For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं/सतविन्द्र कुमार राणा

212 212 212 212
बढ़ रहा दर्द है औ दवा कुछ नहीं
फिर भी होठों पे तेरे दुआ कुछ नहीं।

मर मिटा एक मुफ़लिस किसी शौक से
पर अमीरी नजर में हुआ कुछ नहीं।

हौंसलों से बनें काम सब जान लो
बुज़दिली से कभी तो बना कुछ नहीं।

बस तग़ाफ़ुल तेरा है बड़ा कीमती
इश्क से वास्ता अब रहा कुछ नहीं।

काम आलिम का होता बड़ा साथियो
सीखना उन बिना तो हुआ कुछ नहीं।

ज्यों जिए जा रहे बढ़ रही हसरतें
*जिंदगी हसरतों के सिवा कुछ नहीं।*

हर तरफ इस कदर मच गयी खल बली
अब बड़े छोटे में फासला कुछ नहीं।

सब्र राणा हुआ धन बहुत ख़ास है
जान लो ये सभी जर बड़ा कुछ नहीं।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:25pm
आदरणीय गिरिराज सर स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।यह तरही गजL ही ही है।मैं आपकी इस्लाह का ध्यान रखूँगा।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:23pm
आदरणीय विजय निकोरे सर यह स्नेह यूँ ही बना रहे!सादर हारदिक आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:21pm
आदरणीय धर्मेंद्र सिंह जी,गजल पसन्द कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:20pm
आदरणीय बृजेश ब्रज जी बहुत बहुत आत्भर प्रयास की पसन्दगी और प्रोत्साहन के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:19pm
आदरणीय समर कबीर साहब आपकी सुख़न नवाजी के लिए तहेदिल शुक्रिया मेहरबानी!सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:18pm
आदरणीय बैजनाथ जी,आपके स्नेह और प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:17pm
आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी सादर नमन!यापको प्रयास पसन्द आया ,बहुत बहुत आत्भर पसन्दगी के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 11:16pm
आदरणीय श्याम नारायण जी अनुमोदन एवं स्नेहिल प्रोत्साहन के लिए आभार।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2016 at 7:21pm

आदरणीय सतविन्द्र भाई , खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें । तरही गज़ल कही है तो ऊपर लिख देना अच्छा होता है , ज़रूरी नही है फिर भी ।

Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 8:06am

खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
41 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
14 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service