For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122
ख़यानत की खातिर मुहब्बत नहीं है ।
मेरी आशिकी क्या अमानत नहीं है ।।

हुई दफ़अतन जो ख़ता थी नज़र से ।
हमें अब नज़र से शिकायत नहीं है ।।

मिटा कर चले जा रहे हैं उमीदें ।
बची आप में भी सराफ़त नहीं है ।।

चले आइये बज्म में रफ्ता रफ्ता ।
मेरी आप से अब अदावत नहीं है ।।

ठहर जाने वाले यकीं कर मेरा तू ।
मेरे दिल की अब तक इज़ाजत नहीं है ।।

तेरे दर पे आना मुनासिब कहाँ अब ।
वहां आशिकों की निज़ामत नहीं है ।।

बुरे दिन की शुरुआत होने लगी है ।
दुआवों में शायद इज़ाफ़त नहीं है ।।

गुजर जाएंगे मुफ़लिसी के ये दिन भी ।
बुरा वक्त भर है कयामत नहीं है ।।

करेगा वो इंसाफ जुल्मो सितम का ।
तुम्हारी वहां तो हुकूमत नहीं है ।।

न उम्मीद रखिये वफ़ा की यहां पर ।
यहां तो ख़ुदा की अक़ीदत नहीं है ।।

उसे दिल न देना है कमसिन जिगर वो ।
मुहब्बत की कोई हिफ़ाज़त नहीं है ।।

जिधर फेरते हैं अदा से वो नज़रें ।
उधर कोई बस्ती सलामत नहीं है।।

---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2017 at 6:42am
बहुत खूब...हार्दिक बधाई।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:29pm
आ0 गिरिराज भंडारी सर सादर प्रणाम
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:29pm
आ0 कल्पना भट्ट जी सादर नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:28pm
आ0 गुरुदेव कबीर सर सादर प्रणाम
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:28pm
आ0 गजेंद्र श्रोत्रिय जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:27pm
आ0 मुहम्मद आरिफ साहब तहे दिल से शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:26pm
आ0 रवि शुक्ला साहब सादर नमन ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 9, 2017 at 8:25pm
आ0 सन्तोष ख़िरवादकर साहब शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 6:39pm

आदरनीय नवीन भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 10:22pm

बहुत प्यारी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय नवीन जी | बधाई स्वीकारें आदरणीय |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
9 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
12 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service