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221 2121  1221 212

आया सँवर के चाँद चमन में उजास है ।
बारिश ख़ुशी की हो गयी भीगा लिबास है ।।1


खुशबू सी आ रही है मेरे इस दयार से।
महबूब मेरा आज कहीं आस पास है ।।2

पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी शराब में कुछ बात ख़ास है ।।3

उल्फत में हो गए हैं फ़ना मत कहें हुजूर ।
जिन्दा अभी तो आपका होशो हवास है ।14


हुस्नो अदा के ताज पे चर्चा बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक पे लगता कयास है ।।5


मिलता नशे में चूर वो कंगाल आदमी ।
जाने कहाँ से मुफ्त में भरता गिलास है ।।6

कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।7


बरसेगा आज मुद्दतों के बाद बेहिसाब ।
बादल को है खबर कि जमीं क्यूँ उदास है ।।8

नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Samar kabeer on May 13, 2018 at 9:43pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

तीसरे शैर में उर्दू के हिसाब से देखें तो क़ाफ़िया दोष है ।

चौथे शैर में भी 'होश-ओ-हवास' बहुवचन है, इसलिये रदीफ़ 'है' की बजाय "हैं" हो रही है,देखियेगा ।

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