For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पारसाई ही मेरी दौलत है (ग़ज़ल)

2122 1212 22

जो ये लम्हा उदास है तो है
वो कहीं आस-पास है तो है

पैरहन जिस्म पर हज़ारों हैं
रूह गर बेलिबास है तो है

तीरगी हिज्र की है आंखों में
दिल में लेकिन उजास है तो है

पारसाई ही मेरी दौलत है
छल-कपट तेरे पास है तो है

क्यों न मिट जाए ग़म की कड़ुवाहट
आंसुओं में मिठास है तो है

इश्क़ में कोई मोज़िजा होगा
दिल को अब भी ये आस है तो है

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 538

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on August 28, 2017 at 8:31pm
आदरणीय डॉ० आशुतोष मिश्रा जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक साधुवाद आपको,सादर।
Comment by जयनित कुमार मेहता on August 28, 2017 at 8:30pm
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी बहुत-बहुत आभारी हूं आपका।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 28, 2017 at 12:55pm
जनाब जैनित कुमार साहिब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें, सही शब्द "मोजिज़ा"है
Comment by Samar kabeer on June 27, 2017 at 2:25pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 26, 2017 at 11:07pm
शानदार ग़ज़ल भाई जयनित जी रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें
Comment by Mohammed Arif on June 25, 2017 at 6:31pm
आदरणीय जयनित कुमार जी आदाब, बहुत ही शानदार ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
1 minute ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
3 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
8 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
13 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
15 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
19 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
21 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
29 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
29 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
29 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
31 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
45 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service