For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- बलराम धाकड़ ( मसौदा भी ज़रूरी है...)

1222,1222,1222,1222

ज़रूरी है अगर उपवास, रोज़ा भी ज़रूरी है।
रवाज़ों का ज़रा होना अलहदा भी ज़रूरी है।।

हमें ये फ़ख़्र होता है कि हम हिंदौस्तानी हैं,
हमारे बीच हमदर्दी का सौदा भी ज़रूरी है।

मनाने रूठ जाने के लिखे हों क़ाइदे जिसमें,
मुहब्बत के लिए ऐसा मसौदा भी ज़रूरी है।

किसानों के लिए बिजली ओ पानी ही नहीं काफ़ी,
उन्हें ख़सरा, ख़तौनी और नक़्शा भी ज़रूरी है।

निज़ामो को ये लाज़िम बात समझाए कोई जाकर,
सकोरा लाज़िमी तो है, परिंदा भी ज़रूरी है।

इन आँखों को महज़ सुरमा औ काजल ही नहीं काफ़ी,
इन्हें उम्मीद, बीनाई औ सपना भी ज़रूरी है।

मौलिक/अप्रकाशित
- बलराम धाकड़।

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on February 25, 2018 at 12:08am

जनाब तस्दीक़ साहब, सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on February 25, 2018 at 12:07am

आदरणीय समर सर, ग़ज़ल में आपकी शिरक़त और हौसला अफ़जाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
आपकी समझाइश और सुझाव हमेशा ही बेशकीमती और इसीलिये शिरोधार्य होते हैं। इस्लाह के मुताबिक सुधार कर लूँगा, सर।
सादर।

Comment by Balram Dhakar on February 25, 2018 at 12:06am

बहुत बहुत धन्यवाद, आ० राम अवध जी।

सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 7:50pm

जनाब बलराम साहिब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।   मुहतरम समर साहिब के मश्वरे पर ध्यान दीजिएगा ।

शेर3 का सानी यूँ कर सकते हैं "मुहब्बत के लिए पक्का इरादा भी ज़रूरी है"

Comment by Samar kabeer on February 22, 2018 at 6:05pm

जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,ग्गज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

"हमे ये फ़ख़्र होता है कि हम हिंदौस्तानी हैं'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो रवानी बढ़ जायेगी :-

'हमे ये फ़ख़्र हासिल है कि हम हिंदौस्तानी हैं'

और सानी मिसरा यूँ कर लें तो उचित होगा:-

"हमारे बीच हमदर्दी का जज़्बा भी ज़रूरी है'

'मुहब्बत के लिए ऐसा मसौदा भी ज़रूरी है'

इस मिसरे में 'मसौदा' ग़लत है,सही शब्द है "मुसव्विदा",देखियेगा ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on February 21, 2018 at 11:22pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है।बधाई स्वीकारें

Comment by Balram Dhakar on February 21, 2018 at 8:10pm

हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया, आ० कल्पना जी ।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on February 21, 2018 at 8:09pm

बहुत बहुत धन्यवाद, आ० श्याम जी।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on February 21, 2018 at 8:08pm

बहुत बहुत शुक्रिया, जनाब उस्मान साहब। आपको ग़ज़ल पसन्द आई, मेरा लिखना मुक़म्मल हुआ।

सादर।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 21, 2018 at 7:16pm

बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आ बलराम जी | हार्दिक बधाई भैया| 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
3 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service