For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद आंसू पीते हैं

अहदे नौ में
माएं दूध पिलाती नहीं हैं
गायें भैसें  कसाईयों से बच पाती नहीं हैं
इससे तकलीफ उन्हें नहीं होती है
जो खरीद सकते हैं दूध
सोने की कीमतों पर
इससे तकलीफ उन्हें होती है जो
दूध की बोतल में भरकर पानी
अपने रोते हुए मासूम को झूठी दिलासा दिलाते हैं
खुद आंसू पीते हैं
बच्चो को पानी पिलाते हैं
मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 617

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 25, 2017 at 9:07pm
आदरणीय भाई सुरेन्द्र जी मैं जरूर आपके मशविरे पर अमल करूंगा रचना पर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2017 at 7:49am
आद0 आशुतोष मिश्र जी सादर अभिवादन, बहुत कुछ इस रचना पर गुनिकह चुके है, आप इसे देख लीजियेगा।सादर, मेरी कोटिश बधाइयाँ आपको।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:22pm
आदरणीय भाई बृजेश जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:20pm
आदरणीय समर सर आपके मशविरे से मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ है दरअसल आज मावे के लिए सिंथेटिक दूध पीने के लिए सिंथेटिक दूध के कारन स्वास्थ्य के कारणों दूध के नाम पर जहर मिल रहा है बेशक दूध अमीर गरीब सबको मिल रहा है लेकिन जिस मात्र में दूध का उपयोग हो रहा है उस अनुपात में जानवर नहीं दीखते कुछ ऐसे ही भावों से रचना लिखी थी आपके मार्गदर्शन से चिंतन को नया आयाम मिलता है अच्छे प्रयास पर आपका शाबाशी को भी आशीर्वाद मानता हूँ और गलतियों पर फटकार को भी सादर प्रणाम के साथ
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:11pm
आदरणीय रोहित भाई आपके मशविरे पर जरूर अमल करूंगा रचना पर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:09pm
आदरणीय आरिफ जी मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ मैं अपनी औचित्य को सार्थक अंजाम नहीं दे पाया अगले प्रयास पर ध्यान दूंगा सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 24, 2017 at 9:14pm
आदरणीय डा.साहब..एक कसक तो पैदा करती है आपकी कविता..सादर
Comment by Samar kabeer on April 24, 2017 at 12:16pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा जी आदाब,आप अपनी कविता में जो कहना चाहते हैं वो स्पष्ट नहीं हो रहा है,हमारे देश में,गाय, भैंस,बकरी,क़साइयों के हाथों में आने के बाद भी ख़त्म नहीं हो गई हैं,बड़ी तादाद में मौजूद हैं,और दूध की भी यहाँ कोई कमी नहीं है,सभी अमीर ग़रीब सब को मिल रहा है ।
Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 24, 2017 at 7:45am

आशुतोष जी अच्छी कविता कहने का प्रयास किया किँतु अभी काफी  प्रयास बाकि है...गुणीजनों  के मार्गदर्शन में रहें ..शुभकामनाएँ

Comment by Mohammed Arif on April 23, 2017 at 5:50pm
आदरणीय आशुतोष जी आदाब, एक अच्छी कविता कहने का प्रयास आपने किया मगर सफल नहीं हो पाएँ । भावार्थ नहीं आया । इस प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service