For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल --- असर होता है // दिनेश कुमार

2122--1122--1122--22
.
एक पत्थर पे भी उल्फ़त का असर होता है
दिल मे जज़्बा हो तो दीवार में दर होता है
.
घुप अँधेरे में उजाले की किरण सा जीवन
जो भी जी जाए, वो दुनिया में अमर होता है
.
उसको हालात की गर्मी की भला क्या चिन्ता
जिसकी दहलीज़ पे अनुभव का शजर होता है
.
आपसी प्यार मकीनों में हो, घर तब होगा
दरो-दीवार का ढांचा तो खँडर होता है
.
वो न सह पायेगा इक पल भी हक़ीक़त की तपिश
जिसके ख़्वाबों का महल मोम का घर होता है
.
हम फ़क़ीरों को ज़ियादा की नहीं चाह 'दिनेश'
जितना हासिल है, बस उतने में गुज़र होता है
.
मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2018 at 6:55pm

जनाब दिनेश कुमार साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।मतले के उला मिसरे यह ऑप्शन भी हो सकता है । संगदिल पर भी मुहब्बत का असर होता है ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2018 at 5:32pm

जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,आप कभी कभी पटल पर आते हैं,इस कारण से कुछ नये सदस्य आपको भी नया सदस्य समझते हैं ।

उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2018 at 2:07pm

आद0 दिनेश कुमार जी सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने, शैर दर शैर दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर

Comment by नादिर ख़ान on January 1, 2018 at 1:27pm

वो न सह पायेगा इक पल भी हक़ीक़त की तपिश 
जिसके ख़्वाबों का महल मोम का घर होता है
.
हम फ़क़ीरों को ज़ियादा की नहीं चाह 'दिनेश'
जितना हासिल है, बस उतने में गुज़र होता है
.

उम्दा ग़ज़ल हुयी है आदरणीय दिनेश कुमार जी मुबारकबाद स्वीकारें। ....

Comment by Ajay Tiwari on January 1, 2018 at 9:57am

आदरणीय दिनेश जी, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. 

'दिल मे जज़्बा हो तो दीवार में दर होता है'      बहुत खूब! 

'एक पत्थर पे भी उल्फ़त का असर होता है' की जगह 'किसी'पत्थर पे भी उल्फ़त का असर होता है' भी एक विकल्प हो सकता है.

'देर से हो मगर उल्फत का असर होता है' या 'चाहे हो देर से उल्फत का असर होता है' के विकल्प भी आजमाए जा सकते हैं.

नव वर्ष मंगलमय हो !

सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 1, 2018 at 1:05am

बहुत बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीय दिनेश कुमार जी। गुरूजन की टिप्पणियां हमें मार्गदर्शन प्रदान कर रहीं हैं।

Comment by दिनेश कुमार on December 31, 2017 at 8:24pm


हौसला अफ़ज़ाई के लिए दिली शुक्रिया आ. मुहम्मद आरिफ़ साहब।

Comment by Mohammed Arif on December 31, 2017 at 7:43pm


उसको हालात की गर्मी की भला क्या चिन्ता
जिसकी दहलीज़ पे अनुभव का शजर होता है ।वाह! वाह!! बहुत ही बेहतरीन शे'र हुआ है । मज़ा आ गया ।

बढ़िया ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय दिनेश कुमार जी ।

Comment by दिनेश कुमार on December 31, 2017 at 6:40pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया आ. राम अवध जी।

दरो-दीवार वाले मिसरे में typing मिस्टेक तो संभव है, लेकिन बह्र में है। इसी प्रकार मक़्ते का सानी भी बह्र में ही है सर जी।

सादर।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 31, 2017 at 5:31pm

आदरणीय दिनेश कुमार जी खूबसूरत ग़ज़ल के लिये बधाई।

 मेरे ज्ञान के अनुसार दरो दीवार का ढाँचा मिसरा बह्र में नहीं है। मक्ता का शानी मिसरा भी बह्र में नहीं है। इसको ऐसा किया जा सकता है।

जितना हासिल है उसी में ही गुज़र होता है। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मुश्किलों की आँधी…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service