For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमर हो गए ...

मेरी हिना
बहुत लजाई थी
जब तुम्हारे स्पर्श
मेरे हाथों से
टकराये थे

मेरा काजल
बहुत शरमाया था
जब
तुम्हारी शरीर दृष्टि ने
मेरी पलक
थपथपाई थी

मेरे अधर
बहुत थरथराये थे
जब तुम्हारी
स्नेह वृष्टि ने
मेरे अधर तलों को
अपने स्नेहिल स्पर्श से
स्निग्ध कर दिया था

मैं शून्य हो गयी
जब
प्रेम के दावानल में
मेरा अस्तित्व
तुम्हारे अस्तित्व के अंतस में
समाहित हो गया

मैं
उस एक पल में जैसे
एक सदी जी गई

और तुम
उस एक पल में
मेरी शेष श्वासों को
अमरत्व दे गए
मुझ में
अमर हो गए

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 8, 2018 at 6:54pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'जी ,  ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 6, 2018 at 3:58pm

आ. भाई सुशील जी, सुंदर अभिव्यक्ति हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 2:58pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2018 at 2:58pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब। ... सृजन को आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Samar kabeer on February 4, 2018 at 9:23pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत बढ़िया कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on February 4, 2018 at 4:57pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                              प्रेम रस में डूबी सुंदर भावाभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई.स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"    शिकस्त-ए-नारवा     ------------------ रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब…"
25 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
29 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service