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शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
रंक बने राजा हमारे देश के शासन में
झूमता हृदय सबका खुशी से उमंग में
संभव है सब कुछ आज इस जगत में
धरती को नापे डाले मात्र एक क्षण में
सागर को कैद करले अपनी मुट्ठी में
हिमालय जीत का स्वप्न रखे मन में
अपने यश की पताका गाड़दे अंबर में
भ्रम सारे टूट जाएँ जो फैले समाज में
नफरत मिट जाएँ आपसी व्यवहार में
विकास की नदी बहा दे अपने देश में
समता की फसल खूब लहरे समाज में
आज ममता, भाईचारा दिखे समाज में
करुणा का सागर भरा सब के दिल में
दादुर मोर कोकिला सब नाचते बन में
मानवता के सारे दुश्मन रोते बाजार में
नारी भी कम नहीं प्रतिस्पर्धा के युग में
पुरुषो को पीछे छोड़ा इस कठिन दौर में
शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Ram Ashery on February 21, 2017 at 3:14pm

आपको सहृदय आभार स्वीकार हो अपने मेरी रचना को पढ़ा और अपने अमूल्य विचार दिये मैं आपका शुक्र गुजार हूँ 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 21, 2017 at 12:31pm

शिक्षा के महत्व को दर्शाती रचना के लिए बधाई 

Comment by Ram Ashery on February 19, 2017 at 8:40pm

आपको सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ अपने मेरे विचारों को अपना अमूल्य समय देकर पढ़ा और मेरा उत्साह वर्धन के लिए एक बार फिर से बधाई स्वीकार हो 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 19, 2017 at 8:07pm
आदरणीय राम आश्रय जी इस सकारात्मक सोच प्रधान रचना लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by नाथ सोनांचली on February 17, 2017 at 10:26pm
आदरणीय राम आश्रय जी सादर अभिवादन स्वीकार करें, सकारात्मक सोच को उद्घृत करती रचना के लिए दिल से अनेकानेक बधाइयाँ स्वीकार कीजिए ।
Comment by Mohammed Arif on February 17, 2017 at 5:38pm
आदरणीय राम आश्रय जी आदाब, सकारात्मक सोच को उद्घृत करती रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिए ।

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