करूँगी....कृपया  मार्गदर्शन बनायें  रखे....

Comment by रक्षिता सिंह on June 22, 2018 at 3:15pm

आदरणीय श्याम जी नमस्कार 

  बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 22, 2018 at 3:15pm

आदरणीय आरिफ जी नमस्कार 

आपकी शिर्कत व हौसला अफजाई केलिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 22, 2018 at 2:42pm

आदरणीय रक्षिता सिंह जी, नमस्कार । चंचलता और शोखी से भरी अच्छी कविता की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।  छोटी छोटी वर्तनी संबन्धी कमियां सुधार  लें -
घूमाँ की जगह घूमा,   लव की जगह लब, पाँओं की बजाय पाँवों,  जुवाँ की बजाये जुबाँ, ऐड़ी  कीं की जगह एड़ी की ।

Comment by Shyam Narain Verma on June 22, 2018 at 1:25pm
बहुत उम्दा ... बहुत बहुत बधाई   सादर 
Comment by Mohammed Arif on June 22, 2018 at 12:57pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी आदाब,

                              शोख-चंचल, स्वच्छंद अदाओं का अच्छा चित्रण । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service