For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं तस्वीर हो गया ...

मैं तस्वीर हो गया ...

क्यूँ
मेरी तस्वीर को
दीवार पर लगाते हों
एक कल को
वर्तमान बनाते हो
आज तक
कोई मेरे चेहरे को
पढ़ न पाया था
हर अपने ने मुझे
अपने स्वार्थ का
मोहरा बनाया था
मेरी हंसी भी मज़बूर थी
मेरा अश्क भी पराया था
यूँ जीवित रहने का
मैंने हर फ़र्ज़ निभाया था
चलो अच्छा हुआ
मैं एक अनकही तहरीर हुआ
बेगानों से अपनों की
ज़ागीर हुआ
अब मेरा सम्मान मोहताज़ नहीं
किसे से छुपा कोई राज़ नहीं
मैं तब मरा था
जब ज़िंदा था
पर
जब से आया हूँ
तस्वीर में
अब मैं मरने की
हर हद से दूर हूँ
अब मेरी मुस्कान स्थायी है
अब हर किसी ने
मुझसे प्रीत निभाई है
अब मुझ में
सिर्फ़ गुण नज़र आते हैं
अच्छा हुआ
मैं तस्वीर हो गया
सबके दिलों का
पीर हो गया
गंवारा न था जिन्हें
मैं ज़िंदगी में
आज उन्हीं आखों में
मैं यादों का
नीर हो गया
सच
अच्छा हुआ
मैं तस्वीर हो गया

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 4:58pm
सुंदर रचना हुई है आदरणीय सुशिल सरना जी | हार्दिक बधाई आदरणीय \
Comment by Sushil Sarna on June 13, 2017 at 1:58pm

आदरणीय बसंत कुमार जी सृजन में निहित भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 13, 2017 at 1:58pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी प्रस्तुति को मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2017 at 9:44pm

वाह बहुत खूब मन के भावों की अभिव्यक्ति 

Comment by narendrasinh chauhan on June 12, 2017 at 7:28pm

सुन्दर रचना। .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
6 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
7 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
9 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Richa यादव जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई। इस्लाह से बेहतर हो जाएगी ग़ज़ल। "
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ji, अच्छा प्रयास हुआ ग़ज़ल का। बधाई आपको। "
17 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
22 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
26 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
44 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
47 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
52 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service