For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठहर जाता तो अच्छा था- एक ग़ज़ल बसंत की

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

 

मापनी 1222 1222 1222 1222

इधर  जाता तो अच्छा था, उधर जाता तो अच्छा था.

रहा भ्रम में, कहीं पर यदि, ठहर जाता तो अच्छा था.

 

उभर आता तो अच्छा था, हृदय का घाव चेहरे पर,

हमारा  दर्द  भी हद से, गुजर जाता तो अच्छा था.

 

उधर घुसकर गए भी थे, सिखाया था सबक भी कुछ,

वहाँ  पर  यदि तिरंगा भी फहर जाता तो अच्छा था

 

किनारे पर रहा अठखेलियाँ करता, न पाया कुछ,  

अगर गहरे समंदर में उतर जाता तो अच्छा था

 

उन्होंने ख्वाब दिखलाये, सभी को आसमानों के.

जमीं पर एक घर भी अब, सँवर जाता तो अच्छा था

 

हमारे गाँव की मिटटी, रही बुनियाद शहरों की,

कँगूरों तक भी थोड़ा सा, असर जाता तो अच्छा था

 

पहाड़ों से बहा तो जल,  गया देखो समंदर में,

जहाँ उसकी जरूरत थी, ठहर जाता तो अच्छा था

 

“मौलिक एवं अप्रकाशित”

 

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 24, 2017 at 10:15am

आदरणीय नन्दकिशोर दुबे जी आपकी उर्जावान प्रतिक्रिया का ह्रदय से आभार

Comment by नन्दकिशोर दुबे on September 23, 2017 at 9:11am
बहुत ही सुन्दर ! द्विपदी का प्रत्येक भाव और अभिव्यक्ति अंदर तक प्रभावित कर गयी ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 20, 2017 at 8:30pm

आदरणीय Niraj Kumar जी आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया, मेहनत सफल हुई , आपको रचना पसंद आई.

Comment by Niraj Kumar on September 20, 2017 at 5:56pm

आदरणीय बसंत जी,

मतले का पहला मिसरा क्लासिकल उर्दू शायरों की याद दिलाता है. आपने बाकी ग़ज़ल में भी इस अंदाज़ को बरकरार रखते हुए हिंदी शब्दों का खूबसूरती से इस्तेमाल किया है.

दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर  

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 10:30pm

आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आपका , सादर नमन 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2017 at 5:16pm
क्या कहने आदरणीय..बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 1:12pm

आदरणीय Samar kabeer जी, आपके सुझाव का  ह्रदय से स्वागत है. सुधार कर दिया है 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 1:02pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  जी हौसला अफजाई के लिए अतिशय आभार आपका, जी अपेक्षित सुधार कर  दिया है 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 1:01pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी हौसला अफजाई के लिए अतिशय आभार आपका,

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 12:58pm

आदरणीय  SALIM RAZA REWA जी हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
24 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service