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सूर्य उगाने जैसा हो- गीत

जीवन की सूनी राहों में,

मधु बरसाने जैसा हो.

अबकी बार तुम्हारा आना

सचमुच आने जैसा हो.

 

धूप कुनकुनी खिले माघ में,

भीगा-भीगा हो सावन.

बादल गरजें जिसकी छत पर,

बारिश हो उसके आँगन.

 

हो सबकी हर भोर सुनहरी,

संध्या मधुर सुहानी.

देखें मीठे सपने, जिनमें,

सब कुछ पाने जैसा हो.

 

सत्ता के हर गलियारे में,

रहे झूँठ पर पाबन्दी.

सच का हो विस्तार निरंतर,

चाल न हो पाये मंदी.

 

सिंहासन तक जो भी जाये,

दिल की गलियों से गुजरे

भले एक हो उसका वादा,

मगर निभाने जैसा हो

 

नेह-नीर से मन की बगिया,

रहे हमेशा हरी-भरी.

दूर तलक भी नजर न आये,

नफरत भागे डरी-डरी.  

 

खुशियों से झोली भरने को,

हर मानव का कर्म यहाँ.

अन्धकार से भरी गली में,

सूर्य उगाने जैसा हो.

"मौलिक और अप्रकाशित"

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 19, 2018 at 3:49pm

आदरणीया KALPANA BHATT ('रौनक़')  जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 7:15am

आदरणीय बसंत जी नमस्कार! 

हिन्दी के सुन्दर शब्दों से रची बहुत ही अनुपम रचना...

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 18, 2018 at 8:36pm

शानदार गीत के लिए बधाई.........

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 18, 2018 at 7:51pm

सुंदर गीत लिखा है आपने आदर्निया बसंत कुमार जी, बधाई स्वीकारें|

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 3:37pm

आदरणीय समर कबीर जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by Samar kabeer on June 18, 2018 at 2:34pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 1:07pm

आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 1:06pm

आभार आदरणीय Ajay Kumar Sharma जी आपका 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 18, 2018 at 12:38pm

आदरणीय बसंत कुमार जी, नमस्कार । बहुत ही बढ़िया रचना । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Kumar Sharma on June 18, 2018 at 10:48am

वाह बहुत सुन्दर रचना.

बधाई स्वीकार करें....

कृपया ध्यान दे...

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