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ग़ज़ल- रातें हुईं पहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

बह्र- मफऊल फाइलात मफाईल फाइलुन

रातें हुईं पहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।
वो दिल गई उजाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

इज़हारे इश्क जो किया तो उसने गाल पर,
मारे हैं ताड़ ताड़ बताओ मैं क्या करूँ।

पल्लू से उसके फिर से मैं बँध जाऊँ दोस्तो,
कोई नहीं जुगाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

क्या दिन थे वो हँसीन कभी छत पे राह में
होती थी छेड़छाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मेरे खिलाफ उसने कटा दी एफआईआर,
जाना है अब तिहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

तन्हा हूँ और सिर्फ है तन्हाई मेरे साथ,
गायब है भीड़भाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

उस बेवफा की याद में रोता हूँ रात दिन,
अब मारकर दहाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

आया खराब वक्त तो कमबख्त वक्त ने,
मुझको दिया पछाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मैंने तो तेरे इश्क में सब कुछ लुटा दिया,
गिरवीं है माँस हाड़ बताओ मैं क्या करूँ।

हड़तालियों ने खौफ से अपने ही आप जब,
तम्बू लिया उखाड़ बताओ मैं क्या करूँ

आया जो रात देर से बीवी ने क्लास ली,
जमकर पड़ी लताड़ बताओ मैं क्या करूँ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Ajay Tiwari on December 7, 2017 at 1:28pm

आदरणीय राम अवध जी,

देवनागरी लिपि की एक बहुत महत्वपूर्ण विशिष्टता ये है कि इसमें जैसा लिखा जाता है वैसा ही बोला जाता है. इस में लिखित(मक्तूबी) और उच्चारित (मल्फूजी) में कोई भेद नहीं होता. इस बात को ध्यान में रखें तो यह स्पष्ट है कि 'ए' ध्वनि चाहे किसी भी शब्द में हो उसका उच्चारण एक ही जैसा होगा और उसका छन्दशास्त्रिय मूल्य(वजन, मात्रा भार) एक ही जैसा होगा. 

सादर  

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 7, 2017 at 7:13am

आदरणीय अजय तिवारी जी,

कृपया ये भी स्पष्ट करने का कष्ट करें कि शब्द एक, एकल , एकता,एतद और एफआईआर में  अक्षर ए का उच्चारण एक जैसा होगा या कुछ फर्क होगा। सादर

Comment by Ajay Tiwari on December 6, 2017 at 3:40pm

आदरणीय राम अवध जी,

'एक' और 'इक' दोनों का  प्रयोग एक परम्परा के तहत होता रहा है इसका मतलब ये नहीं है कि शब्द का पहला अक्षर गिराकर पढ़ा जा सकता है. आईना और आइना, राहगुज़र और रहगुज़र परंपरा से दोनों शब्द रूप प्रचलित हैं इसका मतलब ये नहीं है कि शब्द के बीच के अक्षर को गिरा कर पढ़ने का नियम है. अलिफ़ वस्ल से एफाई शब्द हासिल होता है. ए और फाई को अलग कर के 121 के वज़न पर रखना गलत है वो चाहे उर्दू में हो या हिंदी में. अगर गलत उच्चारण को सही मान के तक्ती करनी हो तो बात अलग है. लेकिन 'एफ' को अलग-अलग करके पढ़ना उचित नहीं है.

सादर 

 

Comment by Samar kabeer on December 6, 2017 at 2:38pm

जनाब राम अवध जी,मेरे ख़याल से मिसरा बदलना उचित होगा,ये आपके लिए मुश्किल नहीं ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 6, 2017 at 12:50pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहब मैने अपने ज्ञान के अनुसार तख्ती की थी और पढ़ने पर कहीं भी लय भंग नहीं होता है। लेकिन विद्वानों ने ऐतराज किया इसलिए मैंने उनकी बात मान ली क्योंकि मैने पहले ही लिख दिया कि मैं कोई अरूजी नहीं हूँ। अब जैसे विद्वान लोग ही चर्चा कर निर्णय लें क्या गलत है क्या सही है। सादर। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 6, 2017 at 8:43am

जनाब राम अवध साहिब ,जैसा कि अजय साहिब ने कहा है कि पहले अक्षर को गिरा कर पढ़ना मुमकिन नहीं तो फिर शब्द "एक"को "इक" कैसे कर लेते हैं । मैं ने तो ऐसा नियम नहीं पढ़ा,उर्दू की साइट पर "ए फ़ा ई "की तकती को 121 यानी ए और ई  को गिरा कर  पढ़ा गया है ,अब कोई इसे तस्लीम करे या न करे ---सादर

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 6, 2017 at 7:26am

आपकी बात से सहमत हूँ। आपने कारण सहित.स्पष्ट किया आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Ajay Tiwari on December 5, 2017 at 11:38pm

आदरणीय राम अवध जी,

अलिफ़ वस्ल से एफ + आई = एफाई होगा जिसका वज़न 222 या 221 हो सकता लेकिन 121 नहीं हो सकता जैसा की आपने या आदरणीय तस्दीक साहब ने लिखा है. 'ए' एफाई शब्द का पहला अक्षर है जिसे गिरा कर पढ़ना मुमकिन नहीं है.

सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2017 at 7:27pm

जनाब राम अवध साहिब ,अच्छी मज़ाहिया ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । मेरे हिसाब से शेर5 का उला मिसरा बह्र में है ।

(उसने  मेरे खिलाफ  कटा दी  एफ आई आर)(मफ़ऊल-फ़ाइलात-मफ़ाईल-फ़ाइलात)(उसने 22-मेरे12- खिलाफ121- कटा दी 122- एफ आइ 121--आर 21)

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 5, 2017 at 4:29pm

आदरणीय अफरोज साहब मैं कोई अरूजी नहीं हूँ। मैं यह भी मानता हूँ कि जितना आप को ज्ञान है उतना मुझे नहीं । मैने अपने अल्प ज्ञान के अनुसार तख्ती की है अगर मुझसे कहीं चूक हुई है तो अवश्य बतायें जिससे मैं अपनी गल्ती ठीक कर सकूँ और भविष्य में गल्ती से बचूँ। सादर
2 2 1 2 1 2 1 1221. 212
मे रे खि लाफउसने कटादीए फआइआर
मफ ऊल फाइलात। मफाईल। फाइलुन
फ+ आ = फा अलिफ वस्ल के नियम से फा ह जायेगा। इस प्रकार फआइआर की तख्ती फाइलुन होगी।

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