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छोटी सी ज़िन्दगी में किसे ख़ुश बता करूँ

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छोटी सी ज़िन्दगी में किसे ख़ुश बता करूँ,

ज़लता चराग़ हूँ मैं अँधेरे का क्या करूँ ।

कैसे सुनाऊँ सबको महब्बत की दास्ताँ,

या फिर बता दो दर्द वो कैसे सहा करूँ ।

ये माना ख़ुद की फ़िक्र में इतना नहीं सकूँ,

जो मिलता ज़ख्म-ए-ग़ैर के मरहम मला करूँ ।

दस्तक़ तू दे ऐ मौत, मज़ा तब है, हो नशा,

मैं जब खुदा के ध्यान में सिमरण किया करूँ ।

जब हो नसीब में ये तग़ाफ़ुल ये बेरुख़ी,

तो बे-हया ये ज़िन्दगी कैसे ज़िया करूँ ।

तगाफुल=उपेक्षा, ग़फ़लत

*********

मौलिक व अप्रकाशित

हर्ष महाजन

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Comment

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Comment by Samar kabeer on March 13, 2018 at 10:22pm

जनाब हर्ष महाजन जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Harash Mahajan on March 13, 2018 at 9:01pm

क्या कहूँ----आदरणीय नीलेश जी, आपने जिस तरहाँ से होंसिला अफ़ज़ाई की है उसके लिए शुक्रिया लफ्ज़ बहुत छोटा महसूस हो रहा है फिर भी इस ििइंतेखाब की पसंदगी के लिए ममनून हूँ सर । मेरा इस ग़ज़ल को कहना सफल हुआ । ऐसे ही नज़रे कर्म बनाए रखियेगा ।

सादर !

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 13, 2018 at 7:39pm

वाह वाह आ. हर्ष जी ..
आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ ...बहुत खूब..
आपसे आगे भी बेहतर की अपेक्षा रहेगी ..
बाक़ी बातें अगली रचना पर 
सादर 

Comment by Harash Mahajan on March 13, 2018 at 2:48pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपकी पसंदगी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

सादर ।

Comment by Harash Mahajan on March 13, 2018 at 2:45pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी ग़ज़ल पर आपकी प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिए तहे दिल से आभार । 

सदर ।

Comment by Mohammed Arif on March 13, 2018 at 12:48pm

आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब,

                     बहुत अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है । अच्छे अश'आर से सजी ग़ज़ल है । ग़ज़ल थोड़ा वक़्त माँग रही है । इस बारे में गुणीजन अपनी राय देंगे । मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Shyam Narain Verma on March 13, 2018 at 10:07am
वाह, क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

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