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बसंत - लघुकथा –

रजनी के पति का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था इसलिये घरवालों ने उसका नाम बसंत ही रख दिया था। रजनी उसके जन्म दिन को खूब जोश  के साथ मनाती थी। शादी को चार साल हुए थे लेकिन अभी तक उसकी गोद खाली थी। इसका एक मुख्य कारण उसके पति का सेना में होना भी था। चूंकि बसंत की तैनाती सीमा पर थी अतः परिवार साथ नहीं रख सकता था।

अभी कुछ दिन पहले एक फोन आया था कि बसंत लापता है, तलाश जारी है। रजनी के अरमानों पर तो मानो वज्रपात हो गया था। वह बसंत के जन्म दिन के लिये क्या क्या सपने बुन रही थी। क्योंकि बसंत ने उसे बोला था कि कुछ भी हो जाय जन्म दिन तो हम एकसाथ ही मनायेंगे।

रजनी बसंत पंचमी के दिन सुबह से उदास और गुमसुम बैठी थी। बार बार बसंत की दी गयी बसंती रंग की साड़ियों को निहार रही थी। बसंत अपने जन्म दिन पर हर बार एक नयी साड़ी भेंट करता था, जिसका बेस रंग बसंती होता था ।

तभी रजनी की ननद ने एक पैकेट लाकर रजनी को दिया,"भाभी, आपके लिये कोरियर आया है"।

रजनी ने बेमन से पैकेट खोला।उसमें एक बहुत खूबसूरत बसंती रंग की साड़ी निकली। उसमें दो पंक्ति का सूक्ष्म सा पत्र निकला।

लिखा था,"मैं कहीं भी रहूं, मेरे जन्म दिन पर तुम सदैव नयी बसंती साड़ी पहनना। मुझे खुशी होगी"।

 तुम्हारा बसंत।

सासु और ननद के दबाव में रजनी ने नयी साड़ी पहन ली। आइंने के आगे खुद को निहार रही थी।

उसी समय किसी ने पीछे से उसकी दोनों आँखें बंद कर दीं और धीरे से कान में बोला,"इतना सजोगी तो नज़र लग जायेगी"?

 रजनी हड़बड़ाकर पीछे मुड़ी। सामने बसंत को देखकर डाल की तरह टूट कर उसके आगोश में समा गयी।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on January 22, 2018 at 9:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी साहिबा जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 22, 2018 at 9:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।


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Comment by rajesh kumari on January 22, 2018 at 9:22pm

इससे प्यारा गिफ्ट क्या होगा बसंत विषय पर बहुत प्यारी लघु कथा लिखी है आद० तेजवीर सिंह जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 22, 2018 at 6:37pm

बहुत ख़ूबसूरत भावपूर्ण सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। किसी सैनिक की बीवी के लिए इससे अच्छा बसंत और तोहफ़ा और क्या हो सकता है सरप्राइज के साथ! बाद में थोड़ा और समय देकर इसे संवारा जा सकता है। सादर।

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