For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपक सा उजियार करोगे-रामबली गुप्ता

ग़ज़ल
22 22 22 22

जब जलना स्वीकार करोगे
दीपक-सा उजियार करोगे

स्नेह-समर्पण शस्त्र अगर हों
हर दिल पर अधिकार करोगे

दुर्ग दिलों के जीत सके तो
जय सारा संसार करोगे

दिल में दर्प बढ़ा दानव-सा
उसका कब संहार करोगे

राष्ट्र-हितों पर मिट न सके तो
जीवन यह बेकार करोगे

दिल पर रखकर हाथ बता दो
"हमसे कितना प्यार करोगे"

दृष्टि रखोगे अर्जुन-सी तो
लक्ष्य पे ही हर वार करोगे

उर-अँधियार मिटा पाये तो
खुद का साक्षात्कार करोगे

हिल जाएगा भूधर का तल
चोट जो बारम्बार करोगे

लुट जाएगा चैन 'बली' गर
नैन किसी से चार करोगे

मौलिक एवं अप्रकाशित
रामबली गुप्ता

Views: 913

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on March 5, 2017 at 1:50am
हृदय से आभार आद0 भाई मिथिलेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 1, 2017 at 3:25pm

आदरणीय रामबली जी, बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने. दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:49pm
आदरणीय गुरुदेव आपकी प्रशंसा से रचनाकर्म को बल मिलता है। आशीष यूँ ही बनाये रखें। हृदय से आभार।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:47pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी आपका अतिशय आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:46pm
भाई बृजेश नीरज जी सादर आभार आपका
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:45pm
आदरणीय लक्षमन रामानुज जी आपकी प्रशंसा से मन आह्लादित है। लिखना सार्थक हुआ। प्रतिक्रिया एवं प्रोत्साहन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीय।सादर
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:42pm
आदरणीय सुशील सरना जी प्रतिक्रिया एवं प्रशंसा के लिए हृदयतल से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:41pm
आदरणीय प्रतिक्रिया एवं प्रशंसा के लिए हृदयतल से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:40pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on February 28, 2017 at 9:39pm
सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार आदरणीय आरिफ़ साहब।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
40 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
9 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service