For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो (ग़ज़ल)

1222 1222 122

मुहब्बत की ज़रुरत है? नहीं तो
ये ग़म क्या रस्म-ए-उल्फ़त है? नहीं तो

तेरी इसपर हुक़ूमत है? नहीं तो
ये दिल तेरी रियासत है? नहीं तो

ये दुनिया ख़ूबसूरत है? नहीं तो
किसी में आदमीयत है? नहीं तो

कोई मंज़र नहीं जँचता है गोया
नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो

किसी दिन चाँद उतरे मेरे छत पर
उसे क्या इतनी फुरसत है? नहीं तो

मुहब्बत से ही इतना कुछ मिला है
कुछ और पाने की चाहत है? नहीं तो

कि मर-मर के भी साँसें चल रही हैं
तुम्हें क्या जीने की लत है? नहीं तो

इक अरसे बाद लौट आया तो है दिल
मगर क्या इसको राहत है? नहीं तो

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 804

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:32pm
आदरणीय महेंद्र जी, मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, बहुत अच्छा लगा। हृदयतल से धन्यवाद आपको।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:31pm
हार्दिक धन्यवाद आपको, आदरणीय अनुराग वशिष्ठ जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:29pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंद्र कुमार जी। जी, इन चर्चाओं से ही तो मंच का उद्देश्य पूर्ण होता है।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:27pm
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय डॉ० आशुतोष मिश्र जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 7:10pm
उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद प्रकट करता हूँ आदरणीय गिरिराज भंडारी जी। आपका कथन सर्वथा उचित है, मैं आपकी बात पर अमल कर सुधार करता हूँ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 7:07pm
बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय समर कबीर जी आपका। वाक़ई आपके द्वारा सुझाये मिसरे ने शेर में चार चाँद लगा दिये।
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:43am

आदरणीय जयनित जी, आप फिर चले गए? बहरहाल, अच्छी लगी ग़ज़ल आपकी. हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 4, 2017 at 3:21pm
आदरणीय जयनित भाई बहुत् खूब,आपकी गजल पर चर्चा भी बहुत उपयोगी रही हमारे लिए भी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 4, 2017 at 2:06pm

भाई जय्नित जी बहुत ही उम्दा रचना हुयी है आदरणीय गिरिराज भाईसाब और आदरणीय समर सर की बात से मैं भी यह गलती सुधरने की कोशिस करूंगा / मैं तो यह सोच कर ग़ज़लें ठीक न कर सका ताकि उन गलतियं पर बिद्वत्जनो की प्रतिक्रिया से नए सीखने वाले को गलती कहाँ हुयी है इसका भान हो सके ..आपको इस रचना के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं सादर 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2017 at 3:03pm
ये मिसरा और ख़ूबसूरत हो सकता है,ऐसे :-
'किसी शब चाँद उतरे मेरी छत पर'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service