For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 2121 1221 212

आए वो बज़्म ए शौक में आ कर चले गए,
फ़ित्ना सा एक दिल में उठा कर चले गए।

महफ़िल में आये जलवः दिखा कर चले गए,
जादू सा एक पल में जगा कर चले गए।

आने का और जाने का होता नहीं यकीन,
कुछ लोग इस तरह से भी आकर चले गए।

आँचल सरक के दोश से पहलू में क्या गिरा,
बैठे भी वो नहीं थे लजा कर चले गए।

पुरसान-ए-हाल के लिये यूँ आये मेरे पास
गोया कि एक रस्म निभा कर चले गए

आये वो दर्द बाँटने लेकिन हक़ीक़तन,
शिद्दत गमों की और बढ़ा कर चले गए।

गुज़रेगी इंतज़ार में कैसे तमाम उम्र,
राहे वफ़ा में मुझको बिठा कर चले गए।

जितने भी हैं चराग वो सदमे से जाँ ब लब,
आंधी से लोग हाथ मिला कर चले गए।

हमको थी जिन चरागों से उम्मीदे रोशनी,
वो तुम सुकूते शब में बुझा कर चले गए।

मय्यत पे आके उसने किया एक ही सवाल,
क्यूँ दिल्लगी में जान लुटा कर चले गये।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 966

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on July 19, 2017 at 10:57am

आदरणीय तस्‍दीक साहब आदाब आपसे प्रोत्‍साहन पाकर बहुत खुशी हुई है बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by Ravi Shukla on July 19, 2017 at 10:56am

आदरणीय कल्‍पना जी आपकी विस्‍तृत बधाई पाकर बहुत खुशी हुई सादर आभार स्‍वीकार करें

Comment by Ravi Shukla on July 19, 2017 at 10:55am

आदरणनीय नरेन्‍द्र सिंह जी आपकी हौसला अफजाई का बहुत बहुत श्‍ुाक्रिया

Comment by Ravi Shukla on July 19, 2017 at 10:55am

आदरणीय समर साहब इसी तरह आर्शीवाद बनाएं रखे बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफजाई के लिये

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 19, 2017 at 10:22am
आदरणीय शुक्ला जी बहुत खूबसूरत अहसासों से सरोबार ग़ज़ल कही है हार्दिक नमन
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2017 at 9:13pm
मुहतरम जनाब रवि साहिब,बहुत ही उम्दा गज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 7:58pm

वाह | बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय रवि सर |

गुज़रेगी इंतज़ार में कैसे तमाम उम्र,
राहे वफ़ा में मुझको बिठा कर चले गए।

जितने भी हैं चराग वो सदमे से जाँ ब लब,
आंधी से लोग हाथ मिला कर चले गए।

हमको थी जिन चरागों से उम्मीदे रोशनी,
वो तुम सुकूते शब में बुझा कर चले गए।

बहुत खूब आदरणीय | हार्दिक बधाई आपको |

Comment by narendrasinh chauhan on July 18, 2017 at 4:14pm

लाजवाब , शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ

Comment by Samar kabeer on July 18, 2017 at 3:30pm
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,बहुत ही उम्दा और मुरस्सा तरही ग़ज़ल कही आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service