For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के  साथ - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212
-
नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के  साथ.
रहते हैं ग़म हमेशा ही यारों खुशी के साथ
-

नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ.
दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ

-
माना कि लोग जीते हैं हर पल खुशी के साथ.
शामिल है जिंदगी में मगर ग़म सभी के साथ

-
आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे.
कूछ दिन गुज़ार ले तू मेरी जिंदगी के साथ
-
ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में.
यूँ ही नहीं है  प्यार हमें   शायरी के साथ 
-
अच्छी तरह से आपने जाना नहीं जिसे.
यारी कभी न कीजिये उस अजनबी के साथ
-
मुश्किल में कैसे जीते हैं यह उनसे पूछिये.
गुज़रा है जिनका वक़्त सदा मुफलिसी के साथ
-
उसपे  ना  एतबार   कभी  कीजिए  " रज़ा .
धोका किया है जिसने हर एक आदमी के साथ
....
मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 9, 2017 at 10:07am
जनाब मोहम्मद आरिफ साहिब,
आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया, आपकी महब्बत हमारे लिए अनमोल हैं बहुत बहुत शुक्रिया... मुझे इस समय समर साहब की महब्बत नहीं मिल रही है शायद ओ नाराज़ हैं.. बात हो तो सलाम बोलिएगा...
Comment by SALIM RAZA REWA on November 9, 2017 at 10:02am
आदरणीय आशीष श्रीवास्तव जी,
ग़ज़ल पे आपकी शिरक़त के लिए शुक्रिया, आपने जिस गलती के तरफ़ ध्यान दिलाया वो मिसरा दुरुस्त कर लिया गया है, आपकी पुनः नज़रे इनायत चाहता हूँ
सादर..
Comment by SALIM RAZA REWA on November 9, 2017 at 9:54am
जनाब अफ़रोज साहब,
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत और हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया,
Comment by Mohammed Arif on November 8, 2017 at 10:54pm
नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के साथ
रहते हैं ग़म हमेशा ही यारों खुशी के साथ ।वाह!वाह!बहुत ख़ूब ! कोई ज़िंदगी का असली जाँबाज ही ऐसा शे'र लिख सकता है । सच है, जिसने भोगा है उसी ने तो लिखा है ।
ढेरों मुबारकबाद आदरणीय सलीम रज़ा साहब ।
Comment by Ashish shrivastava on November 8, 2017 at 9:01pm
मुहतरम सलीम रज़ा साहब , बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है ।
मुबारकबाद !
ग़ज़ल के चौथे शे'र में तकाबुल-ए-रदीफ़ का ऐब दिख रहा है । ग़ौर फ़रमायें ।ज
Comment by Afroz 'sahr' on November 8, 2017 at 5:15pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब अच्छी ग़ज़ल है दादके साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service